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Barsana Lathmar Holi Kab Hai 2023: बरसाना में इस दिन खेली जाएगी लट्ठमार होली, जानें महत्व

आज हम आपको बरसाना की होली की तिथि और उसके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।&nbsp; &nbsp;&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-02-28, 18:12 IST

Barsana Holi 2023: 8 मार्च, दिन बुधवार को देश-विदेश में होली का पर्व मनाया जाएगा। वहीं, ब्रज की बात करें तो यहां पहली होली बरसाने में खेलकर शुरू की जाती है। यानी कि ब्रज धाम में बरसाने की लठमार होली से फ़ाग खेलने का शुभारंभ होता है। ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं बरसाने में किस दिन खेली जाएगी लट्ठमार होली औ र्क्य है उसका महत्व।

कब है लट्ठमार होली 2023 (Lathmar Holi Kab Hai 2023)

barsana ki lathmar holi

ब्रज धाम में इस साल लट्‌ठमार होली 28 फरवरी 2023, दिन मंगलवार को खेली जाएगी। इस दिन बरसाना के राधा रानी (कैसे बनी राधा रानी किशोरी जी) मंदिर से लेकर गांव की गली-गली में रंग ही रंग उड़ता नजर आएगा। खास बात यह है कि बरसाना की लट्ठमार होली राधा कृष्ण के प्रेम को दर्शाती है इसी कारण से यहां खेली जाने वाली होली में प्रयोग होने वाले रंग टेसू के फूलों से बनते हैं।

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क्या है लट्ठमार होली का महत्व? (Kya Hai Lathmar Holi Ka Mahtava)

lathmar holi kab hai

पौराणिक कथाओं के अनुसार, फाग माह के दौरान नंदगांव के नटखट ग्वालों को लेकर कन्हैया बरसाने की राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ होली खेलने और उन्हें सताने बरसाने जाते थे। हंसी ठिठोली के बीच राधा रानी और अन्य गोपियां कन्हैया और सभी ग्वाल-बालों के पीछे-पीछे छड़ी लेकर भागते थीं।

यही हंसी ठिठोली और होली (होली के टोटके) खेलने का तरीका धीरे-धीरे परंपरा में परिवर्तित हो गया और तब से बरसाने की महिलाएं और नंदगांव के पुरुष लट्‌ठमार होली खेलते आ रहे हैं। जहां एक ओर नंदगांव के पुरुष कमर पर फेंटा बांधकर कान्हा की ढाल के साथ होली खेलते हैं तो वहीं, महिलाएं राधा रानी की भूमिका निभाते हुए लाठियों के साथ हुरियारों के संग फाग खेलती हैं।

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इसके अलावा, पहले दिन बरसाने की गोपियां नंदगांव के हुरियारों का स्वागत करती हैं तो वहीं, दूसरे दिन नंदगांव की महिलाएं बरसाने के पुरुषों का स्वागत कर उनके साथ होली खेलने का शुभारंभ करती हैं। मान्यता है कि लट्ठमार होली खेलने के दौरान अगर किसी को चोट भी आ जाती है तो कोई दवाई नहीं लगाता बल्कि श्री कृष्ण और राधा रानी का नाम लेकर वहीं आस-पास पड़ी रज यानी कि मिट्टी उठाकर लगा लेते हैं और चोट ठीक भी हो जाती है।

तो इस दिन से खेली जाएगी बरसाने में लट्ठमार होली और ये था उससे जुड़ा महत्व। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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