बेहद खास है यह महालक्ष्मी मंदिर, सभी मुरादें होती हैं पूरी

अगर आप भी माता महालक्ष्मी जी के भक्त हैं तो आपको इस मंदिर का दर्शन करने ज़रूर जाना चाहिए। सभी मुरादें होती हैं पूरी।  

mahalakshmi temple mumbai know history in hindi
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सनातन काल से हिन्दू धर्म के मां लक्ष्मी सबसे पूजनीय देवी में एक हैं। आज भी हर भारतीय घर मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ होते रहती है ताकि घर में धन की कमी न हो मां का आशीर्वाद बना रहें।

धनतेरस और दिवाली के शुभ मौके पर भारत के किसी-किसी स्थान पर धूमधाम के साथ मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ होती है। कई लोग इस शुभ मौके पर पवित्र और फेमस लक्ष्मी मंदिर का दर्शन करने भी पहुंचते हैं।

भारत में एक ऐसा ही महालक्ष्मी मंदिर जिसके बारे में कहा जाता है जो भी भक्त सच्चे मन यहां पहुंचता है तो खाली हाथ नहीं जाता है। इस लेख में हम आपको इसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

कहां है महालक्ष्मी मंदिर?

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जी महालक्ष्मी मंदिर के बारे में हम आपसे जिक्र कर रहे हैं वो किसी और राज्य में नहीं बल्कि मायानगरी यानी मुंबई में स्थित है। समुद्र के किनारे स्थित यह मंदिर मुंबई के साथ-साथ अन्य शहरों के लोगों के लिए बेहद ही पवित्र स्थान है। आपको बता दें कि यह मुंबई के भूलाभाई देसाई मार्ग पर स्थित है। यहां हर समय भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।

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महालक्ष्मी से जुड़े मिथक क्या है?

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इस महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि बहुत पहले मुबई शहर में वर्ली और मालाबार हिल जो पुल के माध्यम से जोड़ने का काम चल रहा था। हजारों कारीगर काम ले लगे हुए थे मगर दीवार बनाने में परेशानी हो रही थी। कई दिनों तक प्रयास करने के बाद ही दीवार खाड़ी नहीं हो पाई और कार्य को छोड़ना पड़ा।(रावण के ससुराल में है कुबेर मंदिर?)

इसी बीज एक व्यक्ति ने सपना देखा कि मां लक्ष्मी उससे बोल रही हैं कि 'वर्ली में समुद्र किनारे एक मूर्ति है और उस मूर्ति को लाकर समुद्र किनारे मेरी स्थान करों। इससे तुम्हारी समस्या दूर हो जाएगी'।

सपना सुनने के बाद उस व्यक्ति ने कुछ ऐसा ही किया और बाद में दीवार खाड़ी हो गई। इस घटना के बाद मूर्ति हर जगह फेमस हो गई।

महालक्ष्मी के साथ अन्य देवी की मूर्ति

कहा जाता है साल 1813 के आसपास इस छोटे से मंदिर को बड़ा स्वरूप दिया गया। इस मंदिर में महालक्ष्मी जी के साथ-साथ महाकाली की भी प्रतिमा स्थापित है। यह स्थापित देवियों को बड़े ही सुंदरता के साथ सजाया गया है। कहा जाता है कि इस मंदिर में महालक्ष्मी जी को शेर पर सवार दिखाया गया है जो राक्षश का वध कर रही हैं।

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धनतेरस और दिवाली पर भक्तों भी होती हैं भीड़

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आमतौर यहां हर समय भक्तों की भीड़ होती हैं, लेकिन धनतेरस और दिवाली के समय कुछ अधिक भी भीड़ होती है। कहा जाता है दिवाली से पहले हर रोज लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। यह सिर्फ मुंबई ही नहीं बल्कि देश भर से लोग पहुंचते हैं।(धन्वंतरि मंदिर दर्शन करने पहुंचें)

इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि मंदिर के दीवार पर जो भी भक्त सिक्के चिपकते हैं उनकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं।

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Image Credit:(@punyadarshan)

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