राजस्थान के रेगिस्तान में प्राचीन काल से लेकर मध्य काल तक कुछ ऐसे फोर्ट्स का निर्माण हुआ, जो वर्षो में विश्व विख्यात रहे हैं। अजमेर फोर्ट, जैसलमेर फोर्ट या फिर आगरा का फोर्ट हो। ये सभी फोर्ट्स आज भी भारत के साथ-साथ दुनिया के सबसे सुरक्षित फोर्ट्स में से एक माने जाते हैं। इन्हीं सुरक्षित फोर्ट्स में से एक है 'रणथंभौर का किला'। राजस्थान का रणथंभौर रॉयल बंगाल टाइगर्स के घर से प्रसिद्ध आज लाखों सैलानियों में के लिए एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में लोकप्रिय है।
लेकिन, रणथंभौर में अगर सबसे अधिक किसी चीज की चर्चा हो होती है, तो वो है दुनिया के सबसे सुरक्षित किलों से शामिल रणथंभौर का किला। आज इस लेख में हम आपको इस किले से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद आप भी पहले नहीं जानते होंगे। तो बिना देर किये हुए चलिए इस सफ़र की शुरुआत करते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस किले को लेकर आज भी इतिहास लेखकों और प्रेमियों के लिए एक रहस्य बना हुआ है कि आखिर भारत के सबसे सुरक्षित किलों में शामिल इस फोर्ट का निर्माण कब हुआ था। इस फोर्ट को लेकर कई लोगों का यह मानना है कि इसका निर्माण 9 वीं शताब्दी में रणथम्मन देव द्वारा बनाया गया था। वहीं कुछ लोगों का यह मानना है कि इसका निर्माण 10 वीं शताब्दी में चौहान वंश के राजपूत राजा सपल्क्ष्क्ष के शासनकाल के समय शुरू हुआ था। अरावली पर्वत श्रंखला से घिरा रणथंभौर किले का निर्माण कब हुआ आज भी यह एक रहस्य है।
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इस किले को एक बड़े से चट्टान पर निर्माण किया गया है। कहा जाता है कि इस किले में सात द्वार मौजूद हैं, जो इसे उस समय और भी सुरक्षित बनाते थे। इन सातों द्वारा का नाम नवलखा पोल, हाथी पोल, गणेश पोल आदि रखा गया था। वास्तुकला और संरचना के माध्यम इस फोर्ट के दिवार का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि कोई भी इसे थोड़ नहीं सकता था। मजबूत और लंबे खम्बें इस ईमारत को इतना मजबूत करते थे कि उस समय इस तरह से किसी अन्य फोर्ट का निर्माण करना आसान नहीं था। कहा जाता है कि इस फोर्ट में लगभग 23 खम्बें थे, जो महल को मजबूत बनाते थे। (आगरा फोर्ट) किले के अंदर की दीवारों पर भगवान गणेश के साथ कई देवी-देवताओं और अन्य आकृति के भी चित्र बनाये गए हैं।
कहा जाता है कि इस किले की मजबूती और सबसे सुरक्षित होने के चलते इस फोर्ट पर कई बार आक्रम किये गए। एक लेख में अनुसार साल 1192 में मुस्लिम शासक मुहम्मद ने उस समय के राज्य पृथ्वीराज चौहान तृतीय को हराकर इस फोर्ट पर कब्जा कर लिया था। फिर साल 1226 में मुहम्मद को हराकर दिल्ली शासक इल्तुतमिश ने कब्जा कर लिया। लेकिन, ये भी कहा जाता है कि चौहानों बाद में फिर से इस फोर्ट पर अपना कब्ज़ा कर लिया। (आमेर के किले)
इस फोर्ट के अंदर कई कई मंदिर, महल और दरगाह मौजूद है, जिसे आप देख सकते हैं। इस फोर्ट के अंदर प्रसिद्ध गणेश जी का मंदिर, सुपारी महल, जौरां-भौरां महल, जोगी महल, जौहर महल, बादल महल और हम्मीर महल इत्यादी ऐसे कई महल है जो आज भी मौजूद है। हालांकि, फोर्ट के साथ-साथ महल के कुछ भाग खंडहर में तब्दील ज़रूर हो चुके हैं।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2013 में इस फोर्ट को UNESCO द्वारा विश्व धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की गई। अब इस फोर्ट की देखभाल UNESCO द्वारा किया जाता है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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