
महाशिवरात्रि का पर्व सनातन धर्म में बड़ी ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। विशेषकर शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है। इस दिन पूरा देश भगवान शिव की भक्ति में लीन रहता है। चाहे काशी की पवित्र नगरी हो, उज्जैन हो या फिर देवघर, हर जगह शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भक्त शिव मंत्रों का जाप करते हैं और व्रत रखते हैं। वहीं उज्जैन में विशेष रूप से नौ दिनों तक शिव नवरात्रि मनाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि शिव नवरात्रि के इन नौ दिनों में महाकाल को दुल्हे की तरह सजाया जाता है और विधिवत रूप से मंत्रोंच्चारण के साथ-साथ आरती की जाती है। अब ऐसे में महाशिवरात्रि और शिव नवरात्रि में क्या अंतर है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है, और इनमें से एक उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यहाँ महाशिवरात्रि से 9 दिन पहले, शिव नवरात्रि का अनोखा पर्व मनाया जाता है। यह उत्सव देश में केवल उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ही मनाया जाता है। जिस प्रकार विवाह से पहले विभिन्न परंपराएं निभाई जाती हैं, जैसे हल्दी-मेहंदी की रस्म, उसी प्रकार शिव नवरात्रि में भगवान महाकाल को चंदन का लेप लगाया जाता है और फिर मेहंदी लगाई जाती है। 9 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में, महाकालेश्वर को विभिन्न प्रकार के श्रृंगार से सजाया जाता है। इस वर्ष, 17 फरवरी को शिव पंचमी के पूजन के साथ ही शिव नवरात्रि की शुरुआत होगी। यह उत्सव महाशिवरात्रि तक चलेगा और इसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जो लोग सच्चे मन से बाबा महाकाल की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शिव नवरात्रि के दौरान व्रत और उपवास रखने का भी विशेष महत्व है। यह व्रत महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के बाद ही तोड़ा जाता है।
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महाशिवरात्रि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन को शिव भक्त बहुत ही महत्वपूर्ण मानते हैं और इसे बड़ी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन भक्त अपने आराध्य देव भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंदिर जरूर जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और रात्रि भर जागरण करते हैं। इस दिन शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है और उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित किए जाते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और मिलन का प्रतीक है। यह पर्व भक्तों को भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
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Image Credit- HerZindagi
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