"हम भी इंसान हैं..." यही कहना है एक्टिविस्ट लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जिन्होंने अपनी जिंदगी ट्रांसजेंडर राइट्स के लिए लगा दी है। ऐसा नहीं है कि आप किसी इंसान के हक के लिए लड़ाई लड़ें और वह आसानी से मिल जाए, ऐसा ही कुछ हुआ है लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ भी। उन्होंने अपनी जिंदगी को एक नया आयाम दिया और आज वह कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं।
चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI), द्वारा ट्रांसजेंडर लीडरशिप कॉन्क्लेव-चैप्टर 3 होस्ट की गई थी। इसमें आचर्य महामंडलेश्वर डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने हरजिंदगी से एक्सक्लूसिव बात की। हमारी इस बातचीत में लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें बताईं और सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लिए क्या किया जाना चाहिए यह भी बताया।
पढ़ें उनके इंटरव्यू का अंश...
सवाल: आप लंबे समय से ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की आवाज बनी हैं। आपके हिसाब से ऐसे कौन से चैलेंज हैं जो ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को फेस करने पड़ते हैं और सोसाइटी कैसे योगदान दे सकती है उससे आगे बढ़ने के लिए?
जवाब: देखिए समाज का जो नजरिया है ट्रांसजेंडर, किन्नर, हिजड़ा, ट्रांसमेन या कोई भी घटक जो आता है ट्रांस कम्युनिटी के अंदर वह अच्छा नहीं है। अभी भी कई प्रॉब्लम्स हैं। जो सेंसिटिव हैं उनके लिए बहुत अच्छी बात है, लेकिन जो नहीं हैं उनके लिए अभी लंबा रास्ता है।
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सवाल: समाज इतनी जल्दी बदलाव नहीं ला सकता, लेकिन ऐसे कौन से स्टेप्स लिए जा सकते हैं जिनकी वजह से यह नजरिया बदलने लगे?
जवाब: मेरे हिसाब से समाज को यह समझना जरूरी है कि ट्रांसजेंडर भी इंसान हैं। उनको भी उतना ही दुख होता है जितना आपको होता है, अगर आपका तिरस्कार किया जाए तो आपको कैसाा लगता है उनको भी वैसा ही लगता है। आप उनकी जगह खुद को खड़े करके देखिए, इंग्लिश में कहते हैं ना 'पुट यॉरसेल्फ इन देयर फीट', यही मेरा कहना है कि आपको सेंसिटिव होना बहुत जरूरी है।
सवाल: आपकी जर्नी आसान नहीं थी और इतनी मुश्किलों के बाद आपने खुद को मोटिवेट कैसे रखा और किन लोगों ने आपको इंस्पायर किया?
जवाब: मेरी जिंदगी में मेरे माता-पिता मुझे बहुत इंस्पायर करते हैं। जितने भी लोग मेरे आस-पास रहे हैं और कम्युनिटी के लोग जितने रहे हैं उन्होंने मेरा मोरल बढ़ाया और मुझे शक्ति दी और उसी कारण मैं आगे बढ़ी।
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सवाल: आपने अपने पैनल में कहा कि पहले ट्रांस ही कहा जाता था अब कम्युनिटी को पहचान मिली है, तो वो पहचान आसान नहीं थी पर उसके बाद आपको क्या बदलाव दिखे हैं कम्युनिटी में?
जवाब: देखिए जब लीगल तरीके से आपको स्वीकार किया जाता है उसके बाद बहुत कुछ बदल जाता है। आज समाज में ट्रांस कम्युनिटी को पहचान मिल रही है। अब लोग सेंसिटाइज हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जो ट्रांसजेंडर्स के लिए जजमेंट किया उससे लोगों को फायदा मिल रहा है। जो हमारे लिए पॉलिसीज बनीं वो बहुत अच्छी बनी हैं। मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस ने स्माइल प्रोजेक्ट निकाला। पार्लियामेंट ने ट्रांसजेंडर एक्ट लागू किया, अब हमें जॉब मिल रही है।
तो बदलाव आ रहा है धीरे-धीरे। हम खुद को आगे बढ़ा रहे हैं। पहले कोई हमें इज्जत देने के बारे में सोचता नहीं था, उन्हें मनुष्य भी नहीं माना जाता था। अब उन्हें जॉब देने की, उन्हें पहचान देने की बात चल रही है और यह ही अपने आप में बेहतर है।
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सवाल: जैसा कि आप जानती हैं अभी प्राइड मंथ चल रहा है, आप इसे कैसे सेलिब्रेट करती हैं?
जवाब: हमारी जिंदगी ही प्राइड मंथ है और दुनिया सिर्फ एक महीने के लिए सेलिब्रेट करती है। मैं लोगों को ये कहना चाहूंगी कि टोकेनिज्म ना करें और एक महीने के लिए सेंसिटिव होने से कुछ नहीं होता। जो प्राइड मंथ में LGBTQAI कम्युनिटी है उन सभी को सम्मान दें।
सवाल: आप एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री से जुड़ी हैं। कम्युनिटी का रिप्रेजेंटेशन भी बेहतर हुआ है, लेकिन क्या आपको लगता है कि अभी भी कुछ और हो सकता है?
जवाब: ओटीटी आने की वजह से काफी कुछ बदल गया। सुष्मिता सेन की फिल्म 'ताली' आई। पर मुझे लगता है कि ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को भी मौका देना चाहिए। अपना किरदार निभाने के लिए। जो एक्टर्स हैं, जो ट्रेन्ड हैं उन्हें चांस मिलना चाहिए। बहुत फिल्में आ रही हैं जिनमें सेंसिटिविटी बढ़ी है अब स्टीरियोटाइप्स नहीं हैं।
सवाल: अगर हेल्थ केयर सिस्टम की बात करें, तो अभी भी समाज पूरी तरह से तैयार नहीं है। उसमें कैसे और कॉन्ट्रिब्यूशन कर सकते हैं?
जवाब: अब डॉक्टर्स को और सीखना जरूरी है कि ट्रांस कम्युनिटी में सिर्फ सेक्स चेंज ऑपरेशन ही नहीं बाकि बीमारियों की भी जरूरत है। अभी हमारा समाज हॉस्पिटल्स को बिना डरे एक्सेस कर सके उसके लिए प्रावधान सरकार की तरफ से लाने की जरूरत है।
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सवाल: आपने सेम सेक्स मैरिज को लेकर भी बात की थी। आपको क्या लगता है कि ये कब तक फ्यूचर में लीगल हो सकता है?
जवाब: मैरिज लीगल हो ना हो, लेकिन अडॉप्शन होना चाहिए, सिविल यूनियन होना चाहिए। मैं अपने पार्टनर को इनहेरिटेंस दे सकूं, उसे अपनी प्रॉपर्टी में हिस्सा दे सकूं, मैं बच्चा अडॉप्ट कर सकूं। अनाथालय में बच्चों को रखने से क्या फायदा अगर ट्रांस लोग बच्चों को अडॉप्ट करना चाहते हैं, तो उन्हें करने दें।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का पूरा इंटरव्यू देखने के लिए आप स्टोरी में मौजूद वीडियो पर क्लिक करें।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बहुत ही सीरियस इशूज के बारे में बात की और कम्युनिटी के अलग नजरिए के बारे में बात की। उन्होंने हरजिंदगी के सारे दर्शकों के लिए एक मैसेज भी दिया।
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