मां बनने को एक महिला के लिए सबसे बड़ा सुख माना जाता है लेकिन कुछ महिलाएं इस सुख से वंचित हैं। इस कुंड के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है।
ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड को भगवान कृष्ण ने वरदान दिया था और इस वजह से इस कुंड की इतनी ज्यादा मान्यता है कि यहां स्नान करने के लिए हजारों मीलों का सफर तय कर विवाहित जोड़े संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर आते हैं।
तो चलिए आपको लेकर चलते हैं इस कुंड की तरफ।
भगवान कृष्ण की नगरी में है ये कुंड
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में स्थित राधा कुंड में स्नान करने से नि:संतान को भी संतान की प्राप्ति होती है और ये मान्यता हजारों सालों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई नि:संतान दंपति एक साथ अहोई अष्टमी यानि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि इस कुंड में स्नान करता है तो जल्द ही उसके घर में बच्चे की किलकारियां गूंजने लगती हैं।
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ऐसे किया जाता है राधाकुंड में स्नान
ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही होती है उन्हें इस राधाकुंड में स्नान करना चाहिए। मान्यतानुसार यहां स्नान करने वाली महिलाएं अपने केश खोलकर माता राधा से संतान का वरदान मांगती हैं और उन्हें ये वरदान मिलता भी है।
राधाकुंड को मिला वरदान
इस स्थान से जुड़ी एक पौराणिक कहानी भी प्रचलित है। कथा के अनुसार एक बार गोवर्धन पर्वत के पास में गाय चराने के दौरान अरिष्टासुर नामक राक्षस ने बछड़े का रूप धरकर भगवान कृष्ण पर हमला कर दिया था। भगवान कृष्ण के हाथों उस बछड़े का वध करने की वजह से कान्हा पर गौहत्या का पाप लग गया। इस पाप के प्रायश्चित के तौर पर श्रीकृष्ण ने अपनी बांसूरी से कुंड बनवाया और तीर्थ स्थानों के जल को वहां एकत्रित कर दिया।
इसी तरह राधा जी ने भी अपने कंगना की सहायता से कुंड खोदा और सभी वहां भी तीर्थ स्थान के जल एकत्रित हुए। राधा से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी नि:संतान दंपत्ति अहोई अष्टमी की रात यहां स्नान करेगा उसे सालभर के भीतर ही संतान की प्राप्ति अवश्य होगी।
राधाकुंड की खासियत
राधाकुंड की एक खासियत है यहां कृष्णकुंड का पानी दूर से देखने पर कृष्ण जी के रंग की तरह सांवला दिखाई देता है, वहीं राधाकुंड का पानी उन्हीं की तरह श्वेत दिखता है।