भारत में अनेकों शक्तिपीठ मौजूद हैं। मान्यता है कि इन स्थानों पर देवी सती के शरीर के अलग-अलग अंग गिरे हैं। देवी के अंग जहां पर गिरा उसे शक्तिपीठ कहकर पुकारा गया। माता कामाख्या देवी मंदिर भी इन्हीं प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। बता दें कि इस स्थान पर देवी सती की योनी का भाग गिरा था। असम की राजधानी दिसपुर से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर इस मंदिर देश और दुनिया के लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। 26 जून 2022 को मां कामाख्या मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। जहां पहले दिन ही 24 हजार श्रद्धालुओं ने माता के मंदिर के भव्य दर्शन किए।
मंदिर का मुख्य द्वार अंबुबाची मेला समाप्त होने के बाद खोला गया। अगर आप भी माता सती के इस शक्तिपीठ का दर्शन करने का मन बना रहे हैं, तो जानें मंदिर की यात्रा से जुड़ी जरूरी जानकारियों के बारे में-
मंदिर से जुड़ी मान्यता-
माता सती को समर्पित इस मंदिर में हर साल 22 जून से लेकर 26 जून तक अंबुबाची मेला मेला आयोजित किया गया। 22 जून से 25 जून के बीच मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, जिस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का जल लाल रहता है। माना जाता है कि इन दिनों माता सती रजस्वला में रहती हैं। वहीं 26 जून को सुबह मंदिर भक्तों के खोला जाता है, जिसके बाद भक्त माता के दर्शन पाते हैं।
मंदिर का अनोखा इतिहास-
कामाख्या मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। इतिहास के अनुसार इस कामाख्या मंदिर का निर्माण 8वीं और 9वीं शताब्दी के बीच किया गया था। हालांकि हुसैन शाह ने इस राज्य पर आक्रमण कर मंदिर को नष्ट कर दिया था। सालों बाद 1500 ईसवी के दौरान कोच वंश के संस्थापक राजा विश्वसिंह ने मंदिर को पूजा स्थल के रूप में पुनर्जीवित किया। फिर वर्ष 1565 में इस मंदिर को राजा के बेटे ने दोबारा बनवाया। तब से लेकर आज तक यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है।
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बिना मूर्ति के होती है देवी सती की पूजा-
इस मंदिर में आपको देवी की कोई भी तस्वीर नहीं नजर आएगी। मूर्ति की जगह यहां पर कुंड बनाया गया है, जो कि फूलों से ढका जाता है। इस कुंड से हमेशा पानी निकलता रहता है। देवी सती की योनी का भाग गिरने के कारण इस मंदिर में योनी की पूजा की जाती है।
तांत्रिकों का लगता है जमावड़ा-
यह मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी जाना जाता है। यही वजह है कि मंदिर के कपाट खुलने पर दूर-दूर से साधु-संत और तांत्रिक भी दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं को मिलता है अनोखा प्रसाद-
दर्शन के लिए आए भक्तों को यहां पर अनोखा प्रसाद दिया जाता है। तीन दिन देवी सती के मासिक धर्म के चलते माता के दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है। तीन दिन बाद जब कपड़े का रंग लाल हो जाता है, तो इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
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मंदिर तक कैसे पहुंचे?
प्लेन-
कामाख्या मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले अपने शहर के नजदीकी एयरपोर्ट से गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचे। इसके बाद किसी भी टैक्सी या कैब की मदद से आप आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
ट्रेन-
ट्रेन की मदद से सबसे पहले कामाख्या रेलवे स्टेशन पहुंचे। आप चाहें तो गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर भी उतर सकते हैं। स्टेशन पर उतर कर किसी भी ऑटो या टैक्सी की मदद से होटल तक पहुंचे। इसके बाद फ्रेश होकर आप दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। हालांकि माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पैदल यात्रा करनी होगी, जिसका अनुभव बेहद खास होगा।
तो ये थी कामाख्या मंदिर से जुड़ी जरूरी जानकारियां, जिसके अनुसार आप अपनी यात्रा प्लान कर सकती हैं। आपको हमारा यह आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो इसे लाइक और शेयर करें, साथ ही ऐसी जानकारियों के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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