सब चैन की नींद सो रहे थे...तभी बाहर तेज बारिश और हवा की वजह से शीशे हिलने लगे, पंबन ब्रिज पर 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चल रही थी तभी....

ऐसा लग ऱहा था कि लोगों को अंदेशा हो गया था कि इस बार ऐसा तूफान और बारिश आने वाली है, जिनका सामना करना आसान नहीं होगा। शुरुआत में यह तूफान 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा था, लेकिन आगे बढ़ते-बढ़ते इसने रौद्र रूप ले लिया।
pamban bridge tragic incident story 1964 when a cyclone killed 200 people

23 दिसंबर की उस रात जो हुआ, जिसे आज भी भुलाया नहीं जा सकता। उस भयानक तूफान में एक ऐसी घटना घटी, जिसने चैन की नींद सो रहे 200 यात्रियों की जान खतरे में डाल दी। यह 23 दिसंबर 1964 की बात है, जब तेज बारिश के साथ तेज हवाएं चल रही थीं। तूफान इतना भयंकर था कि ट्रेन के शीशे लगातार जोर-जोर से हिलने लगे। बारिश इतनी तेज थी कि खिड़कियों से पानी अंदर आने लगा। उस समय ट्रेन पंबन ब्रिज पर चल रही थी, और तूफान की वजह से यात्रियों के दिल धक-धक करने लगे थे।

पंबन ब्रिज पर उस रात क्या हुआ था?

  • ट्रेन रामेश्वरम से धनुषकोडी की ओर जा रही थी। रात के 11 बज रहे थे और तुफान की वजह से सभी यात्री घबराए हुए थे। तूफान और बारिश का यह सिलसिला 22 तारीख की शाम को ही शुरू हो गया था। धनुष्कोडी में उस दिन शाम के समय मिस्टर सुंदर की शिफ्ट थी। वह शाम को शिफ्ट खत्म करके घर लौट गए थे। लेकिन उसी रात हवा और भी ज्यादा तेज चलने लगी। लोगों के घरों में पानी घुसने लगा था।
  • उसी दिन ट्रेन नंबर 653 हर दिन चलने वाली एक पैसेंजर ट्रेन थी। यह ट्रेन रोज लोग को धनुष्कोडी तक पहुंची थी। यह सफर लोगों के सबसे पसंदीदा सफर में से एक होता था, क्योंकि पंबन ब्रिज पर पानी के ऊपर जब ट्रेन दौड़ती थी, तो नजारा और भी ज्यादा खूबसूरत होता था।

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  • रात के 11:55 मिनट हो रहे थे। ट्रेन धनुषकोडी स्टेशन पर पहुंचने ही वाली थी, तभी तूफान की रफ्तार काफी बढ़ गई। बारिश और तेज हवा की वजह से अब ट्रेन चालक को सिग्नल मिलना भी मुश्किल हो रहा है। इतना ही नहीं स्टेशन पर लगी लाइटें भी तूफान में उखड़ गई थी।
  • लोको पायलट ट्रेन सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहा था। जब बहुत देर बीत गई और सिग्नल नहीं मिला, तो बिना सिग्नल के ही ट्रेन उन्होंने आगे चला दी। तुफान और सिग्नल नहीं मिलने की वजह से ट्रेन अपनी पटरी से उतर गई। एक ही बार में पूरी ट्रेन हवा में झूलते हुए लहरों के साथ बह गई।

pamban brdge

  • ट्रेन पानी में बह गई और इसका पता भी लोगों को कुछ समय बाद चला। आंकड़ों के मुताबिक कहा गया कि ट्रेन में लगभग 110 लोग सवार थे, लेकिन यह भी खबर फैली कि पैसेंजर ट्रेन होने की वजह से इसमें यात्रियों की संख्या ज्यादा हो सकती है। लगभग 180 से 200 पैसेंजर इस ट्रेन में उस दिन शामिल होंगे।

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image credit- freepik

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FAQ

  • साल 1964 में पंबन ब्रिज हादसे में किसी की जान बची थी?

    नहीं, पंबन ब्रिज से ट्रेन देर रात पानी में गिरी, उस दिन किसी यात्री को बचाया नहीं जा सका था।
  • पंबन ब्रिज पर हुआ हादसा सच है

    जी हां, इस हादसे में लगभग 200 के करीब लोगों की मौत बताई जाती है।