क्या आपको पता है कि हर शहर में क्यों होता है सिविल लाइंस? आज भी 80% लोगों को नहीं पता इसका जवाब

आज के समय हम सभी अच्छी शिक्षा और बेहतर भविष्य के लिए अपने गांव को छोड़कर दूसरे शहर आते हैं। अब यहां आकर बहुत नई जगहों के नाम के बारे में चलता है। साथ ही कुछ ऐसे मेन चौरहों के नाम भी शामिल होते हैं, जो हमारे शहर और अन्य शहरों में कॉमन होता है। इस लिस्ट में सिविल लाइंस नाम खास है। अब ऐसे में क्या आपने कभी सोचा कि आखिर हर सिटी में सिविल लाइंस क्यों होता है। चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण-
do you know why there is a place named civil lines in every indian city

हम सभी अपने शहर के गांव-कस्बे और चौराहों के नाम से बहुत अच्छे परिचित होते हैं। लेकिन कई बार दूसरे लोगों के मुंह से सुनने को मिल जाता है कि हमारे यहां सिविल लाइंस है। अब ऐसे में हम थोड़ा चौंक कर जवाब देते हैं कि अरे क्या बात कर रहे हो। मेरे यहां भी सिविल लाइंस जगह है। अब ऐसे में कई बार लोगों के दिमाग में सवाल आता है कि क्या भारत के लगभग हर शहर में सिविल लाइंस इलाका होता है। यकीनन आपके दिमाग में यह सवाल तो जरूर आया होगा। अगर आपसे यह पूछा जाए कि क्या आपको सिविल लाइंस के पीछे का कारण पता है कि यह इलाहा हर सिटी में क्यों है, तो शायद ही इसका सही जवाब पता होगा। बता दें कि सिविल लाइंस नाम नहीं बल्कि एक पहेली है, जिसका जवाब आज भी 80% से ज्यादा लोग नहीं जानते। अगर आप इस प्रश्न के उत्तर के बारे में जानना चाहती हैं, तो इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों इस नाम का इलाका हर जगह मौजूद है।

सिविल लाइंस का क्या होता है मतलब?

Civil Lines history India

सिविल लाइंस नाम आजादी से पहले के भारत से ब्रिटिश राज के दौर से जुड़ा हुआ है। 'सिविल लाइंस' शब्द अपने आप में ही उस दौर की प्रशासनिक और समाजिक व्यवस्था को बयां करता है। जहां 'सिविल' का अर्थ नागरिक यानी सेना से इतर, ब्रिटिश प्रशासन के वे अधिकारी जैसे कलेक्टर, मजिस्ट्रेट, पुलिस प्रमुख, और अन्य उच्च अधिकारी जो देश चलाने का काम करते थे। वहीं लाइंस का मतलब आवासीय कतारें उन अधिकारियों के लिए विशेष रूप से बनाए गए बड़े बंगलों की कतारें हुआ करती थी।

हर शहर में क्यों होता है सिविल लाइंस?

Civil Lines meaning

ब्रिटीश लोगों ने हर शहर में एक ऐसी जगह, जो मुख्य केंद्र की तरह काम करें। उसका नाम सिविल लाइंस रखा। सिविल लाइंस ब्रिटिश शासन की शक्ति, श्रेष्ठता और अलगाव का प्रतीक भी थे। यहां रहने वाले अंग्रेज अधिकारी खुद को स्थानीय आबादी से अलग रखते थे, जो उनके सामाजिक दर्जे को दर्शाता था। आजादी के इतने दशकों बाद भी, ये सिविल लाइंस अपनी मूल पहचान को बरकरार रखे हुए हैं। हालांकि बदलते दौरा के साथ भले ही अब यहां भारतीय अधिकारी या लोग रहते हों। लेकिन आज भी इन इलाकों में एक विशिष्ट कॉनिकल आभा महसूस की जा सकती है, जो हमें उस दौर की याद दिलाती है जब भारत एक बिल्कुल अलग देश था।

सिविल लाइंस नाम के इलाके में आपको शहर के मुख्य बाजार, भीड़भाड़ वाले भारतीय मोहल्लों और औद्योगिक क्षेत्रों से दूर, स्ट्रैटजी रूप से विकसित किया जाता था। ब्रिटिश अधिकारी अपने यूरोपीय जीवनशैली को बनाए रखने के लिए एक शांत, स्वच्छ और नियंत्रित वातावरण चाहते थे। इन सिविल लाइंस में सिर्फ बंगले ही नहीं होते थे, बल्कि चौड़ी सड़कें, हरे-भरे लॉन, क्लब, चर्च और टेनिस कोर्ट जैसी सुविधाएं भी होती थीं, जो ब्रिटिश समुदाय के मनोरंजन और सामाजिक मेलजोल का केंद्र थीं। सिविल लाइंस एक प्रकार का ब्रिटीश राज के समय में 'मिनी-इंग्लैंड' था, जिसे भारतीय उपमहाद्वीप में स्थापित किया गया था।

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