सनातन धर्म में छठ पूजा का पर्व सुख-समृद्धि माना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी संतान और परिवार की खुशी और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। छठ पूजा शुद्धता का प्रतीक है। इस पर्व में विशेष रूप से कोई भी काम शुद्धि से करने की जरूरत होती है। इतना ही नहीं छठ के प्रसाद को घर में रखने के लिए एक कमरे को भी खाली कर दी जाती है। छठ महापर्व माता सीता से लेकर द्रौपदी तक ने पूरे विधि से निभाया है। छठी माता की महिमा अपरंपार है। अब ऐसे में छठ के चौथे दिन सूर्यदेव को उषाकाल अर्घ्य देने के बाद इसका समापन हो जाता है, लेकिन इस महापर्व का पारण किस विधि से करना चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
छठ व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त क्या है?
छठ व्रत का पारण सुबह उषाकाल में सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। वहीं इस साल छठ का पारण 08 नवंबर को किया जाएगा। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य शुभ मुहूर्त में दें और उसके बाद घर आकर पारण करें।
छठ महापर्व का पारण किस विधि से करें?
- सबसे पहले सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
- इस दिन महिलाओं को नाक से मांग तक सिंदूर लगाने की मान्यता है।
- अर्घ्य देने के बाद घाट पूजन जरूर करनी चाहिए और फिर घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लें।
- उसके बाद छठी माता को अर्पित किए प्रसाद सभी को बांटें। ऐसी मान्यता है कि इस महापर्व का प्रसाद जितना बांटा जाएं, उतने ही व्रत का शुभ फल व्रती को मिलता है।
- मान्यताओं के अनुसार, कई व्रती सूर्यदेव की उपासना करने के बाद पीपल के पेड़ की भी पूजा करते हैं। अगर आप करते हैं, तो विधिपूर्वक करें।
- छठ व्रत का पारण सबसे पहले अदरक और गुड़ खाने के साथ किया जाता है और फिर गुनगुना पानी या चाय ग्रहण की जाती है। इसके बाद आप प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मिठाई और फल आदि ग्रहण करके छठ व्रत का पारण विधिवत रूप से कर सकते हैं।
- छठ व्रत का पारण करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। पारण के बिना छठ का व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है।
- व्रत के पारण में कभी भी मसालेदार भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।
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छठ महापर्व का पारण करने के दौरान किन नियमों का पालन करें?
- छठ महापर्व का पारण एक पवित्र अनुष्ठान है और इसे विशेष नियमों के साथ किया जाता है। पारण के दौरान इन नियमों का पालन करने से पूजा का फल प्राप्त होता है और मन को शांति मिलती है।
- पारण के समय छठी माता को चढ़ाए गए प्रसाद को ही ग्रहण करें।
- पारण करने के दौरान मंत्रों का उच्चारण करें और छठी माता का ध्यान करें।
- प्रसाद ग्रहण करने से पहले आचमन करें।
- पारण के दौरान मन में कोई भी नकारात्मक विचार न रखें।
- पारण के समय परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।
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