तंजावुर तमिलनाडु में स्थित एक बहुत पुराना नगर है। एक समय में यह चोल वंशों की राजधानी के रूप में मशहूर हुआ करता था। यहां निर्मित मंदिर, किले व अन्य स्थल की वास्तुकला देखने लायक है। फिलहाल, यह जगह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से लगभग 218 किमी दूर कावेरी नदी के तट पर स्थित है। यहां कपास मिल, पारंपरिक हथकरघा और वीणा निर्माण जैसी कई औद्योगिक गतिविधियां हैं, जो इस नगर की समृद्धि को प्रदर्शित करती हुई नजर आती हैं। तंजावुर को तमिलनाडु राज्य के ‘धान का कटोरा' भी कहा जाता है। धान के अलावा यहां नारियल, केला, हरा चना, मक्का और गन्ने जैसी फसलें भी उगाई जाती हैं।
तंजावुर को तंजौर के नाम से भी जाना जाता है। यहां लगभग 75 छोटे-बड़े मंदिर हैं, जिनकी वास्तुकला देखकर आप दंग रह जाएंगे। इसलिए तंजावुर को मंदिरों व कला की नगरी भी कहते हैं। आइए जानें यहां के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों के बारे में-
बृहदेश्वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में चोल शासक राजराजा के द्वारा करवाया गया था। बृहदेश्वर मंदिर यहां के सबसे बड़े मंदिरों व प्रमुख आकर्षणों में शामिल है। इसे मंदिर को एक ही पहाड़ के टुकड़ों को काटकर बनाया गया है। द्रविड़ शैली में निर्मित इसकी वास्तुकला अतिमनोरम है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 190 फीट है। मंदिर के अंदर विशाल शिवलिंग और विशाल नंदी की मुर्ति है। इसे राजराजेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हर साल मई के महीने में इस मंदिर में एक वार्षिक उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसे देखने की भीड़ होती है। इस मंदिर को 'महानतम चोल मंदिर' के रूप में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल में भी शामिल किया है।
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विजयनगर किला
विजयनगर किला, बृहदेश्वर मंदिर के उत्तर-पूर्व में दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले का निर्माण 16वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। इसके अंदर तंजौर पैलेस, संगीत महल, तंजौर आर्ट गैलरी, शिव गंगा गार्डन और संगीत महल पुस्तकालय हैं, जो कला, वास्तुकला और इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां स्थित तंजौर पैलेस की सुंदरता देखने लायक है। इसे मराठा शासकों के द्वारा बनवाया गया था। इस किले का अधिकांश हिस्सा अब खंडहर हो चुका है, लेकिन इसके कई हिस्से पर्यटकों के लिए खुले हुए हैं। अगर तमिलनाडु घूमने का प्लान है तो पूरपूरा एक दिन विजयनगर किला को दें, ताकि आप यहां की पुरानी चीजें, अवशेष व कला को देख सकें।
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सरस्वती महल पुस्तकालय
तंजावुर में स्थित सरस्वती महल पुस्तकालय, एशिया के सबसे पुराने पुस्तकालय में से एक माना जाता है। यहां खजूर के पत्तों पर तमिल, मराठी, तेलुगु और अंग्रेजी सहित अनेक भाषाओं में लिखी पांडुलिपियां और किताबें मौजूद हैं। इस पुस्तकालय का निर्माण 1535-1675 ई. में नायक शासकों ने करवाया था। फिर मराठा शासकों ने इसे निखारा। 1918 के बाद से यह पुस्तकालय तमिलनाडु राज्य के नियंत्रण में है। यह पुस्तकालय आम लोगों के लिए खुला हुआ है। इस पुस्तकालय के अंदर एक संग्रहालय भी है, जो किताबों के महत्व को प्रदर्शित करता है। वर्तमान समय में लोग डिजिटल किताबों की ओर बढ़ रहे हैं और इसकी सुविधा भी यहां इस पुस्तकालय में उपलब्ध है।
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इसके अलावा तंजावुर में मनोर किला, मुरुगन मंदिर, स्वामी मलाई मंदिर, बंगारू कामाक्षी अम्मन मंदिर, अलंगुडी गुरु मंदिर, थानजई ममानी कोइल, चंद्र भगवान मंदिर और भी कई दार्शनिक स्थल हैं, जिन्हें देखने आप जा सकते हैं। घूमने के अलावा आप यहां के लजीज व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं, जैसे- चावल, सांभर, रसम, करी, दही, अचार, डोसा, इडली, उपमा, केसरी, परोटा, पोंगल, पैसम, स्वीट पोंगल, बिरयानी आदि। आपको बता दें कि अगर आप रेलवे मार्ग से यहां जाना चाहते हैं तो तिरुचिरापल्ली रेलवे स्टेशन यहां का समीप रेलवे स्टेशन है और अगर फ्लाइट से जा रहे हैं तो तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा से आप तंजावुर पहुंच सकते हैं।
अगर कभी तमिलनाडु जाने का प्लान हो तो बताई गई इन जगहों को देखना न भूलें। लेख पसंद आया हो तो इसे लाइक व शेयर जरूर करें। ऐसे अन्य लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें herzindagi.com
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