शमी का पौधा हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और घर में सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शमी का पौधा भगवान शनि से जुड़ा हुआ है और उनकी कृपा पाने के लिए इसे घर में लगाना शुभ माना जाता है। यही कारण है कि इसे विशेष रूप से शनिवार को पूजनीय माना जाता है और कई लोग इसे अपने घर या व्यापार स्थल पर लगाते हैं। लेकिन शमी का पौधा घर की सही दिशा में लगाना जरूरी होता है। ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि क्या शमी का पौधा ईशान कोण में लगाना ठीक है? वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का हर कोना अलग-अलग ऊर्जाओं से प्रभावित होता है।
ईशान कोण जिसे उत्तर-पूर्व दिशा भी कहा जाता है, यह सकारात्मक ऊर्जा और देवताओं का स्थान माना जाता है, जबकि शमी का पौधा शनि ग्रह से संबंधित होता है, जिसकी ऊर्जा ईशान कोण के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। इसलिए, इसे सही दिशा में लगाने से घर में शुभ फल मिलते हैं, लेकिन गलत दिशा में रखने से नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी दे जानें कि शमी का पौधा ईशान कोण में लगाने से क्या होता है।
शमी के पौधे का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिषीय दृष्टि से, शमी का पौधा शनि दोष, साढ़ेसाती और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होता है। यदि कुंडली में शनि की दशा प्रतिकूल हो, तो प्रत्येक शनिवार शमी के पेड़ पर जल चढ़ाने और इसकी पूजा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। इसे घर में लगाने से वास्तु दोष समाप्त हो सकता है और आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। कई लोग शमी की टहनी को शुभ मानकर इसे घर के प्रवेश द्वार पर भी लगाते हैं। शमी का पौधा न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है।
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शमी का पौधा ईशान कोण में क्यों नहीं लगाना चाहिए
शमी का पौधा हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना जाता है, लेकिन इसे लगाने की दिशा का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, शमी के पौधे को ईशान कोण में लगाने से नकारात्मक प्रभाव बढ़ सकते हैं, जो घर के सुख-समृद्धि और शांति को प्रभावित कर सकते हैं।
ईशान कोण देवताओं और जल तत्व से जुड़ा होता है। यह स्थान घर में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। शमी का पौधा शनि ग्रह से संबंधित होता है, जो गंभीरता और कठोरता का प्रतीक है। इसे ईशान कोण में लगाने से आध्यात्मिक ऊर्जा बाधित हो सकती है। शमी का पौधा नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करता है, लेकिन इसे सही दिशा में न लगाने पर यह घर में अशांति और बाधाओं को बढ़ा सकता है। ईशान कोण में इसे लगाने से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
महाभारत में अर्जुन ने शमी वृक्ष की पूजा करके विजय प्राप्त की
महाभारत के युद्ध में अर्जुन की विजय के पीछे शमी वृक्ष का विशेष महत्व रहा है। जब पांडवों को अपने अज्ञातवास का अंतिम वर्ष बिताना था, तब उन्होंने अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र शमी वृक्ष में छिपा दिए थे। युद्ध के समय, अर्जुन ने सबसे पहले शमी वृक्ष की पूजा की और फिर अपने शस्त्र उठाकर युद्ध भूमि में उतरे। ऐसा माना जाता है कि शमी वृक्ष शक्ति, विजय और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा प्रदान करता है।
शास्त्रों के अनुसार, शमी वृक्ष भगवान शिव को भी अत्यंत प्रिय है और इसे पूजने से शनि ग्रह की अशुभता दूर होती है। विजयादशमी के दिन विशेष रूप से इसकी पूजा करने का प्रचलन है, क्योंकि यह सौभाग्य और सफलता का प्रतीक माना जाता है। अर्जुन द्वारा की गई पूजा ने उन्हें शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान किया, जिससे वे महाभारत के युद्ध में अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सके।
शमी का पौधा शनि ग्रह से जुड़ा होता है और इसे ईशान कोण में रखने से देवताओं की दिशा में शनि की ऊर्जा प्रवेश कर सकती है, जिसे उचित नहीं माना जाता।
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