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skandamata temple history and how to reach

अद्भुत है स्कंदमाता देवी का यह पौराणिक मंदिर, दर्शन करने से पूरी होगी हर मुराद

इस आर्टिकल में स्कंदमाता देवी के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर की पौराणिक कथा है कि सिर्फ दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुराद पूरी हो जाती हैं।
Editorial
Updated:- 2023-03-14, 13:36 IST

हिन्दू मान्यता के अनुसार सनातन काल से चैत्र नवरात्र एक बेहद ही पवित्र और प्रसिद्ध त्यौहार है। हिंदुस्तान के लगभग हर गांव, शहर और राज्य में चैत्र नवरात्र बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस पवित्र मौके पर हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूप की पूजा बड़े ही धूम-धाम के साथ की जाती है।

चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के 'स्कंदमाता' की पूजा की जाती है। इस दिन मां के भक्त दर्शन के लिए सुबह से लाइन में लग जाते हैं और देर रात तक दर्शन करते रहते हैं।

ऐसे में अगर आपसे यह पूछा जाए कि भारत के किस स्थान पर मां स्कंदमाता का फेमस मंदिर मौजूद है तो फिर आपका जवाब क्या होगा? इस लेख में हम आपको उस स्कंदमाता मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां दर्शन के लिए सबसे अधिक भक्त पहुंचते हैं। आइए जानते हैं।

स्कंदमाता का मंदिर कहां मौजूद है?

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स्कंदमाता मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा जानने से पहले यह जान लेते हैं कि यह पवित्र मंदिर भारत के किस राज्य और शहर में मौजूद है। आपको बता दें कि यह पवित्र मंदिर भारत के सबसे बड़े राज्यों में से शामिल यानी उत्तर प्रदेश में मौजूद है।

जी हां, मां स्कंदमाता का मंदिर उत्तर प्रदेश के किसी और शहर में नहीं बल्कि सबसे पवित्र नगरी यानी वाराणसी में मौजूद है। स्थानीय लोगों के लिए यह एक बेहद ही पवित्र मंदिर है।

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स्कंदमाता मंदिर की पौराणिक कथा

ऐसी मान्यता है कि देवासुर राक्षस अपनी अलौकिक शक्तियों से संत और अन्य लोगों को बहुत परेशान करता था। देवासुर का विनाश करने के लिए भगवान शिव से माता पार्वती को भेजा। माता पार्वती ने उस राक्षस का विनाश कर दिया। इस घटना के बाद काशी में मां के इस रूप को स्कंदमाता के रूप में पूजा जाने लगा। यह भी बोला जाने लगा कि उन्होंने काशी की सभी बुरी शक्तियों से रक्षा करी।(इन मंदिरों में जाते ही निकल जाती है चीख)

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स्कंदमाता मंदिर का महत्व

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कहा जाता है कि मां दुर्गा के पांचवें रूप स्कंदमाता का भारत में एकमात्र मंदिर वाराणसी में है। इसलिए इस मंदिर का महत्व पूरे देश में है। स्कंदमाता को सहनशक्ति की देवी भी कहा जाता है। मंदिर में मां की प्रतिमा मौजूद है। प्रतिमा में चार भुजाओं के साथ विराजमान है। कहा जाता है कि उनकी गोद में उनके पुत्र कुमार कार्तिकेय भी विराजमान हैं।(साल में एक सप्ताह के लिए खुलता है यह मंदिर)

मंदिर में जाने का सही मसय

वैसे तो यहां हर मसय हजारों भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं, लेकिन नवरात्र के दिनों में यहां कुछ ही भीड़ मौजूद रहती हैं। यहां सुबह 6:30 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक दर्शन के लिए जा सकते हैं। हालांकि, अन्य दिनों में दोपहर में कुछ देर के लिए मंदिर बंद रहता है, लेकिन नवरात्रि में दिन भर खुला रहता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से दर्शन के लिए पहुंचते हैं उनकी सभी मुराद पूरी हो जाती है।

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स्कंदमाता मंदिर कैसे पहुंचें?

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देश के किसी भी हिस्से आप स्कंदमाता मंदिर पहुंच सकते हैं। जी हां, इसके लिए आप देश के किसी कोने से आसानी से काशी यानी वाराणसी पहुंचकर इस मंदिर के दर्शन के लिए पहुंच सकते हैं। वाराणसी रेवले स्टेशन से टैक्सी या कैब लेकर इस मंदिर के पास पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर वाराणसी के जगतपुरा क्षेत्र स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर परिसर में मौजूद है।

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