देश की आजादी के बाद साल 1951 में पहली बार लोकसभा चुनाव कराने का फैसला लिया गया। उस वक्त मंत्री मंडल के सदस्यों में राजकुमारी अमृत कौर भी शामिल थीं। भारतीय इतिहास में राजकुमारी अमृत कौर का नाम बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारत की पहली महिला स्वास्थ्य मंत्री के बारे में बताएंगे, जिन्होंने AIIMS जैसे बड़े अस्पताल का निर्माण कराया। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं राजकुमारी अमृत कौर के बारे में-
राज घराने में जन्मी थीं राजकुमारी
उस वक्त राजनीति में ज्यादातर राजघरानों की महिलाएं ही भाग लिया करती थीं। राजकुमारी अमृत कौर भी उनमें से एक थीं। 2 फरवरी 1889 को पंजाबी राजघराने में उनका जन्म हुआ। राजकुमारी के पिता हरमन सिंह कपूरथला, पंजाब के राजा थे। हालांकि बाद में राजा ने ईसाई धर्म अपना लिया था, इसके बावजूद भी उनके परिवार का रहन-सहन पंजाबियों वाला ही था।
आजादी की जंग में लिया भाग
जब राजकुमारी अपनी शिक्षा के लिए इंग्लैंड में थी, तब उनके साथ एक हादसा हुआ। जिसके बाद उन्होंने देश की आजादी की जंग में भाग लेने का फैसला किया। बता दें कि इंग्लैंड की एक पार्टी एक अंग्रेज ने राजकुमारी को डांस करने के लिए ऑफर किया। वहीं अमृत के मना करने पर अंग्रेज गुस्सा हो गया और भारतीयों को बेइज्जत करने लगा। यह देखकर राजकुमारी को बहुत ठेस पहुंची।
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बनीं नेहरू कैबिनेट में जगह बनाने वाली पहली महिला
आजादी की जंग में 3 साल जेल में रहने और लगातार अंग्रेजों का बढ़ चढ़कर विरोध करने के बाद, जब देश आजाद हुआ। तब राजकुमारी अमृत कौर नेहरू कैबिनेट की पहली महिला सदस्य बनीं। जहां उन्हें कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री की जगह मिली।
AIIMS बनवाने में दिया योगदान
जब राजकुमारी अमृत कौर ने स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला तब AIIMS की स्थापना हुई। बता दें AIIMS की स्थापना के वक्त भारत के पास इतना बजट नहीं था, उस वक्त अमृत कौर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर AIIMS की स्थापना के लिए रकम इकट्ठा करने में योगदान दिया। तब जाकर AIIMS अस्पताल तैयार हुआ। जो आज भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था का अहम हिस्सा है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की अध्यक्ष बनीं राजकुमारी अमृत कौर
अपने काम के चलते देश और दुनिया में राजकुमारी को जाना जाता था। अपने कार्यकाल के दौरान वो ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया और हिंद कुष्ठ निवारण संघ की अध्यक्ष भी रहीं।
राजकुमारी ने लड़ी मलेरिया के खिलाफ जंग
साल 1955 में जब भारत में मलेरिया(मलेरिया के लक्षण) की बीमारी चरम सीमा पर थी। तब बडे़ स्तर पर राजकुमारी अमृत कौर ने मलेरिया के खिलाफ अभियान चलाया। उस दौरान टाइम्स पत्रिका में राजकुमारी को सदी की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया।
6 फरवरी 1964 के दिन राजकुमारी ने इस दुनिया को अलविदा कहा। लेकिन आज भी भारतीय इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज मिलता है। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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