स्नेहा हर रोज की तरह अपने घर से कॉलेज के लिए निकली थी। वह रोज मेट्रो तक जाने के लिए ऑटो लेती थी, इसलिए आज भी उसने बस ऑटो बुलाने के लिए हाथ हिलाया ही था कि तभी उसके सामने अचानक से एक बाइक आकर खड़ी हो गई। बाइक पर बैठे लड़के ने चेहरे पर मास्क और आंखों पर सन ग्लासेस लगा रखे थे। स्नेहा ने उसे देख कर मुस्कुराया और फिर आगे ऑटो की तरफ बढ़ने लगी।
जैसे ही स्नेहा बाइक से आगे बढ़ी, तभी लड़के ने हॉर्न बजाना शुरू कर दिया। लड़के के हॉर्न बजाते ही स्नेहा थोड़ी घबरा सी गई और फौरन बाइक पर बैठे लड़के के पास आ खड़ी हुई। उसने लड़के के पास जाकर धीरे से कहा..’आकाश तुम यहां से चले जाओ, आज मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती हूं।’
लेकिन आकाश जाने से मना कर रहा था, वो बार-बार स्नेहा को बाइक पर बैठने के लिए जिद कर रहा था। सड़क पर खड़े लोगों की नजरें स्नेहा की तरफ थी, ऐसा लग रहा था मानों सभी स्नेहा के बाइक पर बैठने का ही इंतजार कर रहे हैं, ताकि उन्हें भी बातें बनाने का मौका मिल जाए। आकाश के बार-बार जिद करने पर स्नेहा ने गुस्से वाली आंखों से आकाश को देखा और बोली, ‘ मैं आज तुम्हारे साथ कॉलेज नहीं जा सकती, तुम्हें एक बार बोलने पर बात समझ नहीं आती क्या।’
तभी उसी समय उसके सामने एक और बाइक आकर खड़ी हो गई, दूसरी बाइक पर बैठा शख्स भी अब स्नेहा को बाइक पर बैठने के लिए कहने लगा। ये सब देखकर मानो स्नेहा का चेहरा तो घबराहट से लाल ही पड़ गया था। अब स्नेहा बहुत घबरा गई थी, वो फौरन ऑटो में बैठी और ऑटो वाले भैया से जल्दी मेट्रो तक जाने के लिए कहा, ऑटो रिक्शा वाला उसे रोज मेट्रो तक लेकर जाता था, इसलिए वह स्नेहा को अच्छे से पहचानता था।
जैसे ही स्नेहा का ऑटो मेट्रो की तरफ बढ़ा, दोनों ही लड़कों ने ऑटो का पीछा करना शुरू कर दिया। दोनों की बाइक ऑटो के दोनों तरफ चल रही थी। लेकिन स्नेहा की नजरें बस अपने फोन की तरफ थी। मेट्रो स्टेशन आते ही स्नेहा ऑटो से उतरी और भागते हुए मेट्रो की तरफ जाने लगी, तभी दोनों लड़कों ने पीछे से चिल्लाते हुए कहा, ‘अरे स्नेहा मेरे साथ कॉलेज चलो ना मैं तुम्हें छोड़ दूंगा, बाइक से तुम जल्दी कॉलेज पहुंच जाओगी।’ लड़कों की आवाज सुनने के बावजूद स्नेहा ने एक बार भी मुड़कर नहीं देखा और सीधा मेट्रो की सीढ़ियों पर भागने लगी।
स्नेहा के जाते ही अब दोनों लड़कों में बहस होने लगी थी, आकाश ने कहा…’मोहित तू क्यों स्नेहा की पीछे पड़ा है, मैं पहले आया था, तो स्नेहा मेरे साथ जाएगी ना’
दोनों लड़कों की बहस को स्नेहा मेट्रो स्टेशन के ऊपर से छिपकर देख रही थी, स्नेहा को यह चिंता सता रही थी कि कहीं आकाश, मोहित पर गुस्से में हाथ न उठा दे, दोनों लड़के कुछ देर तक बहस करते रहे और वहां से चले गए। दोनों को जाता देख स्नेहा भी कॉलेज के लिए चली गई।
लेकिन आखिर आकाश और मोहित कौन थे, क्योंकि स्नेहा ने आकाश को देखकर मुस्कुराया लेकिन उसके साथ बैठकर जाने से मना कर दिया। स्नेहा का आकाश और मोहित के साथ क्या रिश्ता है, जानने के लिए पढ़ेंमोहब्बत का अधूरा सफर पार्ट 2...
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