'वर्जिन पत्नी मत ढूंढ़ो' बयान पर प्रियंका चोपड़ा बोलीं ये मैं नहीं हूं, लेकिन समाज को जवाब देना होगा कि महिलाओं को आखिर क्यों सिर्फ चरित्र से तौला जाता है?

ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा आजकल एक पोस्ट की वजह से चर्चा में आ गई हैं। हालांकि, एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर इस पोस्ट को फेक बताया है और इससे पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन, सवाल यह उठता है कि क्या महिलाओं की वर्जिनिटी ही उनका चरित्र है?  
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इस समय ग्लोबल स्टार प्रियंका चोपड़ा एक पोस्ट को लेकर सुर्खियों में हैं और उनकी पोस्ट बहुत वायरल भी हो रही है। हालांकि, प्रियंका ने इस पोस्ट से साफ इनकार किया है और उनका कहना है कि उनके नाम से एक झूठा बयान फैलाया जा रहा है।

आपको बता दें कि प्रियंका चोपड़ा के नाम से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें कहा गया है कि एक्ट्रेस ने कहा है, 'पत्नी के रूप में वर्जिन लड़की की तलाश मत करो। अच्छे आचरण वाली महिला ढूढो। वर्जिनिटी एक रात में खत्म हो जाती है, लेकिन शिष्टाचार हमेशा बना रहता है।'

इस पोस्ट के वायरल होने के बाद प्रियंका चोपड़ा ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर इस दावे वाले पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है कि ऑनलाइन जो दिखता है उस पर भरोसा न करें। एक्ट्रेस ने इसे झूठा बताते हुए लिखा है कि ये मैं नहीं हूँ, इसमें मेरी आवाज़ नहीं है। उन्होंने आगे कहा है कि आजकल ऑनलाइन फेक कॉन्टेंट बनाना और उसे वायरल करना आसान हो चुका है। ऐसे कॉन्टेंट को पहले जांचें और फिर उस पर विश्वास करें। ऑनलाइन सुरक्षित रहें।

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हालांकि, प्रियंका चोपड़ा ने इस पोस्ट से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि समाज महिलाओं की बुद्धिमत्ता से ज्यादा उनकी वर्जिनिटी पर ध्यान क्यों देता है और क्या सिर्फ औरतों ने ही समाज में चरित्रवान बनने की जिम्मेदारी ले रखी है?

क्या महिलाओं की वर्जिनिटी ही उनका चरित्र है?

आज हम डिजिटल और AI के जमाने में जी रहे हैं, जहां टेक्नोलॉजी और विज्ञान बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। लेकिन, जब बात उनकी शादी, रिश्ते या समाज में उनकी पहचान की आती है, तो सबसे पहले पूछा जाता है कि क्या वह अब भी वर्जिन हैं? हालांकि यह सवाल जितना निजी है, उतना ही बेतुका भी है। लेकिन, अफसोस की बात यह है कि आज भी लोग यह सवाल पूछते हैं। खासकर रूढ़िवादी सोच रखने वाले समाज में इस तरह का सवाल केवल महिलाओं से ही पूछा जाता है, शायद ही पुरुषों से ऐसा कुछ पूछा जाता होगा।

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बुद्धिमत्ता से ज्यादा शरीर पर ध्यान क्यों?

हमारे समाज में महिलाओं के शरीर को ही उनके चरित्र का पैमाना बना दिया गया है। पढ़ाई में टॉप करने, करियर में सफलता पाने के बाद भी अगर किसी महिला से उसकी सेक्सुअल हिस्ट्री के बारे में पूछा जाता है, तो उसकी पूरी पहचान को उसी एक बात पर सीमित कर दिया जाता है। लेकिन, यह सवाल पुरुषों से क्यों नहीं पूछा जाता है और हम उनसे उनकी सेक्सुअल हिस्ट्री के बारे में क्यों नहीं पूछते? जवाब साफ है कि समाज आज भी महिलाओं को संभालने वाली चीज समझता है, न कि एक आजाद और समझदार इंसान।

Priyanka Chopra viral statement

क्या चरित्रवान बने रहने की जिम्मेदारी केवल महिलाओं की है?

बचपन से ही लड़कियों को सिखाया जाता है कि खुद को संभालकर रखो, ज्यादा हंसो मत, देर रात तक बाहर मत घूमो और लड़कों से दूर रहो वगैरह-वगैरह। क्या कभी लड़कों को यह सिखाया जाता है कि लड़कियों की इज्जत करना तुम्हारी जिम्मेदारी है? जवाब होगा शायद नहीं। समाज आज भी लड़के और लड़कियों को लेकर भेदभाव करता है। चरित्रवान और संस्कारी होना केवल महिलाओं की जिम्मेदारी है। अगर कुछ गलत होता है, तो सवाल लड़की पर उठाया जाता है।

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वर्जिनिटी एक फिजिकल फैक्ट है, न कि करैक्टर सर्टिफिकेट

लड़की वर्जिन है या नहीं, यह कोई मोरल सर्टिफिकेट नहीं है। यह एक प्राइवेट और फिजिकल एक्सपीरियंस है, न कि कोई करैक्टर सर्टिफिकेट। लेकिन, समाज इसे एक सम्मान की मुहर की तरह देखता है, जो अगर एक बार चली गई, तो महिला को नीचा आंका जाता है। क्या किसी पुरुष से कभी पूछा गया है कि वह वर्जिन है या नहीं? अगर पुरुष बोलता है कि नहीं, तो क्या लोग इसे उसकी मर्दानगी से जोड़ेंगे? आखिर क्यों महिला की वर्जिनिटी को इतना बड़ा मुद्दा बनाया जाता है?

बदलते दौर में भी सोच क्यों नहीं बदली?

आज भी महिलाएं कितना भी आगे बढ़ जाएं, लेकिन शादी से पहले अगर कोई महिला अपनी इच्छा से रिश्ता बना ले, तो उस पर समाज उंगली उठाने लगता है। क्या आज भी समाज को महिला द्वारा खुद के लिए लिया गया फैसला हजम नहीं होता है? लेकिन, अब समय आ गया है कि महिलाएं खुद के लिए खड़ी हों और कहें कि हमें हमारी शिक्षा, सोच, मेहनत और आत्म-सम्मान से आंकिए, न कि हमारी वर्जिनिटी से।

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Image Credit - freepik, instagram
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