#FitToFight: हमेशा गलत ही नहीं अच्छी भी होती हैं चोटें

Reebok सिखाता है कि चोटें अच्छी भी होती हैं। इसलिए हमेशा महिलाओं के चोटों को देखकर ये नहीं सोचना चाहिए की अगर महिला चोटिल है तो उसके साथ हिंसा ही हुई होगी। 

Reebok teaches you Bruises can be good main

अगर आप किसी चोटिल महिला को देखती हैं तो आपका क्या रिएक्शन होता है?

सबसे पहले यही दिमाग में आता है कि इसके साथ घरेलू हिंसा हुई होगी या फिर किसी ने पब्लिकली इसे छेड़ा होगा।

लेकिन क्या हमेशा ऐसा सोचना खुद महिला होने के ऊपर doubt करना नहीं है।

जी हां... हमेशा महिलाओं के चोटों को देखकर यह मानना कि उनके साथ हिंसा हुई है यह गलत है। इसी गलतफहमी को सुधारने के लिए Reebok India ने एक सोशल एक्सपेरिमेंट किया। इस एक्सपेरिमेंट में उन्होंने कुछ लोगों को इकट्ठा किया और उनके सामने एक चोटिल महिला को बैठाया।

उन लोगों से पूछा गया कि इस महिला को देखकर आपको क्या लगता है? इस सवाल के जवाब में हर किसी का रिएक्शन अलग-अलग था।

किसी ने हिंसा बताया तो किसी ने सेल्फ-टॉर्चर करना

उस महिला के चोट का कारण किसी ने घरेलू हिंसा को बताया तो किसी ने सेल्फ-टॉर्चर बताया।

एक महिला ने उस चोट का कारण उसके पति को बताया। क्योंकि उस महिला के अनुसार पति ऐसा करते हैं। वहीं दूसरे किसी एक युवा ने इसकी वजह छेड़खानी को बताया। इसी तरह एक लड़की ने सेल्फ-टॉर्चर करना बताया है। लेकिन इनमें से किसी ने यह भी नहीं बताया कि वो VICTIM नहीं है।

Reebok teaches you Bruises can be good in

Victim नहीं...

चोटिल महिला हमेशा विक्टिम नहीं होती। Reebok India इस वीडियो के जरिये यह बताना चाहता है कि चोटिल महिला हमेशा विक्टिम हो यह जरूरी नहीं। जैसे कि इस वीडिया में दिखाई गई महिला। वीडियो में दिखाई गई महिला प्रोफेशनल मार्शल आर्टिस्ट है और उसे चोटें प्रेक्टिस के दौरान लगी थी।

तो “Bruises can be good”.

हर तीसरी महिला घरेलू हिंसा की शिकार

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NHFS-4) के अनुसार देश में हर तीसरी महिला अपने 15 साल की उम्र से घरेलू हिंसा की शिकार होने लगती हैं। जिनमें से 27% हिंसा फिज़ीकल होती है। ऐसे में घरेलू हिंसा के कड़वे सच को और उससे बाहर निकलने के लिए Reebok India ने एक कैम्पेन चलाया है जिसका नाम है- “Bruises can be good”. चोटें अच्छी होती हैं।

इस कैम्पेन के बारे में बात करती हुई Reebok India की सीनियर मार्केटिंग डायरेक्टर Silvia Tallon कहती हैं, “ इसके पीछे हमारी मंशा है की सोसायटी चोट और महिला को लेकर अपनी नजर साफ करे। क्योंकि चोटें अच्छी भी हो सकती हैं। चोट देखते ही लोग महलाओं के बारे में उसकी कमजोरी का अनुमान लगाने लगते हैं और उसकी अंदर की ताकत को नजरअंदाज कर देते हैं। हमारे brand gene के मुकाबले प्रशिक्षण में Reebok इन चोटों को शारीरिक बल और मानसिक ताकत के रूप में सम्मानित करता है। International Women’s Day पर हम उन महिलाओं को सलाम करते हैं जो बाधाओं को हारती नहीं है और मानसिक व सामाजिक रूप से फिट हैं।"

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