मां स्कंदमाता, नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाने वाली देवी हैं, जिनका स्वरूप बेहद शांत और ममतामयी है। वे अपनी गोद में भगवान कार्तिकेय (जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है) को लिए हुए हैं, इसीलिए उन्हें 'स्कंदमाता' कहते हैं। उनके चार हाथ हैं जिनमें से दो में कमल के फूल हैं और एक हाथ से वे भगवान स्कंद को पकड़े हुए हैं। उनका चौथा हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। वे कमल के आसन पर विराजमान हैं और उनका वाहन सिंह है। उनका यह रूप मातृत्व और प्रेम का प्रतीक है जो दिखाता है कि एक मां अपने बच्चे की रक्षा के लिए कितनी शक्तिशाली होती है।
मां स्कंदमाता की पूजा का बहुत महत्व है क्योंकि वे ज्ञान, शक्ति और मोक्ष प्रदान करती हैं। जो भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं उन्हें भगवान स्कंद की भी कृपा मिलती है। ऐसा माना जाता है कि मां की पूजा करने से भक्तों को संतान सुख मिलता है और उनके जीवन से सभी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं। उनकी आराधना से भक्तों में निस्वार्थ प्रेम, करुणा और दया की भावना जागृत होती है। इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह के सुख मिलते हैं।
ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि मां स्कंदमाता की पूजा कैसे करें, क्या है पूजन सामग्री और कौन से मंत्रों का करना चाहिए जाप।
मां स्कंदमाता की पूजा सामग्री का हर एक हिस्सा अपनी एक विशेष महत्व रखता है। केला और पीली मिठाई जैसी चीजें मां को बहुत प्रिय हैं, जबकि घी का दीपक और अगरबत्ती पूजा के वातावरण को शुद्ध करते हैं। ये सभी चीजें मिलकर पूजा को संपूर्ण बनाती हैं और भक्तों को मां का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती हैं।
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मां स्कंदमाता की पूजा करने के लिए नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद, पूजा के लिए एक साफ जगह चुनें और वहां एक चौकी या पटरा रखें। उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। साथ में, कलश भी रखें, अगर आपने नवरात्रि के पहले दिन स्थापित किया हो तो।
सबसे पहले मां स्कंदमाता का ध्यान करें और उन्हें प्रणाम करें। फिर, उन्हें जल से स्नान कराएं। इसके बाद, उन्हें पीले रंग के फूल, जैसे गेंदे के फूल, और माला चढ़ाएं। मां को कुमकुम और हल्दी का तिलक लगाएं। फिर, धूप और घी का दीपक जलाकर पूजा शुरू करें। मां को प्रसाद में केला और पीली मिठाई, जैसे केसर वाली खीर या लड्डू, चढ़ाएं।
पूजा के दौरान, मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें। यह जाप मन को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा देता है। मंत्र जाप के बाद, मां की आरती करें और उनसे अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें। पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद को अपने परिवार और दोस्तों में बांटें। यह माना जाता है कि ऐसा करने से मां का आशीर्वाद सभी पर बना रहता है। इस तरह, आप पूरे मन और श्रद्धा से मां स्कंदमाता की पूजा कर सकते हैं।
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मां स्कंदमाता की पूजा में मंत्रों का जाप करने से बहुत लाभ होता है। ये मंत्र मां की कृपा पाने और आपकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करते हैं। मां स्कंदमाता का सबसे सरल और प्रभावी मंत्र है 'देवी स्कंदमाता नमः'। इस मंत्र का जाप आप कभी भी कर सकते हैं, खासकर पूजा करते समय। यह मंत्र मन को शांति देता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
माना जाता है कि जो दंपत्ति संतान की इच्छा रखते हैं, उनके लिए इस मंत्र का जाप करना बहुत शुभ और लाभकारी है। मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। चूंकि मां अपनी गोद में भगवान स्कंद यानी कि कार्तिकेय को लिए हुए हैं जो ज्ञान और शक्ति के प्रतीक हैं इसलिए उनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान और बुद्धि मिलती है।
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