आजकल के Gen Z बच्चे 9-5 की नौकरी करने से ज्यादा फ्रीलांसिंग काम करना पसंद करते हैं। आज के डिजिटल दौर में फ्रीलांसिंग काफी पॉपुलर हो चुका है और इसमें आप काम कहीं से भी, कभी भी कर सकते हैं। फ्रीलांसिंग में आप अपने समय के मालिक होते हैं और आप तय कर सकते हैं कि आपको किस क्लाइंट के साथ काम करना है और किसके साथ नहीं। आजकल हर सेक्टर में फ्रीलांसिंग काम मिलना शुरू हो गया है और इसमें आजादी और फ्लेक्सिबिलिटी दोनों हैं। लेकिन, इस आजादी के साथ एक बड़ी जिम्मेदारी भी जुड़ी हुई है, और वह है ITR (आयकर रिटर्न) सही समय पर दाखिल करना।
जहाँ नौकरीपेशा लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना आसान होता है, वहीं फ्रीलांसर्स को अपनी इनकम, खर्च और टैक्स का हिसाब खुद रखना पड़ता है। यह काम शुरुआत में थोड़ा कठिन लगता है, लेकिन अगर आप जरूरी बातों का ध्यान रखते हैं, तो ITR फाइल करना आपके लिए भी आसान हो सकता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में 5 जरूरी बातें बताने वाले हैं, जो हर फ्रीलांसर को ITR दाखिल करते समय ध्यान में रखनी चाहिए।
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1. कौन-सा ITR फॉर्म भरना है?
अगर आप फ्रीलांसिंग का काम करते हैं, तो आपकी कमाई को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम मानता है। अगर आपकी फ्रीलांस इनकम 50 लाख रुपये से कम है और आप टैक्स से जुड़ी पेचीदगियों से बचना चाहते हैं, तो आप सेक्शन 44ADA के तहत ITR-4 फॉर्म भर सकते हैं।
2. अपनी कमाई और खर्च का सही रिकॉर्ड रखना बहुत जरूरी है
अगर आप फ्रीलांसर हैं, तो आपके लिए यह जानना काफी नहीं है कि आपने कितना कमाया, बल्कि आपको यह भी पता होना चाहिए कि आपने अपने काम में कितना खर्च किया है।
आपको किन-किन चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहिए?
- आपको क्लाइंट से मिली पेमेंट का हिसाब रखना चाहिए। अगर किसी क्लाइंट ने पेमेंट से पहले TDS (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) काटा है, तो उसका भी रिकॉर्ड रखें।
- अगर आप फ्रीलांसिंग के दौरान इंटरनेट बिल, ऐप्स सब्सक्रिप्शन, लैपटॉप, मोबाइल या कैमरा जैसी चीज़ों की खरीददारी, क्लाइंट मीटिंग्स और प्रोफेशनल ट्रैवल का खर्च करते हैं, तो आपको उनका रिकॉर्ड मेंटेन करना चाहिए।
- जब आप ITR दाखिल करते हैं, तो आपको नेट इनकम बतानी होती है। इसका मतलब है कि कुल इनकम में से काम से जुड़े ख़र्च निकालकर जो रकम बचती है।
3. सेक्शन 44ADA क्या है?
कई बार फ्रीलांसर्स को यह तय करना कठिन हो जाता है कि सालभर में कितना खर्चा किया और उनके पास हर खर्च का रिकॉर्ड रखना भी मुश्किल होता है। ऐसे में आप सेक्शन 44ADA के तहत इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। मान लीजिए आपकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये से कम है, तो आप अपनी कमाई का 50 फीसदी हिस्सा प्रॉफ़िट मान सकते हैं। इसका मतलब है कि आपकी इनकम में से खर्च और डिडक्शन का डिटेल देना ज़रूरी नहीं है। इसको चुनने पर आपको सीधे ITR-4 फ़ॉर्म के जरिए बहुत आसान तरीके से ITR फाइल करना होता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी सालाना कमाई 20 लाख रुपये है और आप सेक्शन 44ADA चुनते हैं, तो आपकी नेट इनकम 10 लाख रुपये मानी जाएगी यानी 20 लाख का 50 फीसदी। आपको टैक्स इस 10 लाख रुपये की इनकम पर देना होगा।
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4. TDS और फॉर्म 26AS जरूर चेक करें
अगर आप किसी थर्ड पार्टी एजेंसी या प्लेटफॉर्म के लिए फ्रीलांसिंग करते हैं, तो अक्सर पेमेंट से पहले कंपनियां TDS (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) काट लेती हैं। इसका मतलब है कि आपके टैक्स का कुछ हिस्सा पहले ही सरकार को भेज दिया गया है। आपको बस इसे अपने ITR में दिखाना होता है और क्लेम करना होता है। इसके लिए आपको फॉर्म 26AS डाउनलोड करना होता है। यह एक स्टेटमेंट होता है जो दिखाता है कि कौन-कौन से क्लाइंट्स ने आपके PAN नंबर पर कितना TDS काटा है। इसके अलावा, आप ऐनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (Annual Information Statement) भी देख सकते हैं, जिसमें आपके बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट और TDS की सभी एक्टिविटीज की डिटेल्स होती हैं। अगर आप TDS सही से नहीं दिखाते हैं, तो आपको रिफंड नहीं मिलेगा।
5. अगर जरूरत हो तो एडवांस टैक्स जरूर भरें
अगर आपके ऊपर सालभर में 10 हजार रुपये से ज्यादा टैक्स बनता है, तो आपको यह टैक्स एक साथ नहीं बल्कि सालभर में 4 किस्तों में भरना होता है। इसे एडवांस टैक्स कहते हैं। अगर आप ITR फाइल करते समय पूरा टैक्स एक साथ एक बार में भरते हैं, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको लेट पेमेंट के लिए ब्याज लगा सकता है। यह ब्याज सेक्शन 234B और 234C के तहत लिया जाता है। वहीं, अगर आप धारा 44ADA यानी प्रिजम्पटिव टैक्स स्कीम को चुनते हैं, तो आपको पूरे साल में केवल एक बार 15 मार्च तक टैक्स भरना होता है। इसका मतलब है कि आपको 15 मार्च को पूरे प्रिजम्पटिव टैक्स का 100 फीसदी दे देना होता है और आपका काम हो गया।
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