अहमदाबाद विमान दुर्घटना में जहां सब कुछ हो गया खाक, वहीं भगवदगीता का एक पन्ना भी नहीं जला...जानिए ऐसे ईश्वरीय चमत्कार जो आपदाओं में आए नजर

कई बार प्राकृतिक आपदाओं और घटनाओं के दौरान ऐसी कई चौंकाने वाली बातें होती हैं जिसके बारे में हम सब सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। ऐसे ही अहमदाबाद विमान दुर्घटना में कुछ बातें सामने आईं हैं जैसे भगवद गीता का बचना। आइए जानें ऐसे ही कुछ चमत्कारों के बारे में जो ईश्वरीय शक्ति को बयां करती हैं।
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प्राकृतिक आपदाएं और आकस्मिक दुर्घटनाएं हमारे जीवन को अचानक से बदल कर रख देती हैं। न जाने कितने हंसते खेलते घर उजड़ जाते हैं और कितनों की हंसी गम में बदल जाती है। ये आपदाएं न केवल हमारे घरों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि हमारे विश्वास और आस्था पर भी कई तरह के प्रश्न चिह्न लगा सकती हैं। कई बार जब संसार प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों या हादसों की चपेट में आता है, तब जाने-अनजाने कई बार कुछ ऐसे चमत्कारी दृश्य भी सामने आते हैं जो विज्ञान से परे होते हैं। कई ऐसे चमत्कार जो हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं और ये बताते हैं कि वास्तव में ईश्वर के अस्तित्व को नाकारा नहीं जा सकता है। हाल ही में अहमदाबाद प्लेन क्रैश में एक बात जो चर्चा का विषय बनी है वो यह है कि जिस प्लेन में मौजूद 242 लोगों में से 241 की तुरंत ही मृत्यु हो गई और जिसमें मौजूद लगभग सारा सामान जल गया, उस दुर्घटना में भगवदगीता और लड्डू गोपाल की एक छोटी मूर्ति पूरी तरह से सुरक्षित बाहर निकल आई।

वास्तव में यह एक ऐसा घटना है जो ईश्वर के प्रति श्रद्धा को बढ़ाती है। यही नहीं पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं जैसे साल 2013 में उत्तराखंड की भीषण बाढ़ के समय केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग बिल्कुल सुरक्षित बचा था। आइए आपको बताते हैं ऐसे कई और उदाहरणों के बारे मेंजोईश्वर की शक्ति को दिखाते हैं।

अहमदाबाद विमान दुर्घटना और भगवद गीता

bhagvad gita found safe in Plane crash

12 जून को घटित हुई अहमदाबाद विमान दुर्घटना एक ऐसी घटना थी जिसमें विमान और उसमें बैठे लगभग सभी लोग ख़त्म हो गए, यही नहीं इसमें मौजूद सामान भी जलकर खाक हो गया। ऐसे में भगवदगीता का सुरक्षित निकलना एक चमत्कार जैसा ही लगता है। हालांकि इस भगवद्गीता का कवर थोड़ा जल गया है, लेकिन इसके पन्ने पूरी तरह से सुरक्षित थे। यह देखकर सभी लोगों को हैरानी भी हो रही है और ये ईश्वरीय शक्तियों को भी उजागर करती है। यही नहीं जलने से बचे हुए कुछ और सामानों के साथ लड्डू गोपाल की एक मूर्ति भी सुरक्षित अवस्था में मिली है। यह घटनाएं न केवल एक चमत्कार हैं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव का संकेत भी देता है।

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उत्तराखंड बाढ़ और केदारनाथ मंदिर

ऐसी ही एक चमत्कारिक घटना थी 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के समय केदारनाथ मंदिर में शिवलिंग का सुरक्षित होना। उत्तराखंड में बादल फटने से आई भीषण बाढ़ में न सिर्फ केदारनाथ मंदिर को अपनी चपेट में ले लिया बल्कि इसके आस-पास के क्षेत्र को पूरी तरह से पानी में डुबो दिया। उस बाढ़ में न जाने कितने लोग बेघर हो गए और कई लोग जीवन से ही हाथ धो बैठे, लेकिन ईश्वर अविनाशी है इस बात का एक जीता-जागता उदाहरण था केदारनाथ का शिवलिंग जिस पर बाढ़ का भी कोई असर न हो सकता। वास्तव में ये किसी चमत्कार से कम न था। ऐसा कहा जाता है कि बाढ़ के दौरान एक विशालकाय चट्टान मंदिर के पीछे आकर रुकी, जिसने बाढ़ के रौद्र प्रवाह को मंदिर के भीतर जाने से रोक दिया। हालांकि आज भी विज्ञान इस बात की कोई पुष्टि नहीं करता है, लेकिन श्रद्धालु इसे भगवान शिव की कृपा ही मानते हैं।

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ऋषिकेश की बाढ़ और भगवान शिव की मूर्ति

rishikesh temple in flood

ऋषिकेश में स्वर्गाश्रम के पास स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम की पहचान ही शिव की विशाल मूर्ति से होती है। ऋषिकेश में न जाने कितनी बार भीषण बाढ़ आई लेकिन इन सभी बढ़ में मूर्ति को कोई क्षति नहीं पहुंची। यहां तक की 2013 में आई बाढ़ के दौरान भी शिव मूर्ति पूरी तरह से सुरक्षित ही थी। वास्तव में ये किसी चमत्कार से कम नहीं है।

सोमनाथ मंदिर बार-बार टूटकर फिर से बना

गुजरात में मौजूद सोमनाथ मंदिर को भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में एक माना जाता है और इसे ज्योतर्लिंग का दर्जा भी मिला हुआ है। ऐसे मान्यता है की मुग़ल शासकों ने इस मंदिर को कई बार लूटा और इसकी समृद्धता को देखकर गजनवी ने इस पर 17 बार हमला किया। इसके बाद वह मंदिर फिर से तैयार हो गया जो किसी चमत्कार से कम नहीं था।

रामेश्वरम मंदिर पर नहीं हुआ सुनामी का असर

2004 की विनाशकारी सुनामी ने भारत के तटीय इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया था। तमिलनाडु में हजारों लोगों की जान भी गई और गांव उजड़ गए। लेकिन उस समय भी रामेश्वरम मंदिर जो समुद्र के बेहद निकट है, चमत्कारिक रूप से पूरी तरह से सुरक्षित रहा। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है और यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। स्थानीय पुजारियों का कहना है कि सुनामी के दौरान समुद्र की लहरें मंदिर की सीमा तक आकर अपने आप ही वापस लौट गईं।

ऐसी कई घटनाएं हैं जो ईश्वर के चमत्कार को दिखाती हैं और हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या ईश्वरीय शक्ति को नकारना ठीक है?आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Images: freepik.com

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