साल में सिर्फ एक सप्ताह के लिए खुलता है यह अनोखा मंदिर, भगवान को चिट्ठी लिखते हैं भक्त

यूं तो भारतवर्ष के कोने-कोने में कई मंदिर स्थित हैं, लेकिन कर्नाटक में स्थित हसनंबा मंदिर की बात अलग है। यह पूरे वर्ष में सिर्फ एक सप्ताह के लिए खुलता है।

Mitali Jain
What is the story behind Hasanamba Temple

हर व्यक्ति की ईश्वर के प्रति अपनी एक अलग आस्था होती है और वे अपने ही तरीके से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। अधिकतर लोग मंदिर में दर्शन करते हैं और भगवान को तरह-तरह का भोग-प्रसाद लगाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी किसी से सुना है कि भक्तों ने अपने ईश्वर से चिट्ठी लिखकर अपनी इच्छापूर्ति की मनोकामना की हो।

जी हां, लेकिन कर्नाटक के प्रसिद्ध हसनंबा मंदिर में ऐसा ही होता है। यह मंदिर कई मायनों में बेहद ही विशेष है। सबसे पहले तो यह मंदिर साल में केवल सप्ताह के लिए खुलता है, वहीं दूसरी ओर यहां पर आने वाले सभी भक्त चिट्ठी लिखकर भगवान को अर्जी देते हैं। इस मंदिर की विशिष्टता के कारण देशभर के कोने-कोने से भक्तगण यहां पर दर्शन हेतु आते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको हसनंबा मंदिर की विशेषताओ के बारे में बता रहे हैं।

सिर्फ एक बार खुलता है यह मंदिर

dress code of Hasanamba Temple

हसनंबा मंदिर यह साल में केवल एक बार दिवाली के दिन खुलता है। इस मंदिर में देवी हसनंबा की पूजा की जाती है। इस दौरान विशेष हसनंबा जात्रा महोत्सव भी मनाया जाता है। इस मंदिर के आखिरी दो दिनों में विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। इस समय इसे आम श्रृद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है।

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12वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण

अभिलेखों के अनुसार, इस खास मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि हसनंबा मंदिर होयसल वंश के राजाओं द्वारा 12वीं शताब्दी द्वारा बनवाया गया था। वहीं, मुख्य द्वार पर जो गोपुरम स्थित है, वह 12वीं शताब्दी के बाद का है। इसकी पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। (वाराणसी के काल भैरव मंदिर के बारे)

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भक्तगण लिखते हैं चिट्ठी

How many days will Hasanamba Temple open

इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि जब यह मंदिर खुलता है तो लोग ईश्वर से प्रार्थना करने और उन तक अपने मन की बात पहुंचाने के लिए चिट्ठियों का सहारा लेते हैं। आम श्रद्धालुओं की यह मान्यता है कि ईश्वर को चिट्ठी लिखने से वे जल्द ही उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।

अपने चमत्कारों के लिए है प्रसिद्ध

कर्नाटक का यह हसनंबा मंदिर अपने विशिष्ट चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। दरअसल, जब इस मंदिर के कपाट फिर से बंद किए जाते हैं, तब यहां पर प्रसाद चढ़ाने के साथ-साथ दीपक व फूल भी अर्पित किए जाते हैं। जब एक साल बाद मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तब यह दीपक जलता हुआ ही पाया जाता है। साथ ही साथ, माता को अर्पित किए गए फूल भी ऐसे ही ताजे रहते हैं।

मंदिर से जुड़ी किंवदती

इस मंदिर से जुड़ी किंवदंतियों के अनुसार, एक बार सात मातृकाएं ब्राह्मी, महेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इंद्राणी और चामुण्डी पृथ्वी की यात्रा कर रही थीं, तो वे यहां आईं और यहां की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गईं। ऐसे में उन्होंने यहीं पर बसने का फैसला किया। जबकि वराही और चामुंडी ने देवीगेरे होंडा, वैष्णवी, कौमारी और माहेश्वरी में तीन कुओं के पास रहने का फैसला किया। इस तरह इस स्थल को बेहद ही पवित्र माना जाता है।

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Image Credit- wikimedia

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