हिंदू धर्म में ऐसी कई परंपराएं और रीति-रिवाज हैं, जिनका गहरा महत्व होता है। ऐसी ही एक परंपरा है कलावा या मौली बांधने की। आपने अक्सर देखा होगा कि मंदिर में पूजा, हवन या किसी भी शुभ काम से पहले पंडित जी हाथ में लाल-पीला धागे का कलावा बांधते है। यह कलावा पुरुषों के दाएं हाथ और शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में बांधा जाता है। पुरुषों के दाएं और महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बांधने की यह बात आपको बहुत आम लग सकती है, लेकिन इसका खास धार्मिक महत्व है।
शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा क्यों बांधा जाता है, इस सवाल का जवाब हमें पंडित श्री राधेश्याम मिश्रा ने दिया है। पंडित जी के मुताबिक, कलावा सिर्फ धार्मिक विश्वास से नहीं जुड़ा होता है, बल्कि ऐसी मान्यता है कि इसे पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, बुरी नजर से बचाव होता है और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। आइए, यहां जानते हैं कि शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में ही कलावा क्यों बांधा जाता है।
पंडित जी के मुताबिक, कलावा को शुभता, सुरक्षा और ईश्वर की कृपा माना जाता है। आमतौर पर पुरुषों और कुंवारी लड़कियों को दाहिने हाथ में कलावा बांधा जाता है। वहीं, शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बांधने की मान्यता है। हिंदू ग्रंथों में महिलाओं के बाएं हाथ को प्रमुख हाथ माना गाया है। बायां हाथ महिलाओं के लिए ऊर्जा और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
वहीं, जब भी शादीशुदा महिला अपने बाएं हाथ में कलावा पहनती है तो उसके वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है। साथ ही पति की लंबी उम्र और परिवार में खुशहाली भी बनी रह सकती है।
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योग और आयुर्वेद में ऐसा माना जाता है कि एक व्यक्ति के शरीर में 72 हजार नाड़ियां होती हैं। महिलाओं के दाएं हाथ में जो नाड़ियां होती हैं, अगर उसपर दबाव पड़े तो इसका असर गर्भ और गर्भावस्था पर पड़ सकता है। इस चीज से बचने के लिए शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र और आयुर्वेद में ऐसा माना गया है कि हर व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का प्रवाह अलग-अलग होता है। जहां पुरुषों का मस्तिष्क ज्यादा एक्टिव माना गया है, वहीं स्त्रियों का दिल। दिल बाईं तरफ होता है और शादी के बाद एक महिला को अपने और परिवार के लिए कई फैसले लेने होते हैं जिसमें सकारात्मकता की जरूरत होती है। ऐसे में शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है, जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह हो सके।
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा भी माना जाता है कि कलावा पहनने से ग्रह दोषों को दूर करने में मदद मिलती है। शादी से पहले और बाद में ग्रहों में बड़ा फेरबदल होता है, इन बदलावों की वजह से भी शादीशुदा महिलाओं के बाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि कलावा को तीन बार लपेटकर बांधने से ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश की कृपा और आशीर्वाद बना रहता है।
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पंडित जी के मुताबिक, शादी के बाद महिलाएं अपने पति का बायां अंग हो जाती हैं। वह हर पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान में पति के साथ बाईं तरफ बैठती हैं। इस वजह से भी महिलाओं के बाईं तरफ कलावा बांधा जाता है।
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Image Credit: Herzindagi
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