चने की दाल का इस्तेमाल मुख्य तौर पर भारतीय रसोई में किया जाता है कभी दाल के रूप में, तो कभी इसके आटे यानि बेसन के रूप में। चने की दाल से तैयार व्यंजन वास्तव में स्वाद से भरपूर होते हैं। साथ ही, यह हमारी हेल्थ के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद है।
इसलिए हमें चने की दाल को किसी न किसी रूप में अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। हालांकि, अब चने की दाल से बने कई प्रोडक्ट्स मार्केट में उपलब्ध हैं, जिसका इस्तेमाल हम अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकते हैं। मगर जब बात बेसन और सत्तू की आती है तो बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें इन दोनों के बीच का अंतर मालूम होता है।
अगर आप भी दोनों को लेकर कंफ्यूज हैं, तो हम आपकी थोड़ी मदद कर देते हैं। आइए दोनों के बीच के बेसिक अंतर के बारे में बात करते हैं।
सत्तू क्या होता है?
सत्तू एक तरह का सूखा पाउडर है जिसे चने की दाल से बनाया जाता है। सत्तू को भुने हुए जौ और चने को पीसकर दरदरा तैयार किया जाता है। हालांकि, सत्तू को सिर्फ भुने हुए चने से भी बनाया जा सकता है। कई लोग जौ का सत्तू भी खाना पसंद करते हैं, जिसमें काली मिर्च भी मिलाई जाती है। (घर पर बनाएं चना दाल के टेस्टी चिप्स)
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स्वास्थ्य के लिए लाभकारी, सत्तू एक ऐसा आहार है जो बनाने में बहुत ही सरल और सस्ता व्यंजन है। सत्तू को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है।
बेसन क्या होता है?
बेसन भी एक तरह का आटा ही होता है जिसे चने की दाल से तैयार किया जाता है। मगर बेसन बनाते वक्त चने को भूना नहीं जाता और न ही इसमें किसी भी तरह की मिलावट की जाती है। हालांकि, कई लोग बेसन को 'चने की दाल का आटा' के नाम से भी जानते हैं।
इसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर कई तरह के व्यंजनों को बनाने के लिए किया जाता है। बेसन को बनाने के लिए पहले दाल को धोया जाता है और सुखाकर पीसा जाता है।
आइए अब दोनों के बीच का अंतर जानते हैं
- जैसा कि पहले ही हम बता चुके हैं कि दोनों को चने की दाल से बनाया जाता है, लेकिन सत्तू बनाने के लिए दाल को भूना जाता है और बेसन में कच्ची दाल का इस्तेमाल किया जाता है।
- हम स्वाद से भी इसके बीच का अंतर पता लगा सकते हैं क्योंकि कच्चा बेसन स्वाद में कड़वा होता है जबकि सत्तू का स्वाद कड़वा नहीं होता है।
- बेसन और सत्तू का कलर पीला होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि सत्तू का कलर बेसन के कलर से बिल्कुल अलग है। दाल भूनने की वजह से सत्तू का कलर थोड़ा डार्क हो जाता है जबकि बेसन का कलर हल्का पीला होता है।
- सत्तू का उपयोग कई तरह की स्वीट डिशेज बनाने के लिए किया जाता है जबकि हम बेसन से नमकीन और स्वीट दोनों प्रकार की डिशेज तैयार कर सकते हैं। साथ ही, बेसन की जगह पर हम सत्तू का उपयोग नहीं कर सकते हैं।
- बेसन और सत्तू दोनों ही ग्लूटेन फ्री होते हैं, जो डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इससे न सिर्फ एनर्जी आती है बल्कि हेल्थ भी बरकरार रहती है।
- बेसन का सेवन ज्यादातर इंडिया के सभी इलाकों में किया जाता है जबकि सत्तू का ज्यादा सेवन राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश और बंगाल जैसे इलाकों में किया जाता है।
स्टोर करने का तरीका जानें
हमें बेसन को हमेशा एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करके रखना चाहिए। बता दें कि बेसन की शेल्फ लाइफ 6 महीने या उससे अधिक हो सकती है जबकि सत्तू भुना हुआ होता है इसलिए इसका सेवन 6 महीने से अधिक समय तक आसानी से किया जा सकता है।
हैक्स
- जब भी सत्तू या फिर बेसन को स्टोर करें तो कंटेनर में लौंग डाल दें। इससे कीड़े नहीं लगेंगे और ये हमेशा फ्रेश भी रहेंगे।
- आप बेसन या फिर सत्तू को फ्रेश रखने के लिए नीम के पत्तों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- आप कंटेनर के अंदर नीम के पत्तों को कपड़े में बांधकर भी रख सकते हैं।
- इन्हें हमेशा साफ डिब्बे में स्टोर करें, जिसमें मॉइस्चर बिल्कुल भी नहीं आए।
- अगर आपके पास स्टोर करने की जगह नहीं है तो आप कम क्वालिटी में ही खरीदें।
- इन्हें कभी भी प्लास्टिक या फिर जूट के बैग में स्टोर न करें। इसे स्टोर करने के लिए आप स्टील या फिर एलुमिनियम के कंटेनर का इस्तेमाल कर सकती हैं।
उम्मीद है कि आपको बेसन और सत्तू के बीच का अंतर समझ में आ गया होगा। अगर आपको कोई और सामग्री को लेकर कंफ्यूजन है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिदंगी से।
Image Credit- (@Freepik)
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