अपने देश में काले रंग और काली चीजों को लेकर एक गलत तरह की मान्यता बनी हुई है। हमारे देश में अमूमन ही माना जाता है कि काली चीज हमेशा खराब होती है। ऐसा लड़कियों के रंग को देखकर ज्यादा होता है। इसी तरह किसी भी शुभ समारोह में काले रंग के कपड़े पहनने की मनाही होती है। काले रंग से इतना बैर क्यों? जबकि काला रंग ही अन्य रंगों की पहचान कराता है और काला रंग ही उजाले की अहमियत बताता है।
खैर यह अपनी-अपनी सोच है और इस पर बरसों से बहस जा रही है जिसको इस लेख में हम कन्टीन्यू नहीं करना वाले हैं। क्योंकि हम काले चिकन के बारे में बात करने वाले हैं जो खाने में काफी हेल्दी होता है।
अरे हम बात करने हैं, कड़कनाथ मुर्गे की।
कड़कनाथ मुर्गा
मध्यप्रदेश में पाया जाने वाला कड़कनाथ मुर्गे को हाल ही में चेन्नई स्थित GI पंजीकरण कार्यालय ने भौगोलिक संकेतक (GI) का टैग दे दिया है। मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास ट्रस्ट, झाबुआ ने इसके लिये वर्ष 2012 में आवेदन किया था।
छत्तीसगढ़ ने भी किया था आवेदन
कड़कनाथ मुर्गा मूलत: मध्य प्रदेश राज्य के झाबुआ, अलीराजपुर और धार ज़िले के कुछ भागों में पाया जाता है। इस मुर्गे के लिए छत्तीसगढ़ द्वारा भी GI टैग की मांग की जा रही थी। लेकिन अंत में पंजाकरण कार्यालय ने मध्य प्रदेश के दावे को मान्यता दी।
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कैसा होता है कड़कनाथ मुर्गा
मेलानिन वर्णक के कारण कड़कनाथ मुर्गा काले रंग का होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके काले रंग के कारण इसे कालीमासी भी कहा जाता है। इसके पंख, माँस, हड्डियाँ और खून का भी रंग काला रंग होता है। जबकि सामान्य मुर्गे के खून का रंग लाल होता है।
होते हैं औषधीय गुण
इस मुर्गे में औषधीय गुण होते हैं जिसके कारण कई बीमारियों में डॉक्टर इस मुर्गे को खाने की सलाह देते हैं। जहाँ अन्य मुर्गो में 18-20% प्रोटीन पाया जाता है वहीं, कड़कनाथ मुर्गे में 25% प्रोटीन पाया जाता है। इसमें फैट और कोलेस्ट्रॉल भी सामान्य मुर्गे की तुलना में कम होता है। की मात्रा अपेक्षाकृत कम पाई जाती है और आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता है। चिकन की अन्य किस्मों की तुलना में कड़कनाथ मुर्गे का उच्च-प्रोटीन युक्त होने के कारण कड़कनाथ मुर्गे का माँस, चूजे और अंडा बहुत महंगा होता है।
महिलाओं के लिए विशेष रुप से उपयोगी
यह मुर्गा महिलाओं के लिए विशेष रुप से फायदेमंद होता है। क्योंकि महिलाओं के शरीर में सामान्यत कम प्रोटीन होता है जिसके कारण उन्हें कई सारी बीमारियां होती हैं। लेकिन प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए जब महिलाएं अंडा, दूध और चिकन खाती हैं तो उन्हें वजन बढ़ने का डर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन सारी चीजों में फैट और कोलेस्ट्रॉल काफी मात्रा में होता है। जबकि कड़कनाथ मुर्गे में केवल 0.73-1.03% फैट होता है। वहीं सामान्य मुर्गे में 13-25% फैट होता है। इसी तरह काले मुर्गे में 184.75मि.ग्रा./100मि.ग्रा. कोलेस्ट्रॉल होता है जबकि सामान्य मुर्गे में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 218.12मि.ग्रा./100मि.ग्रा. होता है।
अब तो सरकार ने भी मान लिया है कि कड़कनाथ मुर्गा बहुत अधिक फायदेमंद होता है। तो जी भर कर काला चिकन खाएं और खुद को स्वस्थ रखें।