वास्तु शास्त्र में ईशान कोण या उत्तर-पूर्व दिशा का अत्यधिक महत्व होता है। इसे घर की सबसे शुभ और शक्तिशाली दिशा माना जाता है। मान्यता है कि यह आपके घर में समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ी हुई होती है। घर की उत्तर-पूर्व दिशा को ही 'ईशान कोण' दिशा भी कहा जाता है, जो हिंदू धर्म में सृष्टि और संहार के देवता भगवान शिव से संबंधित होती है। यह दिशा उस घर के निवासियों के स्वास्थ्य, धन और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिशा में तत्वों का सही स्थान और संरेखण सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन लाने में सहायक होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ईशान कोण दिशा जल तत्व से जुड़ी हुई होती है, जो जीवन में स्थिरता और शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है।
इस क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह मानसिक स्पष्टता, वित्तीय समृद्धि और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। घर का मंदिर, मेडिटेशन का कमरा या पढ़ाई के लिए यह दिशा सबसे उपयुक्त मानी जाती है। हालांकि, इस दिशा का महत्व तभी बढ़ता है जब इसे साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखा जाए। भारी सामान, गंदगी या गलत स्थान का निर्माण जैसे बाथरूम और किचन इस दिशा की ऊर्जा को कमजोर कर सकते हैं। आइए, वास्तु विशेषज्ञ, न्यूमेरोलॉजिस्ट और टैरो कार्ड रीडर, मधु कोटिया से जानें ईशान कोण के महत्व और इसके नियमों के बारे में सब कुछ।
क्या होता है घर का ईशान कोण
ईशान कोण घर की उत्तर-पूर्व दिशा होती है, वास्तु शास्त्र में इसे घर की सबसे पवित्र और शुभ दिशा के रूप में देखा जाता है। यह दिशा चार प्रमुख दिशाओं उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम के बीच पूर्व और उत्तर के मिलन बिंदु पर स्थित होती है। इस दिशा को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है, क्योंकि इसे ईश्वर की दिशा के रूप में देखा जाता है। यह दिशा घर के सभी निवासियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, समृद्धि और रिश्तों को प्रभावित करती है।
ईशान कोण को 'आध्यात्मिक द्वार' भी कहा जाता है, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करता है और घर में शांति और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसकी विशेषताओं की वजह से इस दिशा का उपयोग ध्यान, पूजा, और पढ़ाई जैसे कार्यों के लिए किया जाता है।
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ईशान कोण दिशा का महत्व
ईशान कोण वह दिशा है जो शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों रूपों को जोड़ने का कार्य करती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह दिशा पवित्रता, ज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में ऊर्जा का प्रवाह मानसिक स्पष्टता, मानसिक शांति और वित्तीय समृद्धि को प्रभावित करता है। उत्तर-पूर्व को हमेशा स्वच्छ और अव्यवस्था से मुक्त रखना जरूरी होता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निर्बाध रूप से चलता रहे। यह दिशा व्यक्ति के दिव्य शक्ति से जुड़ाव को बढ़ाती है और आंतरिक शांति प्रदान करती है। एक पूजा कक्ष, छोटा मंदिर या ध्यान का स्थान उत्तर-पूर्व में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद आकर्षित करने में सहायक हो सकता है।
इसके साथ ही चूंकि यह दिशा ज्ञान और बुद्धि से जुड़ी हुई होती है, इसलिए यह अध्ययन या पढ़ाई के लिए भी आदर्श मानी जाती है। यदि इस दिशा में स्टडी टेबल मेज या किताबों का स्थान रखा जाए तो यह पढ़ने वाले छात्रों को एकाग्रता, ध्यान और मानसिक स्पष्टता प्रदान करने में मदद करती है।
ईशान कोण में क्या रखना चाहिए
वैसे तो ईशान कोण को घर का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन उस जगह पर कुछ विशेष चीजों को रखना महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानें ईशान कोण में क्या रखना चाहिए-
घर के ईशान कोण में रखें पूजा का मंदिर
अगर हम घर के मंदिर की बात करें तो घर के लिए ईशान कोण को सबसे अच्छी दिशा माना जाता है। इस क्षेत्र में एक छोटा मंदिर या धार्मिक मूर्तियां रखने से आपको सकारात्मक ऊर्जा मिल सकती हैं और देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इस दिशा में पूजा का स्थान होने से वहां के निवासियों में सदैव ईश्वर की कृपा बनी रहती है और घर में भी खुशहाली आती है।
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घर के ईशान कोण में रखें लिविंग रूम
यदि आपका घर बड़ा है, तो लिविंग रूम भी घर के ईशान कोण में रखा जा सकता है। आमतौर पर इस क्षेत्र को खुला और हवादार रखना चाहिए और प्राकृतिक रोशनी से भरपूर बनाना चाहिए। इस दिशा में लिविंग रूम रखने से परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बना रहता है और खुशहाली आती है। इस स्थान पर बना लिविंग रूप आपके रिश्तों में भी सामंजस्य बनाने में मदद करता है।
घर के ईशान कोण में रखें स्टडी रूम
छात्रों के लिए उत्तर-पूर्व दिशा में अध्ययन कक्ष रखना सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान अध्ययन, बुद्धि और शैक्षिक प्रगति को बढ़ावा देता है। स्टडी रूम में आपकी स्टडी टेबल की मेज को पूर्व या उत्तर की ओर मोड़कर रखा जाना चाहिए।
घर के लिए ईशान कोण दिशा के नियम
ईशान कोण का पूरा लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ वास्तु दिशानिर्देशों का पालन करना जरूरी होता है। यदि आप इन नियमों का पालन करते हैं तो हमेशा घर में समृद्धि बनी रहती है।
- घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व क्षेत्र को हमेशा स्वच्छ और अव्यवस्थित रखें। इस क्षेत्र में भारी सामान या अनावश्यक चीजें रखने से ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है, इसलिए यहां कोई भी सामान रखते समय उसका ध्यान रखना जरूरी है।
- चूंकि यह स्थान जल तत्व से जुड़ा होता है, इसलिए इस दिशा में एक जल स्रोत जैसे छोटा फव्वारा, एक्वेरियम या जल पात्र रखना शुभ हो सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करें कि पानी स्वच्छ होना चाहिए। इस स्थान पर स्थिर पानी आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- उत्तर-पूर्व क्षेत्र को हमेशा अच्छी रोशनी और वेंटिलेशन मिलना चाहिए जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निर्बाध बना रहे। प्राकृतिक रोशनी इस क्षेत्र के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है, इसलिए खिड़कियों या दरवाजों को भारी पर्दों या फर्नीचर से ब्लॉक न करें।
- इस दिशा में बड़े या भारी फर्नीचर का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकता है और घर में असंतुलन पैदा कर सकता है। इसके बजाय हल्के और न्यूनतम फर्नीचर का चुनाव करें।
- इस दिशा के लिए हल्के और शांत रंग जैसे सफेद, क्रीम, हल्का नीला और पीला सबसे ज्यादा आदर्श माने जाते हैं। ये रंग शांति, मानसिक स्पष्टता और मानसिक शांति को बढ़ावा देते हैं। उत्तर-पूर्व दिशा में गहरे और तीव्र रंगों का उपयोग न करें।
यदि आप घर के ईशान कोण में वास्तु के कुछ नियमों का पालन करेंगी तो सदैव खुशहाली बनी रह सकती है। आपका इससे जुड़ा कोई भी सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताएं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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