अब विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति इंडिया में हैं। ‘स्टैयू ऑफ यूनिटी’ के बारे में ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है। सरदार वल्लभभाई पटेल के ‘स्टैयू ऑफ यूनिटी’ का बुधवार, 31 अक्टूबर को गुजरात में पीएम मोदी ने अनावरण कर दिया है। स्टैचू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है।
ये स्टैचू अपने आप में खास है। इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है। इस स्टैचू को बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो ने दावा किया कि स्टैचू ऑफ यूनिटी वर्ल्ड की सबसे ऊंची प्रतिमा है और महज 33 माह के रिकॉर्ड कम समय में बनकर तैयार हुई है जबकि स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति को बनाने में चीन को 11 साल का समय लगा था।
भारत ने विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैचू ऑफ यूनिटी' बनाकर नया कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है। अभी तक दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का नाम 'चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा' बताते थे।
स्टैचू ऑफ यूनिटी को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सरदार पटेल का ये स्टैचू राम वी. सुतार की निगरानी में बना है। यहां आपको बता दें कि राम वी. सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
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साल 2016 से पहले भी उन्हें 1999 में पद्मश्री दिया जा चुका है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी को भी पीछे छोड़ देगी और दुनिया की सबसे ऊंचा स्टैचू होगा। इस स्टैचू में कांसे की परत चढ़ाने के आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है।
तो चलिए जानते हैं स्टैचू ऑफ यूनिटी की खासियत
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ये स्टैचू नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्टैचू को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि रैफ्ट निर्माण का काम वास्तव में 19 दिसंबर साल 2015 को शुरू हुआ था और 33 माह में इसे पूरा कर लिया गया।
सरदार पटेल के इस स्टैचू को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया है। इस स्टैचू को बनाने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के मुताबिक कांसे की परत चढ़ाने के आशिंक कार्य को छोड़ कर बाकी पूरा निर्माण देश में ही किया गया है।
सरदार पटेल का ये स्टैचू राम वी. सुतार की निगरानी में बना है। राम वी. सुतार को साल 2016 में सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था और इससे पहले साल 1999 में उन्हें पद्मश्री सम्मान भी मिला था।
इसके अलावा राम वी. सुतार बांबे आर्ट सोसायटी के लाइफ टाइम अचीवमेंट समेत अन्य पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं। इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्टूबर, 2013 को पटेल की 138 वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी गई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
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