अगर दांतों के पीलेपन को हटाने के लिए करवाने वाली हैं ब्‍लीच तो जान लें ये जरुरी बातें

अगर आप अपने दांतों का पीलापन हटाने के लिए ब्लीच करवाने वाली हैं तो इन कुछ बातों को जान लें। 

Gayatree Verma
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एक उम्र के बाद जब आपका ध्यान आपके दांतों पर जाता है तब आपको पता चलता है कि इतने सालों की लापरवाही की वजह से दांत पीले हो चुके हैं। रोज ब्रश करने में लापरवाही करने का असर पच्चीस साल की उम्र के बाद दिखना शुरू होता है जब आपकी मुस्कुराहट पीली दिखने लगती है। ऐसे में कई लोग पीले और गंदे दांतों की समस्‍या से छुटकारा पाने के लिए दांतों की ब्लीच करवाती हैं। 

दांतों की ब्लीच

कई लड़कियां अपने बदरंग दांतों से छुटकारा पाने के लिए और दांतों को चमकदार बनाने के लिए ब्लीच करवाती हैं। लेकिन हर बार दांतो का ब्लीच करवाना ही समाधान नहीं होता है। क्योंकि ब्लीच करवाने से दांत कुछ समय के लिए तो सफेद दिखते हैं लेकिन वे धीरे-धीरे फिर से पीले पड़ जाते हैं। ऐसे में दांत जब दोबारा पीले पड़ते हैं तो महिलाएं फिर से ब्लीच करवा लेती हैं। लेकिन बार-बार ब्लीच करवाने से दांत चमकदार तो दिखते हैं किंतु इससे दांत धीरे-धीरे सेंसेटिव और कमजोर भी होने लगते हैं। 

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दरअसल ब्लीचिंग के दौरान केमिकल युक्त पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, जो दांतों को नुकसान पहुंचता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी होता है कि ब्लीच विशेषज्ञ से सलाह करके ही करवाएं, आइए जानते है कि दांतों की ब्‍लीच के समय किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए?

पहले जानें दांत क्यों पड़ते हैं पीले? 

दांत पीले क्यों पड़ते हैं? हमारे दांतों पर 'इनेमल' लेयर होती है जो दांतों पर शाइन बनाए रखने का काम करती है। लेकिन हमारी कई तरह की गलतियों से दांत पीले पड़ जाते हैं। तो ये गलतियां ना करें। जैसे-

  • सही तरीके से ब्रश नहीं करने।
  • गलत चीजें खाने।  
  • अधिक मीठी चीजें खाना या पीना।
  • चाय और कॉफी अधिक पीना।
  • मसालेदार भोजन करना। 
  • सॉफ्ट ड्रिंक और कोल्ड ड्रिंक पीना।  

दांतों की सफाई अच्छी तरीके से नहीं करने के कारण दांतों पर से 'इनेमल' लेयर उतर जाती है जिससे इसके नीच की पीली परत दिखने लगती है जिसे 'डेंटिन' कहते हैं। इसी कारण से दांत पीले दिखने लगते हैं। 

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इस तरह से काम करती है ब्लीच

अब आपके लिए सबसे पहले जानना जरूरी है कि ब्‍लीच कैसे काम करती है? 

ब्लीच का असर दांत की ऊपरी सतह पर ही दिखता है। ब्लीच की मदद से दांत पर दाग-धब्बे हटाए जा सकते है। चाय-कॉफी या किसी अन्य पदार्थ के खाने से हुए दाग-धब्बे तो ब्लीच से साफ हो जाते हैं लेकिन ब्लीचिंग के जरिये दांतों का वास्तविक रंग बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता है। इसलिए अगर आपके दांत जेनेटिकली पीले हैं तो आप इसे ब्लीचिंग से नहीं बदल सकती हैं।  

तीन तरह की होती है ब्लीचिंग

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  • सिंपल ब्लीच - यह टेम्पररी ब्लीच होती है। इसे पहले अधिक इस्तेमाल किया जाता था। इसमें काफी आसान तरीके से ब्लीच करवाई जाती है क्योंकि ये कुछ समय के लिए होती है। इसलिए इसे "सिंपल ब्लीचिंग" कहते हैं।
  • पेस्ट मेटेरियल - दांतों को साफ रखने की दूसरी तकनीक पेस्ट मटेरियल तकनीक हैं।इसमें एक प्रकार का पेस्ट मेटेरियल तैयार कर लिया जाता हैं और उसे दांतों के ऊपर लगाकर कुछ हफ़्तों तक रखा जाता हैं। इससे दांत दो वर्षों तक ही सफेद रहते हैं। 
  • पोर्सलिन लेमिनेशन - इस तकनीक को अपनाकर दांतों को साफ करने के लिए पहले दांतों को हल्का - हल्का घिसा जाता हैं। दांतों के साइज के अनुसार डेंटिस्ट लेब में दांतों के ऊपर चढ़ाने के लाइट पोर्सलिन लेमिनेशन को तैयार करते हैं और फिर इसे मरीज के दांतों पर लगा देते हैं। इस तकनीक से दांत कई सालों तक साफ और सफेद रहते हैं, हालांकि इस तकनीक से दांत सालों तक साफ एवं चमकदार रहते हैं लेकिन, इससे दांत कमजोर और सेंसेटिव भी बन जाते हैं। 

तो इनमें से किसी भी तरीके से ब्लीच करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। खुद अपनी मर्जी से ब्लीच ना कराएं। क्योंकि ब्लीचिंग में रसायनयुक्त पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है जो दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए ब्लीच सही विशेषज्ञ से करवाएं। 

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