Dev Diwali Vrat Katha 2024: देव दिवाली के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, सुख-सौभाग्य में होगी वृद्धि

Dev Diwali Vrat Katha or Kahani 2024: देव दीपावली का मुख्य उद्देश्य अंधकार पर प्रकाश की जीत दिलाना है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं, तो यह व्रत कथा पढ़ने से आपको पुण्य फलों की प्राप्ति हो सकती है। 
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हिंदू धर्म में देव दिवाली के पर्व को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर को दिवाली से भी बड़ा स्थान दिया गया है क्योंकि इसमें सभी देवी-देवता साक्षात पृथ्वी पर आते हैं और दीपोत्सव मनाते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए देव दिवाली के दिन विधिवत रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें और उनसे अपनी सभी इच्छाएं कहें। इतना ही नहीं, इस दिन स्नान-दान के साथ-साथ दीपदान का भी विशेष महत्व है। अब ऐसे में अगर आप देव दिवाली के दिन व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन व्रत कथा पढ़ने व सुनने का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं इस व्रत कथा के बारे में जो आपको उस शुभ दिन का पूर्ण फल दिलाने में मदद करेगी।

देव दिवाली के दिन व्रत कथा के बारे में पढ़ें (Dev Diwali Vrat Katha or Kahani 2024)

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय था जब त्रिपुरासुर नामक राक्षस मे तीनों लोक में अपना राज स्थापित कर लिया था। त्रिपुरासुर को वरदान मिला था कि उसका वध किसी भी प्राणी से और देवी-देवता न हो पाए। त्रिपुरासुर का वध तभी हो सकता है। जब बुध, शनि और राहु एक ही सीध में हो। अब समस्या यह थी कि अगर एक सीध में सभी ग्रह आ गए, तो पूरे संसार में प्रलय आ जाएगा। लेकिन भगवान गणेश ने इस समस्या के लिए हल निकाला।

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भगवान गणेश ने अपने गोद में पृथ्वी को रखा और अपने कानों से सभी को ढक लिया, ताकि युद्ध के दौरान होने वाले कंपन से कोई आहात न हो। पूरी पृथ्वी भगवान गणेश के गोद में सुरक्षित थी। उसके बाद भगवान शिव ने तीनों ग्रहों को एक सीध में आने के लिए कहा। उसके बाद यह जानते हुए कि त्रिपुरासुर का मरना निश्चित है। वह फिर भी भगवान शिव से युद्ध करने के लिए गया। उसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया। जिसके बाद भगवान शिव का नाम त्रिपुरारी पड़ा।

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आपको बता दें, यह युद्ध कुल 17 दिन तक चला था। जिसके कारण सभी देवी-देवताओं ने 17 हजार करोड़ दीपक जलाएं और देव दिवाली मनाई थी। वहीं भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन स्वयं काशी आकर महादेव ने कार्तिक स्नान किया था।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • देव दीपावली के दिन क्या होता है?

    देव दीपावली के दिन दीप दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन को देवताओं की दिवाली के रूप में मनाया जाता है। 
  • देव दिवाली की पूजा कैसे की जाती है?

    देव दिवाली के दिन प्रातः जल्दी उठकर गंगा स्नान किया जाता है और उसके बाद पूजन शुरू किया जाता है।