नवरात्रि में करना चाहती हैं माता के दर्शन तो जाएं दुर्गा कुंड, वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में से है एक

काशी को भोलेनाथ की नगरी माना जाता है, लेकिन यहां भगवान शिव के अलावा मां दुर्गा का भी पुरातन मंदिर है।, जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।

durga havan kund
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गंगा तट पर स्थित काशी पुरानी नगरी है। लोग दूर-दूर से भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं, लेकिन यहां मां दुर्गा का भी पुरातन मंदिर है। वाराणसी में कई प्रमुख मंदिर है, उन्हीं में से एक है मां दुर्गा का ये मंदिर। नवरात्रि में यहां मां दुर्गा की पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। अगर आप वाराणसी जाने का प्लान बना रही हैं तो दुर्गाकुंड जाना ना भूलें।

विशेष बात है कि इस मंदिर में मां दुर्गा के कई स्वरूपों के दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है। यही कारण है कि लोग माता के दर्शन के लिए घंटों लाइन में लगे रहते हैं। यहां जाने पर लोगों के अंदर सकारात्मक उर्जा का बहाव महसूस होता है। इसलिए दर्शन के बाद कुछ लोग मंदिर के प्रांगण में बैठते हैं और फिर बाहर जाते हैं। वहीं इस मंदिर का मुख्य द्वार इस तरह बनाया गया कि आप सड़क से भी माता के दर्शन प्राप्त कर सकती हैं।

ऐसे हुआ था मंदिर का निर्माण

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इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में रानी भवानी ने करवाया था, जो देवी की एक भक्त थीं। इसकी प्रमुख विशेषताओं में से एक है इस मंदिर का कुंड जोमंदिरके परिसर में ही बनाया गया है। इस कुंड को लोग गंगा नदी से जोड़ते हैं। इस मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो इसका निर्माण उत्तर भारतीय नागर शैली में लाल पत्थरों से किया गया है। वहीं मां दुर्गा का मुख्य चिह्न, जिसे शक्ति की देवी भी माना जाता है। उसे भी लाल रंग में देखा जा सकता है। यही नहीं जब आप मंदिर के अंदर जाते हैं तो आपको दीवारों पर उकेरे गए कई सुंदर नक़्क़ाशीदार पत्थर दिखाई देंगे। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको वाराणसी के कैंट स्टेशन से ऑटो मिल जाएगा। इसके अलावा आप निजी वाहन कर के भी आप यहां पहुंच सकती हैं।

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आदिकाल से है यह मंदिर

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इस मंदिर में माता दुर्गा यंत्र के रूप में विरामजान है। मंदिर के प्रांगण में माता दुर्गा के अलावा देवी सरस्वती, लक्ष्मी, काली, और बाबा भैरोनाथ की अलग-अलग मूर्तियां स्थापित हैं। माता के दर्शन के अलावा मंदिर के पुजारियों के भी दर्शन करें। वहीं इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यताएं कि यह आदिकाल से है। जब माता दुर्गा ने असुर शुंभ और निशुंभ का वध किया था, तो मां ने यहीं विश्राम किया था। इस मंदिर में वह शक्ति स्वरूप में विराजमान। बता दें कि आदिकाल से सिर्फ तीन मंदिर ही थे, जिसमें पहला काशी विश्वनाथ, दूसरा मां अन्नपूर्णा, और तीसरा दुर्गा मंदिर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्गा कुंड में तंत्र पूजा भी की जाती है। प्रत्येक दिन इस कुंड में हवन किया जाता है।

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दुर्गा कुंड के आसपास हैं कई मंदिर

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वाराणसी में स्थित दुर्गा कुंड के आसपास कई मंदिर है, जहां आप दर्शन के लिए जा सकती हैं। जिसमें संकट मोचन, तुलसी मानस मंदिर आदि शामिल हैं। दुर्गा कुंड पहुंचने के बाद इन मंदिरों के दर्शन आसानी से किये जा सकते हैं।

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