बेंगलुरु को भारत की सिलिकॉन वैली और गार्डन सिटी कहा जाता है। यह एक ऐसा शहर है, जो शानदार मॉल्स से लेकर शांत झीलों और हरे-भरे बगीचों से भरपूर है। इसलिए, अधिकतर लोग यहां पर आना काफी पसंद करते हैं। यूं तो आपको यह शहर देखने में काफी अपग्रेटेड महसूस होगा, लेकिन ऐतिहासिक रूप से भी इसका महत्व कम नहीं है। बेंगलुरु में कई ऐतिहासिक इमारत या सदियों पुराने स्मारक मौजूद है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
इसलिए यह कहा जाता है कि जब भी कोई बेंगलुरु आता है तो उसे इन ऐतिहासिक जगहों को भी जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बेंगलुरु में मौजूद कुछ ऐसी ही ऐतिहासिक जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए-
जब बेंगलुरु में स्थित ऐतिहासिक जगहों की बात होती है तो सबसे पहले बैंगलोर फोर्ट का नाम दिमाग में आता है। इसे बैंगलोर के संस्थापक केम्पे गौड़ा प्रथम ने एक मिट्टी के किले के रूप में बनवाया था; इसमें नौ बड़े द्वार थे। 1761 में हैदर अली ने इस पर कब्ज़ा करने के बाद इसे पत्थरों से मजबूत किया। हालांकि, इस ऐतिहासिक फोर्ट का अधिकतर हिस्सा समय की लहरों के कारण नष्ट हो गया है। इस किले में एक समय टीपू सुल्तान का समर पैलेस, उनका शस्त्रागार, एक मंदिर, एक चर्च, एक कब्रिस्तान और यहां तक कि एक स्कूल भी शामिल था। आप इनमें से कई संरचनाओं को आज नहीं देख पाएंगे, लेकिन आप अभी भी किले का दिल्ली गेट देख सकते हैं।
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टीपू सुल्तान का किला और महल बेंगलुरु में एक ऐतिहासिक संरचना है। जब आप टीपू सुल्तान के किले और महल को देखते हैं तो आप समय में पीछे जा सकते हैं। इसे टीपू सुल्तान के समर पैलेस के रूप में भी जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि यह बैंगलोर किले का एक हिस्सा था। बता दें कि वह हैदर अली ही थे जिन्होंने किले का निर्माण शुरू किया था। लेकिन यह उनके बेटे टीपू सुल्तान के शासनकाल के दौरान 1791 में पूरा हुआ था। सागौन की लकड़ी से बना पूरा महल दीवारों पर फूलों की आकृतियों से सजाया गया है। महल के ग्राउंड फ्लोर में एक छोटा सा म्यूजियम भी स्थित है। जहां पर आप उनके मुकुट और कपड़ों से लेकर पुराने सिक्कों, चित्रों, चांदी के बर्तनों आदि काफी कुछ देख सकते हैं।
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मेयो हॉल भारत के चौथे वायसराय लॉर्ड मेयो के सम्मान में बनाया गया स्मारक है। यह एक दो मंजिला संरचना है जो 1883 में बनी थी। यह एक तरफ बैंगलोर रेस कोर्स और ब्रिगेड ग्राउंड और दूसरी तरफ उल्सूर झील और परेड ग्राउंड का खूबसूरत दृश्य प्रस्तुत करता है।
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बेंगलुरु में स्थित यह म्यूजियम ना केवल जियोलॉजिकल और आर्कियोलॉजिकल आर्टिफैक्ट्स का एक खजाना है, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी यह उतना ही महत्वपूर्ण है। 1865 में स्थापित इस म्यूजियम को भारत के सबसे पुराने म्यूजियम में गिना जाता है। म्यूजियम के मुख्य आकर्षणों में विजयनगर और मोहनजोदड़ो की कलाकृतियां, कोडागु के हथियार, तंजौर, मैसूर और डेक्कन की दुर्लभ पेंटिंग और कुछ शुरुआती कन्नड़ शिलालेख भी शामिल हैं। आप इस म्यूजियम में कई ऐतिहासिक म्यूजिकल इंस्ट्रुमेंट्स भी पा सकते हैं।
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