History Of Channapatna Toys: भारत को खिलौनों का हब बनाने की दिशा में तैयारी और तेज हो गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट में की विशेष घोषणा ने इस पर मुहर लगाई है। उन्होंने बताया कि भारत में खिलौना उद्योग के लिए मेक इन इंडिया के तहत एक विशेष योजना लाई जाएगी। बता दें कि पिछले कई वर्षों से सरकार खिलौना के बाजार को दुनिया का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहा है। पीएम मोदी ने मन की बात सेशन के दौरान कर्नाटक के मशहूर खिलौने चन्नापटना का जिक्र करते हुए भारतीय खिलौनों को बढ़ावा देने की बात कही थी। क्या आपको पता है कि चन्नापटना खिलौना क्या है और यह क्यों लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
क्या है चन्नापटना खिलौना?
चन्नापटना खिलौना कर्नाटक राज्य के चन्नापटना नामक शहर का प्रसिद्ध पारंपरिक लकड़ी से बने खिलौनों का एक विशेष प्रकार है। यह खिलौना भारतीय हस्तशिल्प कला का हिस्सा है, जो अपनी रंग-बिरंगी और आकर्षक डिजाइन के लिए दुनियाभर में मशहूर है। चन्नापटना खिलौने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। यह लकड़ी से बने खिलौने पूरी तरह से हाथ से तैयार किए जाते हैं और इन्हें प्राकृतिक लकड़ी जैसे सागवान से बनाया जाता है। इन खिलौनों में नेचुरल रंगों का उपयोग किया जाता है, जो बच्चों के लिए सुरक्षित होते हैं।
चन्नापटना खिलौनों का टीपू सुल्तान से क्या है कनेक्शन?
चन्नापटना खिलौनों का इतिहास टीपू सुल्तान से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि टीपू सुल्तान ने इस शिल्प कला को बढ़ावा दिया और इसे राज्य में प्रोत्साहित किया। उस दौर से लेकर आज तक, चन्नापटना में यह कला जीवित है और कारीगर इसे पारंपरिक तरीकों से बनाते आ रहे हैं। बता दें कि चन्नापटना खिलौने को जीआई टैग (Geographical Indication) मिल चुका है, जिससे इनकी पहचान और वैश्विक बाजार में प्रतिष्ठा बढ़ी है। यह खिलौने भारत के सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा माने जाते हैं और दुनिया भर में निर्यात किए जाते हैं।
खिलौनों का शहर कर्नाटक
कर्नाटक में स्थित चन्नापटना शहर को खिलौनों का शहर कहा जाता है। यहां के लोगों के आमदनी का मुख्य सोत्र चन्नापटना खिलौने हैं। बता दें कि 18वीं शताब्दी में टीपू सुल्तान को फारस से लकड़ी से बना खिलौना तोहफे में मिला था। इस खिलौने से खुश होकर सुल्तान न कारीगरो को भारत बुलाया था और इस कला से अवगत कराया था। इसके बाद यह कला सीखने वाले कारीगर भारत के इस शहर में बस गए, जिसके बाद इस कला को बढ़ावा मिला।
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Image credit- Freepik
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