
दिवाली इस साल 31 अक्टूबर, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। दिवाली के दिन जहां एक ओर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का विधान है। वहीं, दूसरी ओर इस दिन व्रत कथा भी सुनना एवं पढ़ना शुभ और लाभकारी माना जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि क्या है दिवाली की व्रत कथा और इसे पढ़े या सुने बिना अधूरी अमानी जाती है दिवाली की पूजा। साथ ही जानेंगे दिवाली व्रत कथा के लाभ।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक गांव में साहूकार अपनी पत्नी और अपनी बेटी के साथ रहता था। साहूकार की बेटी रोजाना एक पीपल के पेड़ के पास जाया करती थी दीपक जलाने के लिए। एक बार जब साहूकार की बेटी पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने पहुंची तब मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी को दर्शन दीये क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है।
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मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी की श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अपनी सहेली बना लिया और साहूकार की बेटी को सोने-चांदी के बर्तन में भोजन कराया। इसके बाद साहूकार की बेटी ने भी मां लक्ष्मी को अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रण दिया। साहूकार की बेटी ने सबकुछ घर जाकर अपने माता-पिता को बताया और मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए तैयारी करना शुरू कर दिया।

साहूकार बहुत गरीब था लिहाजा साहूकार की बेटी को बहुत दुख हो रहा था कि माता लक्ष्मी का वैभव बहुत बड़ा है ऐसे में उसकी सेवा मां लक्ष्मी को प्रसन्न नहीं कर पाएगी, लेकिन साहूकार ने अपनी बेटी को समझाया कि पूर्ण श्रद्धा से एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकार और थोड़े से फूल डालकर बस मां का पूर्ण श्रद्धा से आवाहन करे। जब साहूकार की बेटी ने ऐसा किया तो मां लक्ष्मी प्रकट हो गईं।
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मां लक्ष्मी ने मिट्टी के बर्तन में साहूकार की बेटी के यहां सादा भोजन किया और साहूकार की बेटी की भक्ति देख साहूकार के घर को गरीबी से मुक्त कर दिया। मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से साहूकार के घर में धन-धान्य, ऐश्वर्य, वैभव और सुख-समृद्धि का वास स्थापित हुआ और साहूकार के सभी कष्ट दूर हो गए। यहां तक कि साहूकार की बेटी का विवाह भी धन-संपदा से संपन्न घर में हुआ।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर दिवाली के दिन पूजा के दौरान कौन सी कथा सुननी या पढ़नी चाहिए और क्या हैं उससे मिलने वाले लाभ।
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