काम करना आसान नहीं है, खासतौर पर कॉर्पोरेट वर्ल्ड में काम करने में अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। अब जिंदगी हंसी-खुशी से जीने के लिए पैसे चाहिए और पैसे के लिए काम करना जरूरी है, लेकिन कई बार ऐसा माहौल हो जाता है कि काम करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लगने लगता है। जिंदगी में दो चीजों को छोड़ना आसान नहीं होता, एक तो एक्स का मोह और दूसरा बिना ऑफर लेटर के कॉर्पोरेट काम। काम करना आसान है लेकिन काम करते रहना आपकी जिंदगी पर बहुत असर डाल सकता है। हंसी मजाक की बात अलग है, लेकिन ज़रा सोचिए काम करते-करते अगर किसी की जान चली जाए, तो यह कितनी सीरियस बात है।
हम अक्सर काम के प्रेशर को ऐसे ही मजाक में लेते हैं। वर्क प्रेशर को सीरियसली लेते हैं और इसका असर मेंटल हेल्थ पर होता है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने वाले मीम्स कॉर्पोरेट मजदूरों की कहानी कहते हैं। व्यंग्य और खुद पर हंसने वाली कॉमेडी से परे, वर्क प्रेशर बहुत ही सीरियस समस्या है जिसने ना जाने कितने लोगों को परेशान कर रखा है। भारत दुनिया के सबसे ज्यादा दुखी देशों में से एक है। यकीन नहीं आता तो आप हैप्पीनेस इंडेक्स की रिपोर्ट देख लीजिए जिसमें भारत 143 देशों का सर्वे किया गया था और इस रिपोर्ट में भारत 126वें नंबर पर आया है।
घर और बाहर का प्रेशर भारतीयों के दिमाग में बचपन से ही रहता है और उस पर कमाल कर देता है ऑफिस का प्रेशर। यही कारण है कि लोग स्ट्रेस, एंग्जायटी और कई सीरियस बीमारियों से जूझते रहते हैं। हाल ही में EY की एक कर्मचारी की मृत्यु ने कई सवाल खड़े कर दिए।
वर्क प्रेशर अगर हो, तो चुप नहीं रहना चाहिए और क्या करना चाहिए वह जानने के लिए हमने फोर्टिस हॉस्पिटल की साइकिएट्रिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की। डॉक्टर भावना का कहना है कि मेंटल हेल्थ के हिसाब से ऑफिस में दुखी रहना इमोशनल के साथ-साथ फिजिकल हेल्थ पर भी असर डालता है। ऐसे में आपको प्रैक्टिकल होकर सोचने की जरूरत होगी।
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अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा है, तो आपको कुछ स्टेप्स जरूर ध्यान रखने की जरूरत है।
'अरे वर्क प्रेशर तो ऐसा ही होता है, हर जगह ऐसा ही काम है', 'अरे अब तक तो आदत पड़ जानी चाहिए थी', 'हम तो रात 2 बजे तक काम करते हैं, आजकल इसकी वैल्यू ही नहीं...' ऐसी बातें गलत है। अगर आप प्रेशराइज महसूस कर रहे हैं, तो उसे एक्सेप्ट भी कीजिए कि आपके साथ गलत हो रहा है। आपको अपने इमोशन्स खुद ही पहचानने होंगे। क्या आपको अजीब लग रहा है, क्या आपके काम की वैल्यू नहीं की जा रही, क्या आप अपने काम को लेकर और ऑफिस वालों से जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा हो सकता है कि आपके इमोशन्स आपको कुछ बताने की कोशिश कर रहे हों। ऐसा हो सकता है कि अंदर ही अंदर आपकी परेशानी बढ़ रही हो।
अगर इमोशनल ब्रेकडाउन हो रहा है, तो पहचानिए उसे कि ट्रिगर कहां हैं और कैसे आपका गुस्सा फूट रहा है।
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अगर आपको पर्सनल खुशियों को एन्जॉय करने का समय नहीं मिल रहा है, तो आपके लिए यह गलत है। आपका काम आपके जीवन का हिस्सा बन रहा है। आपका काम इतना बढ़ चुका है कि पर्सनल लेवल पर एक छोटी सी खुशी भी आपके सामने नहीं आ पा रही है। ऐसे समय पर समझ जाएं कि अब वक्त है आपका बाउंड्री सेट करने का। आपके अपने ऑफिस में यह बताना होगा कि इसके आगे आपसे काम नहीं होगा। एक लिमिट से ज्यादा आप अपना पर्सनल समय नहीं दे सकते हैं। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो वर्क स्ट्रेस के कारण बर्नआउट की समस्या बनी रहेगी।
कई बार ऑफिस में नाखुश होने का कारण होता है आपकी पर्सनल ग्रोथ ना होना। किसी ऑफिस में आप लंबे समय से काम कर रहे हैं और वहां पर्सनल ग्रोथ की गुंजाइश नहीं बन पा रही है। ऐसे में दिक्कत तो महसूस होगी ही। ऐसे में आप अपने खुद के लिए गोल्स सेट करें। अगर आपको प्रमोशन नहीं मिल रहा है, अगर आपके काम में बार-बार कमी निकाली जा रही है, तो अपना काम बेहतर बनाने के साथ-साथ ऐसे ऑफिस की खोज करें जहां आपको बढ़त मिले। आपकी ग्रोथ होगी, तो आपको जॉब सैटिस्फैक्शन मिलेगा ही।
आप जिस समस्या से गुजर रहे हैं, हो सकता है कि आपके कलीग्स भी इसी समस्या से पीड़ित हों। आप उनसे कनेक्शन बनाएं और अपनी फीलिंग्स के बारे में शेयर करें। काम के प्रेशर के बीच भी बहुत अच्छी रिलेशनशिप बिल्ड हो सकती है। इसलिए आप अपने कलीग्स के साथ समय बिताएं और उनके साथ कुछ एक्टिविटीज भी प्लान करें। यह आपके दिमाग के प्रेशर को थोड़ा कम करने में मदद करेगा।
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अगर समस्या इतनी ज्यादा है कि आप उससे डील नहीं कर पा रहे हैं, तो आप किसी प्रोफेशनल की हेल्प लें। किसी प्रोफेशनल की मदद से आप अपने काम को ठीक से करने की कोशिश करें। अपने काम को बेहतर बनाना जरूरी है, लेकिन खुद की बेहतरी उससे भी ज्यादा जरूरी। अपने इशूज को लेकर बात करें। स्ट्रेस, एंग्जायटी, अलगाव आदि सब कुछ कहीं ना कहीं आपकी मेंटल हेल्थ को खराब कर सकता है। इसलिए इन्हें बेहतर बनाने की कोशिश करें।
ध्यान रखें कि काम के साथ-साथ अपनी सेहत भी जरूरी है।
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