अगर आप एक मां हैं और जब आप अपने बच्चे से कहती हैं ये मत करो, तो अक्सर वह उसका उल्टा ही करता है। ज्यादातर बच्चों की आदत होती है कि जो उनसे सवाल किया जाता है उसका जवाब वे अक्सर उल्टा ही देते हैं। कई बार तो आप इस पर ध्यान नहीं देतीं। लेकिन, समय के साथ आपके बच्चे की उल्टा जवाब देने वाली आदत आपको परेशान करने लगती है। आपको लगता है कि आपका बच्चा जिद्दी हो चुका है और उसे सीधा करने के लिए आपको खुद भी स्ट्रिक्ट बनना पड़ेगा।
लेकिन, यही वह पल होता है जब आपको थोड़ा रुकने और समझने की जरूरत होती है। आपको समझना होगा कि आखिर बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है। कई बार बच्चों को सही ढंग से जवाब देना तक नहीं आता, तो वे हर बात का उल्टा जवाब देने लग जाते हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी है कि आप बिना डांटे और लड़ाई किए हुए अपने बच्चे की भावनाओं को समझें और उसके उल्टा जवाब देने की आदत को सुधारें।आज हम इस आर्टिकल में कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप इस आदत को सुधार सकते हैं।
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जब बच्चा हर बात पर ना कहे, तो उसे जिद नहीं समझें
आपने देखा होगा कि 2 से 7 साल की उम्र वाले कई बच्चों में हर बात का उल्टा जवाब देने की आदत होती है। आप उनसे कहती हैं 'बैठ जाओ' तो वे खड़े हो जाते हैं। ऐसा बर्ताव ज्यादातर उस समय होता है जब आपके बच्चे की सोच बढ़ रही होती है और उन्हें आजादी चाहिए होती है। कई बार बच्चों का उल्टा जवाब देने का कारण स्ट्रेस, चिंता या नींद की कमी हो सकती है।
इसलिए, आपका बच्चा जब आपकी बात का उल्टा जवाब दे, तो आपको उसे डांटने की जगह पूछना चाहिए कि क्या वह थका हुआ है, डरा हुआ है या किसी बात से परेशान तो नहीं है। जब आप बच्चे से यह पूछती हैं, तो उसे आप पर भरोसा होने लगता है और वह आपके साथ खुलकर बात करने की कोशिश करने लगता है।
बच्चों को आदेश नहीं, विकल्प दें
चाहे बच्चा हो या बड़ा, जब आप किसी को आदेश देते हैं, तो सामने वाले को सुनना पसंद नहीं होता। ठीक ऐसे ही, बच्चों को अगर आप कहती हैं अभी खाओ, अभी सो जाओ और अभी कमरा साफ करो, तो उन्हें यह आदेश लगता है और वे उल्टा जवाब दे सकते हैं। इसलिए आपको अगर कोई काम करवाना है, तो अपनी बातचीत का टोन अच्छा रखें।
अपनी आवाज और रिएक्शन पर ध्यान दें
बच्चे बहुत सेंसिटिव होते हैं और वे आपके शब्दों, टोन और फेस एक्सप्रेशन को महसूस करते हैं। जब आप गुस्से या चिढ़ के साथ बात करते हैं, तो बच्चा आपको उल्टा जवाब देता है। जब आप प्यार से या अच्छे से बात करते हैं, तो बच्चा भी आपको सही से जवाब देता है। बच्चों को अक्सर अपनेपन और सुरक्षा की भावना चाहिए होती है।
बच्चे के इमोशन्स को समझने और कहने में मदद करें
जब आप बच्चों के सामने अपनी भावनाओं को जाहिर करते हैं, तो उन्हें भी समझ आता है कि भावनाएं दिखाना कमजोरी नहीं बल्कि समझदारी है। आप उनसे कहें कि जब चीजें मेरे हिसाब से नहीं होती हैं, तो मुझे दुख होता है। लेकिन मैं खुद को एडजस्ट करने की कोशिश करती हूं, क्या तुम भी ऐसा करते हो? इससे बच्चा अपनी भावनाओं को पहचानना और जाहिर करना सीखेगा।
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लिमिट्स तय करें, वो भी प्यार से
बच्चों को प्यार के साथ कुछ बाउंड्रीज देना जरूरी होता है। जब बच्चा बार-बार ना कहता है और नियमों को तोड़ता है, तो वह देखता है कि आप कब तक शांत रह सकते हैं। अगर आप बहुत सख्त या बहुत ढीले रहते हैं, तो बच्चा कन्फ्यूज हो जाता है।
ऐसे में आपको बच्चों को पहले ही कुछ चीजें बता देनी चाहिए और कहना चाहिए, 'अगर तुम होमवर्क नहीं करोगे तो आज पार्क जाना कैंसिल है।' या 'अगर तुम लंच खत्म नहीं करोगे तो आज आइसक्रीम नहीं मिलेगी।' ऐसा करने से बच्चे को आपके द्वारा बनाए गए नियम याद रहेंगे और वह इन्हें रोज फॉलो करने लगेगा।
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