
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज यानि 20 नवंबर को 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। बता दें कि इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ 16 राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे। ऐसे में शपथ ग्रहण को लेकर काफी तैयारी की गई है। वहीं, सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए गए हैं। इसी के साथ यह समारोह बिहार की महत्वपूर्ण राजनीति घटनाओं में गिना जाएगा। गांधी मैदान में इससे पहले भी कई ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं हुईं हैं, जिन्होंने इस मैदान को और यादगार बना दिया था। ऐसे में गांधी मैदान की खासियत और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से गांधी मैदान पटना से जुड़ी खास बातें और महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...
बिहार की राजधानी पटना के बीचों-बीच स्थित गांधी मैदान महज एक खुली जगह नहीं है, बल्कि यह इतिहास, संस्कृति और आधुनिक महत्व का एक खास केंद्र भी है। करीब 60 एकड़ में फैला यह प्रतिष्ठित मैदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के कई सबसे महत्वपूर्ण पलों का साक्षी रहा है।

महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य महान नेताओं ने इसी मैदान में कई बड़ी रैलियों का नेतृत्व किया था। इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इस जगह का नाम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान में रखा गया है, जिनके आदर्श और शिक्षाएं आज भी यहां गूंजती हैं।
इसे भी पढ़ें - खेती होगी आसान और मुफ्त! PM कुसुम योजना के तहत Solar Pump पर पाएं 60% तक की भारी Subsidy, जानें पूरी डिटेल
गाँधी मैदान का इतिहास ब्रिटिश औपनिवेशिक काल (British colonial era) से शुरू है, जब इसे 'पटना लॉन' के नाम से जाना जाता था। आजादी की लड़ाई के दौरान यह सभाओं और प्रदर्शनों का एक मुख्य केंद्र बन गया, जहां देशभक्ति की जोरदार आवाजें उठीं और क्रांतिकारी आंदोलनों को बल मिला। आजादी मिलने के बाद भी इस मैदान में राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियां होती रहीं।
आज के समय में, गांधी मैदान में बड़े पुस्तक मेले, व्यापार प्रदर्शनियां (Trade Expos) और त्योहारों का आयोजन होता है। साथ ही यहां पर लोग सुबह की सैर (मॉर्निंग वॉक) और योग सत्र के लिए भी आते हैं।
बता दें कि मैदान की शोभा बढ़ाती है महात्मा गांधी की एक विशाल प्रतिमा, जो भारत की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक है। यह प्रतिमा शांति, एकता और दृढ़ता के मूल्यों की लगातार याद दिलाती है।
इसे पहले बांकीपुर मैदान या पटना लॉन के नाम से जाना जाता था। अंग्रेजों के शासनकाल में यह मैदान मनोरंजन स्थल था, जहां पर अंग्रेज वॉक करने आते थे। जब 15 अगस्त 1948 को महात्मा गांधी की हत्या हुई तब, इसका नाम बदलकर गांधी मैदान रखा गया।
-1763624590961.jpg)
इस नाम के लिए उत्तर बिहार के एक शिक्षक ने सुझाव दिया था। उन्होंने ही इस मैदान का नाम बापू के सम्मान में रखने के लिए कहा था।
इसे भी पढ़ें - Gemini 3.0: कैसे अलग है जेमिनी का ये नया वर्जन? Google AI हुआ और भी स्मार्ट, जानें इसकी खासियत और कैसे बना सकती हैं अब तस्वीरें
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Images: Freepik/pinterest
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।