सोनिया गांधी आज दुनिया की मोस्ट पावरफुल वुमेन में से एक हैं। इंडिया में उनका नाम सादगी से जोड़ा जाता है। गांधी परिवार की बहू बनी सोनिया गांधी ने जब पहली बार भारत में कदम रखा तब से अब तक उनमें कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। लेकिन क्या आप जानती हैं कि सोनिया गांधी ने अपनी मुशकिल ज़िंदगी की इस जंग को सादगी से कैसे जीता? गांधी परिवार का हर सदस्य सादगी से जीवन जीता है। इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी तक सबने भारतीय राजनीति में सर्वोच्च पद पर रहने के बावजूद भी अपने जीवन को सादगी से ही जिया था और अब सोनिया गांधी की बात करें या फिर उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी की ये सब भी आम ज़िंदगी जीना ही पसंद करते हैं।
सोनिया गांधी को अपनी सासू मां इंदिरा गांधी की तरह इंडियन कॉटन की साड़ी पहनना ही पसंद है। गर्मागर्म गुलाब जामुन और करारी जलेबियां सोनिया गांधी की फेवरेट मिठाईयां हैं।
सोनिया गांधी जब पहली बार राजीव गांधी के साथ भारत आयीं तब उनकी मुलाकात इंदिरा गांधी से हुई थी। उस मुलाकात से लेकर आज तक उन्होंने अपने जीवन को किस तरह से जिया है आइए जानते हैं।
इंदिरा गांधी से सोनिया की पहली मुलाकात
साल 1968 में सोनिया गांधी पहली बार भारत आयी। सोनिया गांधी इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी से प्यार करती थी और उनके परिवार से मिलने के लिए पहली बार भारत आयी थी तब उनकी मुलाकात इंदिरा गांधी से हुई। फ्रेंच भाषा जानने वाली इटेलियन सोनिया इंदिरा गांधी से मिलते समय काफी नर्वस थी और उनकी इसी घबराहट और सादगी ने इंदिरा गांधी का दिल जीत लिया और राजीव गांधी से सोनिया की शादी करने के लिए राज़ी हो गयीं।
इंदिरा गांधी से सोनिया का आखिरी मुलाकात
साल 1984 में जब इंदिरा गांधी को गोलियां लगी तब सोनिया गांधी घर पर भी मौजूद थी। गोलियों का आवाज़ सुनते ही वो दौड़कर बाहर आयीं सफेद रंग की एम्बेस्डर कार इंदिरा गांधी के पास बुलायी और उनका सिर अपनी गोदी में रखकर उन्हे दिल्ली के एम्स हॉस्पीटल में ले गईं। लहू लुहान इंदिरा गांधी अपनी आखिरी सांसे लेते समय अपनी बहू के सबसे ज्यादा नज़दीक थी। सोनिया गांधी ने लाख कोशिशें की दुआएं मांगी लेकिन लाख चाहने के बावजूद भी वो अपनी सासू मां इंदिरा गांधी को नहीं बचा पायीं। आखिरकार गोलियों से घायल हुई इंदिरा गांधी नें अस्पताल में दम तोड़ दिया।
पहली बार राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी ने किया प्रचार
इंदिरा गांधी के जाने के बाद पूरा भारत सदमे में था। ऐसे में देश को गांधी परिवार से काफी सांतवना थी जिस वजह से राजीव गांधी को सबने राजनीति में प्रधानमंत्री पद पर आने के लिए मजबूर किया। पहली बार सोनिया गांधी को उनके पति के साथ तब अमेठी में प्रचार करते हुए देखा गया। अपनी सास इंदिरा गांधी की तरह साड़ी पहनकर गांव में पहुंची सोनिया के पांव कई फीट कीचड़ में डूबे हुए थे और वो अपना घर खो चुके लोगों से मिलकर उनके दुखकर कम करने की कोशिश कर रही थी। राजीव गांधी के साथ सोनिया का प्रचार करना जनता को पसंद आया और राजीव गांधी भारी बहूमत से जीते लेकिन किस्मत ने एक बार फिर गांधी परिवार के साथ धोखा किया और राजीव गांधी की भी एक हादसे में मौत हो गई। इस हादसे ने सोनिया गांधी को बुरी तरह से हिला कर रख दिया। एक सादी सी इटली से आयी लड़की जो सिर्फ भारत में गांधी परिवार की बहू थी उसे अब ये समझ नहीं आ रहा था कि वो अपने दो बच्चों की अकेले कैसे देखभाल करे। सोनिया ने अपने दोनों बच्चों को उस वक्त इटली भेज दिया। कांग्रेस पार्टी बिखरती देख उन्होंने इसे संभाला और पार्टी की कमान अपने हाथों में ली।
प्रधानमंत्री की कुर्सी का लालच नहीं है
सोनिया गांधी के नेतृत्व में एक बार फिर से भारत में कांग्रेस पार्टी को जीत मिली लेकिन इस बार जब सभी लोगों को ये लग रहा था कि सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बनेंगी ऐसे में उन्होंने इस पद को स्वीकार नहीं किया। सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को देश के प्रधानमंत्री की कमान सौंपी और उन्हें अपनी पार्टी का पूरा स्पोर्ट दिया। गांधी परिवार की बहू होने का पूरा फर्ज सोनिया गांधी ने हमेशा निभाया है।
जिंदगी को प्राइवेट रखना पसंद करती हैं
सोनिया गांधी अपनी ज़िंदगी को निजी रखना ही पसंद करती हैं इसलिए ऐसी गिनी चुनी बातें ही हैं जो सोनिया से जुड़ी हैं और लोग उसके बारे में जानते हैं। सोनिया गांधी अपनी और अपने दोनों बच्चों से जुड़ी सारी बातों को जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके उतना छिपाकर ही रखती हैं। राजनीति में आना उनके लिए एक नियती ही थी जिसे वो पूरी निष्ठा के साथ आज तक निभा रही हैं। सोनियां गांधी चाहती तो राजीव गांधी के जाने के बाद जिस तरह अकेली हो गईं थी वापस इटली जा सकती थी लेकिन फिर भी उन्होंने भारत में रहते हुए अपने परिवार की सारी जिम्मेदारियों को उठाया और निभाया भी है।
देश के सबसे महान और चर्चित परिवार की बहू सोनिया गांधी सिर्फ साड़ी या सूट में ही नज़र आती हैं। इन्हें फ्रेंच और इंग्लिश के अलावा हिंदी बोलनी भी बाखूबी आती है। वो देश की जनता से उसी तरह मिलना पसंद करती हैं जिस तरह से उनकी सासू मां इंदिरा गांधी मिलती थी और उनके पति राजीव गांधी मिलते थे।
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