आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 4 जुलाई, शुक्रवार के दिन पड़ रही है। धार्मिक एवं ज्योतिष दृष्टि 4 जुलाई का दिन बहुत खास माना जा रहा है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे अक्षय तृतीया के भांति ही अबूझ मुहूर्त माना जाता है क्योंकि यह तिथि देवशयनी एकादशी और चातुर्मास से पहले पड़ती है। ऐसे में इस तिथि पर आप कोई भी शुभ काम कर सकते हैं जैसे कि मुंडन या गृह प्रवेश क्योंकि इस तिथि के निकल जाने के बाद कोई भी शुभ मुहूर्त इन कामों के लिए चार महीने तक नहीं होगा। तो चलिए जानते हैं सबसे पहले ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि क्यों खास है और क्या है इस दिन का शुभ मुहूर्त एवं महत्व।
4 जुलाई 2025 को क्या है खास?
4 जुलाई यानी कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भड़ली नवमी मनाई जाती है। इसे कई और नामों से भी जानते हैं, जैसे आश्रम शुक्ल पक्ष, भटली नवमी या कंदर्प नवमी। यह त्योहार भगवान विष्णु से संबंधित है।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवलें की पूजा का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं मुंडन या गृह प्रवेश जैसे शुभ काम करने से दोगुना शुभ फल प्राप्त होता है।
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4 जुलाई 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
4 जुलाई 2025, शुक्रवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। आप सुबह 09:38 बजे से 11:26 बजे तक अमृत काल में या फिर दोपहर में 11:58 बजे से 12:53 बजे तक अभिजीत मुहूर्त के दौरान भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।
शाम को 07:22 बजे से 07:42 बजे तक गोधूलि मुहूर्त और 07:23 बजे से 08:24 बजे तक संध्या मुहूर्त में भी भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। ध्यान रहे कि सुबह 10:41 बजे से 12:26 बजे तक राहुकाल रहेगा, इस दौरान पूजा या कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
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4 जुलाई को शुभ कार्य करने के क्या लाभ हैं?
4 जुलाई 2025 को मनाई जाने वाली भड़ल्या नवमी का दिन शुभ कार्य करने के लिए बहुत खास माना जाता है। इसे एक अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं जिसका मतलब है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, मुंडन या नए काम की शुरुआत की जा सकती है।
चूंकि इसके दो दिन बाद से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास शुरू हो जाता है, इसलिए भड़ल्या नवमी चातुर्मास से पहले शुभ कार्यों को संपन्न करने का आखिरी और अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर होती है।
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