भारत एक ऐसा देश है जहां आस्था, परंपरा और अध्यात्म हर गली, हर मोड़ पर नजर आता है। खासकर भगवान शिव की पूजा को लेकर जो श्रद्धा लोगों के मन में है, वह शब्दों में नहीं बांधी जा सकती। शिव को देवों के देव, महादेव कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में शिव की उपासना करने से सौगुना फल प्राप्त होता है। इस मास में लाखों भक्त देशभर के प्रमुख शिव मंदिरों की यात्रा करते हैं, लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनका उल्लेख पुराणों, धार्मिक ग्रंथों और लोकमान्यताओं में इस प्रकार मिलता है कि वहां जाना अपने आप में एक वरदान माना जाता है।
अगर आप भी महादेव की कृपा चाहते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करना चाहते हैं, तो आप इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें। इस लेख में आइए जानते हैं भारत के ऐसे 3 शक्तिशाली शिव मंदिरों के बारे में, जहां जाना सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से जीवन को संवारने वाला अनुभव भी होता है।
1. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
काशी को शिव की नगरी कहा जाता है। कहा जाता है काशी वो जगह है, जहां मृत्यु भी मोक्ष का द्वार मानी जाती है। यहां स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में एक माना जाता है। यह मंदिर गंगा किनारे स्थित है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु सावन में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लोग दूर-दूर से यहां शिव का रूद्राभिषेक करने के लिए आते हैं। सावन में यहां विशेष जलाभिषेक और श्रृंगार होते हैं।
यह मंदिर भक्तजनों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि-
- मान्यता है कि काशी में मृत्यु होने पर सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- यहां शिव स्वयं 'विश्वनाथ' के रूप में नगर के अधिपति हैं।
- कहा जाता है कि यहां एक बार सच्चे मन से दर्शन करने से जीवन के सभी पाप कट जाते हैं।
कैसे पहुंचें वाराणसी-
हवाई मार्ग:
- यहां जाने के लिए अगर आप फ्लाइट से जाना चाहें, तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह मंदिर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।
- दिल्ली, मुंबई, कोलकाता सहित सभी बड़े शहरों से फ्लाइट उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग:
- ट्रेन से जाने के लिए आप वाराणसी जंक्शन पर उतर सकते हैं।
- स्टेशन से मंदिर केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां जाने के लिए ऑटो-रिक्शा/टैक्सी सारी चीजें उपलब्ध रहती हैं।
सड़क मार्ग:
- यहां बस से भी पहुंचा जा सकता है। वाराणसी उत्तर प्रदेश और बिहार के कई हिस्सों से सड़क द्वारा अच्छी तरह जुड़ा है।
- लखनऊ, पटना, इलाहाबाद से बसें और टैक्सी आसानी से मिलती हैं।
2. केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड
हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ धाम तीर्थयात्रा और आत्मिक शांति का संगम है। 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल यह मंदिर समुद्रतल से 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और वहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी होती है। यह मंदिर केवल 6 महीने खुलता है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन में यहां बहुत भीड़ होती है।
क्यों माना जाता है वरदान समान-
- माना जाता है कि महाभारत के पश्चात पांडवों ने अपने पाप धोने के लिए यहीं भगवान शिव की तपस्या की थी।
- यहां की यात्रा को तप के समान माना जाता है। कहते हैं यदि आपने यहां की यात्रा कर ली, तो आपने भगवान शिव को प्रसन्न कर दिया। इस जगह पर रखे जाने वाला हर कदम भक्ति का प्रतीक है।
- ऐसा भी कहा जाता है कि यदि आप पितृ दोष के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो यहां उन्हें कम किया जा सकता है। यहां दर्शन करने से पूर्वजों के कर्मों का प्रायश्चित भी होता है।
कैसे पहुंचें केदारनाथ-
हवाई मार्ग:
- सबसे निकटतम एयरपोर्ट जॉलीग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) है, जो केदारनाथ से लगभग 240 किमी दूर है।
- यहां से हरिद्वार/रुद्रप्रयाग/गौरीकुंड तक टैक्सी या बस मिल जाती है।
रेल मार्ग:
- नजदीकी बड़ा स्टेशन हरिद्वार है। यहां से रुद्रप्रयाग और फिर गौरीकुंड तक बस या जीप द्वारा पहुंचा जा सकता है।
- गौरीकुंड से केदारनाथ तक लगभग 16 किमी का ट्रेक (पैदल या खच्चर से) करना होता है।
सड़क मार्ग:
- दिल्ली/हरिद्वार/ऋषिकेश से केदारनाथ के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
- आखिरी बस स्टॉप गौरीकुंड है, वहां से आगे पैदल यात्रा।
आप केदरानाथ जाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा भी ले सकते हैं। यह सोनप्रयाग और फाटा से उपलब्ध होती है और इसके लिए पहले बुकिंग जरूरी है।
3. बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर (झारखंड)
बाबा बैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर में स्थित है और यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे मनोकामना पूर्ण करने वाला धाम भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं वैद्य के रूप में विराजमान हैं, जो तन और मन दोनों के रोगों का उपचार करते हैं।
- पौराणिक कथा के अनुसार, रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने दसों सिर यहीं अर्पित किए थे, जिससे शिवजी प्रसन्न होकर उन्हें वरदान देने प्रकट हुए। इसलिए यह स्थल वरदान प्राप्ति का प्रतीक बन गया।
- हर साल सावन में लाखों कांवड़िए सुल्तानगंज से गंगाजल लाकर यहां जलाभिषेक करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती।
- ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से प्रार्थना करने से असाध्य रोग भी ठीक हो सकते हैं। सावन में यहां एक महीने तक श्रावणी मेला चलता है।
कैसे पहुंचें बाबा बैद्यनाथ धाम-
हवाई मार्ग:
- अब यहां फ्लाइट से ट्रैवल करना आसान है। आप यहां के लिए पटना, रांची, कोलकाता से फ्लाइट ले सकते हैं।
- एयरपोर्ट से मंदिर मात्र 8-10 किमी की दूरी पर है।
रेल मार्ग:
- सबसे नजदीकी स्टेशन जसीडीह जंक्शन है, जो देश के सभी प्रमुख रूट्स से जुड़ा हुआ है।
- जसीडीह से देवघर मंदिर तक टैक्सी और लोकल ऑटो आसानी से मिलते हैं।
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सड़क मार्ग:
- पटना, रांची, दुमका आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
- NH-114A और NH-333 देवघर को प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इन जगहों पर भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हमें बताएं क्या आपने इन मंदिरों के दर्शन किए हैं?
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Image Credit: Freepik and athitiddvobhav
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