ब्रा महिलाओं के पहनावे का एक बहुत जरूरी हिस्सा है और ये मैं इसलिए नहीं कह रही हूं कि सोसाइटी का कोई प्रेशर है बल्कि ये इसलिए कह रही हूं क्योंकि ब्रा पहनने से हमारे ब्रेस्ट सुडौल भी रहते हैं और वो किसी तरह की चोट से भी बच सकते हैं।
ब्रा हमेशा हमारी अपर बॉडी को सपोर्ट करती है और वो महिलाएं जिनके हेवी ब्रेस्ट होते हैं उन्हें तो इसकी जरूरत काफी ज्यादा रहती है। पर ब्रा से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स भी हैं जिनके बारे में महिलाएं नहीं जानती हैं और वो इन्हें हमेशा नजरअंदाज कर देती हैं। उदाहरण के तौर पर ब्रा में अधिकतर Bow बना हुआ होता है जिसके बारे ज्यादातर महिलाएं ध्यान नहीं देती हैं।
पर क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? इन दिनों इनफार्मेशन शेयरिंग वेबसाइट Quora की एक पोस्ट बहुत वायरल हो रही है जिसमें इसी फैक्ट की जानकारी दी गई है।
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आखिर क्यों होता है ब्रा में Bow?
पुराने जमाने में जब महिलाएं कॉर्सेट पहना करती थीं तब उसमें व्हेल की हड्डी का एक पीस होता था जिसे बस्क कहा जाता था। उसे कॉर्सेट के सामने के हिस्से में लगाया जाता था और फिर एक बो (Bow) की मदद से बांधा जाता था। बस्क तो चला गया, लेकिन बो अभी भी मौजूद है। (क्या सही ब्रा पहन रही हैं आप?)
ऐसा ही एक कारण अंडरवियर के लिए भी है क्योंकि इलास्टिक के बनने से पहले लोग Bow के शेप में अपनी अंडरवियर को बांधते थे।
ये सबसे आसान जगह है एक बो को लगाने के लिए इसलिए इसे लगाया जाता है। ये तो था कोरा का एक्सप्लेनेशन जो ऐतिहासिक है। पर इस बो के ब्रा में मौजूद होने का एक और कारण है। हालांकि, कई कंपनियां अब इसे हटाने भी लगी हैं, लेकिन अधिकतर ब्रा में अभी भी ये मिल जाएगा।
दरअसल, ये ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस का साइन भी है। ब्रा में इसका मौजूद होना जागरूकता के नजरिए से देखा जा सकता है जो ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए है।
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फ्रांस में हुआ था मॉर्डन ब्रा का जन्म-
जब हम ब्रा के इतिहास की बात शुरू कर ही चुके हैं तो क्यों ना इसके बनने की कहानी के बारे में भी बता दिया जाए। फ्रांस 1890 के दशक में ब्रा का आविष्कार हुआ था। वैसे इससे पहले भी ब्रेस्ट के लिए कॉर्सेट और अन्य चीज़ें हुआ करती थीं, लेकिन मॉर्डन ब्रा तो फ्रांस की ही देन है। (ब्रा की वेरायटी के बारे में जानें)
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इस दौरान फैशन में हर जगह क्रांति चल रही थी और कॉर्सेट को इस समय ही दो भागों में बांटा गया। वैसे तो इसे पूरी तरह से प्रचलन में आने में समय लगा, लेकिन फिर भी इसे ही शुरुआत माना जाता है क्योंकि ये पहली बार था जब ब्रा शेप ले रही थी।
इसके बाद 1930 के दशक में कप साइज का आविष्कार हुआ। S. H. Camp and Company ने पहली बार कप साइज बनाए। ये सिस्टम काफी कुछ वैसा ही था जैसा अभी के समय में इस्तेमाल किया जाता है।
धीरे-धीरे उसे A से D की कैटेगरी में बांटा गया और फिर धीरे-धीरे मॉर्डन ब्रा ने जन्म लिया।
अब इतने समय बाद ऐसी ब्रा आने लगी है जो अलग-अलग शरीर के हिसाब से फिट हो सके और महिलाओं की जरूरतों को समझ सकें। देखा जाए तो ब्रा का इतिहास भी 150 साल से ज्यादा पुराना नहीं है और उससे पहले के फैशन को देखकर लगता है कि इतने कम समय में ही काफी बदलाव देख लिया है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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