हिंदू धर्म में कई देवी देवताओं की पूजा की जाती है। इनमें से भगवान गणेश को सबसे ज्यादा मान्यता दी गई है। धार्मिक ग्रंथों में गणेश जी को सबसे अधिक महत्व दिया गया है और सभी देवी-देवताओं से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, देशभर में गणपति के कई विशाल मंदिर हैं, जहां साल भर भक्तों की भीड़ा लगी रहती है। आज ऐसे ही एक मंदिर 'श्रीमंत दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर' के बारे में हम आपको बताएंगे।
यह मंदिर माहाराष्ट्र के सुंदर नगर पुणे में है। वैसे तो यहां आप साल के किसी भी महीने में आ सकते हैं, मगर गणेश उत्सव के समय इस मंदिर में भक्तों की रौनक और आलीशान सजावट देखते ही बनती है। चलिए आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताते हैं।
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कैसे पड़ा यह नाम
भगवान गणेश के इस मंदिर का नाम बेहद अलग है और कई लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर भगवान गणेश को यहां दगड़ूसेठ हलवाई क्यों कहा जाता है। चलिए आपकी जिज्ञासा शांत करते हैं और आपको बताते हैं कि इस मंदिर का नाम श्रीमंत दगड़ूसेठ हलवाई मंदिर कैसे पड़ा। दरअसल, दगड़ूसेठ नाम का एक प्रसिद्ध हलवाई था, जिसने इस मंदिर का निर्माण कराया था। तब से इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाईके नाम से ही भक्तों ने पुकारना शुरू कर दिया था।(गणेश जी के यह मंत्र पढ़ें)
कब हुआ मंदिर का निर्माण
ऐसा कहा जा है कि दगड़ूसेठ हलवाई कलकत्ता से पुणे मिठाइयों का व्यापार करने आए थे। उनकी पत्नी और बेटा भी साथ में पुणे आए थे। उस दौरान पुणे में प्लेग महामारी फैली हुई थी, जिसमें दगड़ूसेठ हलवाई ने अपने बेटे को खो दिया। बेटे की आत्मा की शांति के लिए दगड़ूसेठ हलवाई ने पंडित से बात की तो उन्होंने भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी। पंडित जी की सलाह पर वर्ष 1893 में दगड़ूसेठ हलवाई ने एक भव्य गणपति मंदिर का निर्माण कराया और गणपति प्रतिमा स्थापित कराई । आज इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाई के नाम से ही जाना जाता है।
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पूरे महाराष्ट्र में इस मंदिर को बहुत ही पवित्र और मनोकामना पूरा करने वाला माना जाता है। यहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो जाती है और रात में मंदिर के बंद होने तक यह भीड़ खत्म नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी अपनी मुराद लेकर आता है वह कभी अधूरी नहीं रहती है और गणपति उसे जरूर पूरा करते हैं।
पहला गणेश उत्सव
आपको बता दें कि सबसे पहले फ्रीडम फाइटर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस मंदिर में गणेश उत्सव मनाना शुरू किया था। तब से हर साल यहां पर गणेश चतुर्थी के बाद 10 दिन तक धूम-धाम से गणेश उत्सव मनाया जाता है।(गणपति स्थापना से जुड़ी 5 खास बातें जानें)
गणेश प्रतिमा की बनावट
दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा रखी गई है। इस प्रतिमा के केवल चेहरे पर ही 8 किलो सोने का काम किया गया है। इस प्रतिमा के में गणपति के दोनों कान सोने के हैं। प्रतिमा को 9 किलो से भी अधिक वेट का मुकुट पहनाया गया है। देश में मौजूद सभी गणेश प्रतिमाओं में से यह प्रतिमा बेहद खूबसूरत है और इस मंदिर में गणेश जी को हैवी सोनी की ज्वेलरी से सजाया गया है।
कैसे पहुंचे
आप पुणे सड़क, ट्रेन या वायु मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। पुणे के रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी 5 किमी और एयरपोर्ट से 12 किमी दूर है।(गणेश जी के मंदिरों से जुड़े से सवालों के दें जवाब)
ट्रैवल से जुड़ी और भी रोचक जगहों के बारे में जानने के लिए पढ़ती रहें हरजिंदगी।
Image Credit: www.dagdushethganpati.com
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