क्या आप जानते हैं कब और कैसे हुई थी साबुन की शुरुआत? जानें इनकी रोचक कहानी

क्या आपने कभी सोचा है जिस साबुन से आप रोज सुबह नहाते हैं आखिर कब और कैसे इसका आविष्कार हुआ? अगर नहीं तो आज हम आपको साबुन से जुड़ा रोचक इतिहास बताने जा रहे हैं।
Origin of soap

अधिकतर सभी घरों में हर रोज सुबह नहाने के लिए बाथरूम में साबुन का इस्तेमाल होता है। यह हमारे शरीर और हाथ-पैरों की सफाई करने के काम आता है। इसके अलावा साबुन का हम कपड़े धोने के लिए भी प्रयोग करते हैं। ऐसे में यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का चीज है। साबुन का इस्तेमाल आज से नहीं सदियों से चला आ रहा है। समाज के हर वर्ग का व्यक्ति इसका यूज करता है। बाजारों में आपको कई तरह की खुशबू वाले साबुन मिल जाएंगे। जिनको आप अपनी पसंद के हिसाब से खरीद सकती हैं। महक वाले साबुन से नहाकर हमारा पूरा बदन खिल उठता हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है हर दिन जिस साबुन को आप इस्तेमाल करते हैं आखिर इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी। आज हम आपको साबुन से जुड़ा रोचक इतिहास बताने जा रहे हैं।

कैसे और कब हुई साबुन बनाने की शुरुआत?

साबुन बनाने को लेकर कई प्रकार की कहानियां प्रचलित हैं। इतिहासकारों ने इसको लेकर अलग-अलग प्रमाण दिए हैं। ऐसे में एक ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, साबुन बनाने की शुरुआत सबसे पहले बेबीलोन, मिस्र, रोमन और ग्रीक सभ्यताओं में देखने को मिली थी। उस समय साबुन को तेल और लकड़ी के चूरे से बनाया जाता था। इतिहासकारों मुताबिक साबुन बनाने के सबसे पहला प्रमाण लगभग 2800 ईसा पूर्व मेसोपोटामिया में मिला था। यहां के लोग साबुन बनाने के लिए जानवरों की चर्बी और लकड़ी का चूरा लेते थे। जिससे वो कपड़े और ऊन धोने के लिए इस्तेमाल करते थे।

Soap history

कैसे पड़ा 'सोप' (Soap) नाम?

अब सवाल यह आता है आखिर किस तरह साबुन को सोप शब्द मिला। इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है, जानकारी के मुताबिक साबुन का सोप (soap) नाम रोम की "माउंट सोपो" नामक पहाड़ी से मिला है। यह जगह जानवरों की बलि के लिए प्रसिद्ध मानी जाती थी। ऐसे में जानवरों की बलि जब दी जाती थी तो जानवरों की चर्बी बहकर मिट्टी में मिल जाती थी। इसके बाद एक चिकना और फिसलन वाला पदार्थ बन जाता था। ऐसे में लोगों ने देखा इस पदार्थ से कपड़े आसानी से साफ हो जाते हैं। इसके बाद से ही लोग इसका इस्तेमाल नहाने और कपड़े धोने के लिए करने लगे। जिसके बाद आगे चलकर अंग्रेजी भाषा में इसका नाम इसका ही नाम 'सोप' पड़ा। यह शब्द लैटिन के ‘Sapo’ से निकला, जिसका अर्थ होता है "साबुन" जैसा पदार्थ।

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Origin of soap

आधुनिक युग में कैसे हुई साबुन की शुरुआत?

समय बढ़ने के साथ विज्ञान की ने तरक्की और हर दिन नए अविष्कार करना शुरू कर दिया। इसके बाद 18वीं और 19वीं शताब्दी में विज्ञान के चलते साबुन का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हुआ। इसी दौर में फ्रांसीसी वैज्ञानिक निकोलस लेब्लांक ने क्षार बनाने का तरीका खोजा। इसके बाद से साबुन का व्यवसाय काफी सस्ता हो गया है और इसके बाद अमीर से लेकर हर वर्ग साबुन का इस्तेमाल करने लगा। आज साबुन का यूज आपको हर घर में देखने को मिल जाएगा।वर्तमान समय में साबुन केवल सफाई नहीं बल्कि स्वास्थ्य और सौंदर्य का भी प्रतीक बन गया है।

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Image Credit: Freepik

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