How to become Medical Officer: 12वीं के बाद स्टूडेंट्स अपने मनपसंद फील्ड की तैयारी में लग जाती हैं। इनमें से कुछ स्टूडेंट इंजीनियर बनने के लिए बीटेक कोर्स करते हैं, तो वहीं जो डॉक्टर बनना चाहते हैं, वह नीट की परीक्षा पास कर एमबीबीएस, बीएसएस जैसे कोर्स करते हैं, लेकिन कुछ स्टूडेंट्स मेडिकल कोर्स मेडिकल ऑफिसर बनने के लिए करते हैं। अगर आप भी उन कैंडिडेट्स में से हैं, जो चिकित्सा अधिकारी बनना चाहते हैं, तो इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस पद के लिए कौन सी योग्यता और कौन सी परीक्षा पास करने की जरुरत होती है।
मेडिकल फील्ड में ऑफिसर बनने के लिए मुख्य रूप से दो तरह की योग्यता की जरूरत होती है। नीचे जानिए-
क्लिनिकल ऑफिसर (डॉक्टर/सर्जन)- 12वीं कक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री, और बायोलॉजी (PCB) विषयों के साथ कम से कम 50 प्रतिशत अंक (आरक्षित वर्गों के लिए 40-45 प्रतिशत) होने चाहिए।
डॉक्टर बनने के लिए सबसे प्रमुख प्रवेश परीक्षा NEET है। इस परीक्षा को पास करने के बाद ही आप भारत के किसी भी सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज में MBBS कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।
MBBS की पढ़ाई पूरी करने के बाद आप इंटर्नशिप करते हैं। इसके बाद आप सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम कर सकते हैं। इसके अलावा आप पोस्ट-ग्रेजुएशन (MD/MS) करके विशेषज्ञ बन सकते हैं।
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प्रशासनिक और पब्लिक हेल्थ ऑफिसर बनने के लिए किसी भी स्ट्रीम में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
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स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए UPSC या राज्य लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है। इसके अलावा, कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठन पब्लिक हेल्थ ऑफिसर के पदों के लिए अलग से परीक्षाएं आयोजित करते हैं। इन परीक्षाओं को पास करने के बाद आप स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, WHO या विभिन्न सरकारी अस्पतालों में प्रशासनिक पदों पर काम कर सकते हैं।
किसी भी फील्ड में इंट्री करने के लिए कई तरीके हैं। इसी प्रकार आप मेडिकल ऑफिसर बनने के लिए डॉक्टर न होकर भी स्वास्थ्य सेवा में शामिल हो सकते हैं। नीचे जानें
अगर आप मेडिकल ऑफिसर बनने की तैयारी कर रहे हैं, तो पहले यह समझना बहुत जरूरी है कि डॉक्टर और मेडिकल ऑफिसर में फर्क है। कई बार हम लोगों को कई पोस्ट को लेकर कंफ्यूजन रहती है कि ये दोनों एक ही है। अगर इन दोनों को एक समझते हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बता दें कि एक चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर जैसा नहीं होता। डॉक्टर, मेडिकल प्रोफेशनल्स होते हैं जो दवाइयां लिखते हैं, सर्जरी करते हैं, चेकअप या क्लिनिकल ट्रायल का ऑर्डर देते हैं। इसके लिए उनके पास मेडिकल की डिग्री होती है। वहीं मेडिकल ऑफिसर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्लिनिकल ट्रायल की देखरेख के लिए अपनी मेडिकल प्रैक्टिस बदलते हैं। एक डॉक्टर की तरह सीधे मरीज़ों की देखभाल करने के बजाय, एक चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य सेवा अधिकारियों और डॉक्टरों के बीच संपर्क का काम करता है।
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