Delhi Accident Case: महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच हैं ये 10 Safety Rights

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर देश में बनाए गए कुछ जरूरी कानूनों के बारे में आप भी जरूर जान लें। 

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देश ने चाहे कितनी भी तरक्की कर ली हो मगर महिलाओं की दशा आज भी ज्‍यादा अच्‍छी नहीं कही जा सकता है। आज भी महिलाओं के साथ अत्याचार और उत्पीड़न की दर्जन भर खबरों से अखबार भरा रहता है।

31 दिसंबर 2022 और 1 जनवरी 2023 के दरमियान की रात को ही दिल्‍ली में एक लड़की के साथ हुए हादसे ने सभी के दिलों को दहला दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक सुल्तानपुरी से कंझावाला तक एक कार करीब 4 किलोमीटर तक लड़की को घसीटते हुए ले गई थी।

हादसे के बाद अपराधियों ने लड़की के मृत शरीर को वहीं छोड़ दिया और भाग गए। लड़की के शरीर पर इतनी चोटें आई थीं कि उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

यह एक अकेली घटना नहीं है, जो महिलाओं की जान और अस्तित्व तक को मिटा रही है, बल्कि ऐसी बहुत सारी घटनाएं हैं, जो मन को बेचैन कर देती हैं। ऐसे में समय-समय पर देश में महिलाओं की दशा सुधारने के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं। इनमें से कुछ तो बेहद ही लाभदायक हैं, जिनके बारे में सभी महिलाओं को पता होना बेहद जरूरी है।

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1- कार्यस्थल उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार

इस कानून को पॉश- द सेक्‍सुअल हैरेसमेंट ऑफ वुमन एट वर्कप्लेस के नाम से भी जाना जाता है और इसमें उत्पीड़न को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रिवेंशन, प्रोहिबिशन एंड रिड्रेसल बेनिफिट एक्ट, 2013 बनाया गया है।

इस कानून के तहत कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए नियोक्ता को जिम्मेदार बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत हर ऑफिस में आंतरिक शिकायत समिति बनाई जाएगी, जहां कार्यालय में काम करने वाली महिला अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है।

2- घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार

इस प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम डोमेस्टिक वॉयलेंस के नाम से जाना जाता है और यह कानून घरेलू हिंसा के विरुद्ध महिलाओं के संरक्षण हेतु वर्ष 2005 में बनाया गया था।

इस कानून में घर के दायरे में हुई हिंसा को घरेलू हिंसा बताते हुए पीड़ित महिला को न्याय दिलाने की बात की गई है। इस कानून में इस बात का जिक्र मिलता है कि पीड़ित व्‍यक्ति किसी के भी द्वारा पहुंचाई गई मानसिक या शारीरिक क्षति की शिकायत कर सकता है। इतना ही नहीं, परिवार के लोगों के साथ ही रिश्तेदारों द्वारा दी गई यातना की भी शिकायत पीड़ित महिला कर सकती है।

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3- दहेज उत्पीड़न कानून

दहेज उत्पीड़न कानून को डाउरी प्रोहिबिशन एक्ट के नाम से भी जाना जाता है और यह कानून वर्ष 1961 में बनाया गया था। भारत में दहेज लेने और देने दोनों को अपराध बताया गया है।

इस कानून के तहत भारतीय दंड संहिता में धारा 498-ए के तहत, ससुराल वाले या ससुराल पक्ष से कोई रिश्तेदार शादी के दौरान या बाद में धन, संपत्ति या फिर कोई कीमती वस्तु की डिमांड करता है और लड़की या लड़की पक्ष के लोगों को परेशान करता है, तो उसे 3 साल की कैद हो सकती हैं और जुर्माना भी देना पड़ सकता है। वहीं यदि लड़की को उसका स्त्रीधन सौंपने से पति और ससुराल वाले मना करते हैं तो उन्हें धारा 406 के तहत कैद हो जाती है और जुर्माना भी देना पड़ता है।

4- मैटरनिटी लाभ का अधिकार

इसे मैटरनिटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) एक्ट कहा गया है, जो वर्ष 2017 बना था और इसके द्वारा महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान और बाद में 6 महीने की मैटरनिटी लीव और कार्यस्‍थल से सभी लाभ दिए जाते हैं।

महिला को पहले और दूसरे बच्चे के होने पर 6 महीने की मैटरनिटी लीव मिलती है और यदि तीसरा बच्चा होता है तो केवल 12 हफ्तों का ही अवकाश मिलता है। वहीं जिन महिलाओं ने 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को को गोद लिया है उन्हें भी 12 हफ्तों के लिए मैटरनिटी लीव दी जाती हैं।

इतना ही नहीं, इस विधेयक में महिलाओं को दिन में 4 बार क्रेच जाने की सुविधा, घर से काम करने की सुविधा और रोजगार की रक्षा के अधिकार को देने की बात भी कही गई है।

5- गिरफ्तारी का अधिकार

आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 46 (4) के अनुसार किसी भी महिला को सुबह 6 बजे से पहले और शाम को 6 बजे के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। महिला को यह भी अधिकार है कि वह यह जान सके कि उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया जा रहा है और इसकी सूचना वो अपने रिश्तेदारों और मित्रों को भी दे सकती हैं। महिला को जमानत के अधिकार के बारे में जानने का भी अधिकार है। चौबीस घंटे से अधिक समय के लिए एक महिला को पुलिस हिरासत में नहीं रख सकती है।

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6- जीरो एफआईआर का अधिकार

महिलाओं को जीरो एफआईआर दर्ज कराने के अधिकार के बारे में भी पता होना चाहिए। इस अधिकार के तहत यह जरूरी नहीं है कि महिला घटना के तुरंत बाद थाने में शिकायत दर्ज करें। साथ ही यह भी जरूरी नहीं है कि आप उसी थाने क्षेत्र में शिकायत दर्ज करें जहां घटना हुई है। आप किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

7- वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार

कोई भी महिला थाने में जाए बिना ही वर्चुअल शिकायत दर्ज करा सकती हैं। इसमें आप ईमेल का सहारा ले सकती हैं या फिर आप थाने में चिट्ठी भी भेज सकती हैं। इसके बाद एसएचओ महिला के घर पर कांस्‍टेबल भेजेगा और महिला का बयान दर्ज कराया जाएगा।

8- अश्‍लील कार्य या गाने गाना

आईपीसी की धारा 294 तहत महिला को परेशान करने के उद्देश्य से यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कार्य करता है या फिर गाने गाता है या फिर महिला को दिखाते हुए कोई अभद्र वीडियो देखता है, तो उसे 3 माह के लिए कैद हो सकती है।

9- अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956

भारत की संसद द्वारा पारित इस नियम के तहत महिलाओं से किसी भी प्रकार का अनैतिक काम कराने या वेश्यागृह पर उसे जबरन रखने आदि पर व्यक्ति को सख्त सजा हो सकती है।

10- अबॉर्शन के नियम

अनचाहे गर्भ को अबॉर्ट कराने का अधिकार भी महिलाओं को दिया गया है। इससे जुड़े बहुत सारे कानून हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 में संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हालही में एक अहम फैसला लिया है। इस एक्‍ट के तहत विवाहित और अविवाहित महिलाएं 20 गर्भावस्था के 20वें हफ्ते के भीतर अबॉर्शन करा सकती है। यह अवधि 24 हफ्ते भी हो सकती है, अगर विवाहित महिला का तलाक हो गया हो या वह विधवा हो गई हो। इसके अलावा, रेप, मानसिक बीमारी, शारीरिक शोषण को भी इसके भीतर शामिल किया गया है।

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