why were utensils washed outside home in earlier times

पहले के समय में घर के बाहर ही क्यों धोए जाते थे बर्तन? क्या आपको पता है इसके लाभ

घर के बाहर बर्तन धोना सिर्फ एक प्रथा नहीं थी बल्कि इससे कई प्रकार के लाभ व्यक्ति को अपने जीवन में देखने को मिलते थे। आज हम जानेंगे कि पुराने समय में घर से बाहर ही क्यों धोए जाते थे बर्तन?  
Editorial
Updated:- 2025-11-05, 09:30 IST

पहले के समय में घर के बाहर आंगन में बर्तन धोए जाते थे। कभी भी घर के अंदर रसोई में बर्तन दोने का रिवाज नहीं था, लेकिन आज के समय में बर्तन घर के अंदर रसोई में धोए जाते हैं। ऐसे देखा जाए तो लगता है कि पहले के समय में सुविधा न हो पाने के कारण लोग ऐसा करते होंगे लेकिन असल में इसके पीछे एक गहरा ज्योतिषीय तर्क मौजूद है जो हमें बताता है कि घर के बाहर बर्तन धोना सिर्फ एक प्रथा नहीं थी बल्कि इससे कई प्रकार के लाभ व्यक्ति को अपने जीवन में देखने को मिलते थे। आज हम वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानेंगे कि पुराने समय में घर से बाहर ही क्यों धोए जाते थे बर्तन?

पहले के समय घर से बाहर बर्तन धोने का महत्व

ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि रसोई और स्नानघर में ही नकारात्मक ऊर्जा सबसे ज़्यादा उत्पन्न होती है खासकर जूठे बर्तनों में। जूठे बर्तनों को घर के अंदर, खासकर रात भर रखने से घर में दरिद्रता और रोग का वास होता है। घर के अंदर बचे हुए भोजन के कण और जूठन को देवी लक्ष्मी का अपमान माना जाता था।

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इन जूठे बर्तनों को घर के बाहर धोकर, उनका दूषित जल घर की सीमा से बाहर बहा दिया जाता था। ऐसा करने से यह सुनिश्चित होता था कि जो भी गंदगी या अपशगुन रसोई से उत्पन्न हुआ है, वह घर के अंदर न रुके जिससे धन-धान्य की हानि से बचाव होता था। ज्योतिष में जूठे बर्तनों को शनि और राहु के नकारात्मक प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है।

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जूठन और गंदगी इन ग्रहों के बुरे प्रभाव को बढ़ाती है। घर के बाहर तुरंत बर्तन धोने से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को घर पर पड़ने से रोका जाता था। घर के बाहर एक सुनिश्चित स्थान पर बर्तन धोने से जूठे पानी का निष्कासन भी सही दिशा में होता था। वास्तु के अनुसार, घर में दूषित जल का जमाव या गलत दिशा में निष्कासन वास्तु दोष उत्पन्न करता है।

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घर के बाहर धोकर पानी को सही तरीके से बहाने से इस दोष से बचाव होता था। रसोई को देवी अन्नपूर्णा का स्थान माना जाता है। रसोई को हर समय साफ और व्यवस्थित रखना सकारात्मकता लाता है। जूठे बर्तनों को घर के बाहर रखने और तुरंत साफ करने से रसोई की पवित्रता बनी रहती थी जिससे घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहता था।

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घर की किस दिशा में रखने चाहिए मिटटी के बर्तन? 
घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में मिटटी के बर्तन रखना शुभ माना जाता है। 
घर की किस दिशा में नहीं रखने चाहिए कांच के बर्तन?
घर की दक्षिण और पश्चिम दिशा में कांच के बर्तन नहीं रखने चाहिए। 
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