हिंदू धर्म में लोग पूजा पाठ के दौरान विधि-विधान से देव को पूजते हैं, फिर यहां विशेष विधि से भोग लगाते हैं। ज्यादातर लोग पूजा के बाद देवी देवता को पांच या सात तरह के चीजों का भोग लगाते हैं, लेकिन भगवान विष्णु, कृष्ण और जगन्नाथ को 56 भोग लगाया जाता है। भगवान जगन्नाथ को रथ यात्रा पर्व के दौरान एक दिन 56 भोग लगाया जाता है। 56 भोग के अलावा नीम के चूर्ण का भी भोग लगाया जाता है। सालों से यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें भगवान को भोग लगाने के बाद नीम का चूर्ण खिलाया जाता है।
भगवान जगन्नाथ को क्यों लगाया जाता है 56 भोग?
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां यशोदा भगवान श्री कृष्ण को दिन में आठ बार भोजन कराया करती थीं। एक बार जब भगवान श्री कृष्ण इंद्रदेव के प्रकोप से पूरे ब्रज की रक्षा करने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रज वासियों की रक्षा की थी। इस दौरान श्री कृष्ण अन्न-जल ग्रहण नहीं किए थे। जब आठ दिनों के बाद इंद्रदेव का क्रोध कम हुआ और वर्षा बंद हुई। जिसके बाद श्री कृष्ण पूरे ब्रज वासियों को गोवर्धन पर्वत से निकलकर अपने-अपने निवास स्थान जाने को कहा।
सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण ब्रजवासियों और मां यशोदा, नंदलाला के लिए 7 दिनों तक भूखे प्यासे रहना पड़ा था। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपना प्रेम भाव दिखाने के लिए मां यशोदा और ब्रजवासी मिलकर सात दिन और आठ पहर, यानी 7*8=56 प्रकार के व्यंजन बनाकर भोग लगाए थे। तभी से भगवान विष्णु के हर रूप को 56 भोग लगाया जाने लगा।
इसे भी पढ़ें: Jagannath Rath Yatra 2024: हजार यज्ञों के बराबर मोक्षदायिनी है ये रथ यात्रा, दर्शन मात्र से मिल सकते हैं शुभ फल
भगवान जगन्नाथ को क्यों लगाया जाता है नीम के चूर्ण का भोग?
भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाने के बाद नीम का चूर्ण लगाने को लेकर बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित है, जिसमें से एक कथा के अनुसार पुरी धाम में एक राजा था, जो जगन्नाथ जी को नियमित रूप से 56 भोग लगाया करता था। वहीं मंदिर से कुछ दूर एक कुटिया में औरत रहती थी, जिसका कोई कुटुंब नहीं था, वह बिल्कुल अकेली थी और भगवान जगन्नाथको ही अपना पुत्र मानती थी और रोजाना मंदिर में जाकर भगवान के पास जाकर बैठ जाया करती थी। जब जगन्नाथ जी भोग खाते उन्हें वह महिला निहारते रहती थी।
एक दिन महिला भगवान को भोग खाते देख यह सोचती है कि इतना सारा भोग खाने के बाद मेरे बेटे (जगन्नाथ) के पेट में दर्द हो जाता होगा। इसलिए वह तुरंत जगन्नाथ जी को नीम का चूर्ण बनाकर खिलाने आई। मंदिर में प्रवेश करते हुए सैनिकों ने उनके हाथ से चूर्ण फेंक दिया और महिला को भगा दिया। महिला रात भर यह सोचकर रोती रही कि कहीं इतना सारा खाकर मेरे पुत्र के पेट में दर्द ना हो।
जगन्नाथ ने सपने में दिया दर्शन?
महिला को रोते देख जगन्नाथ जी उस राज्य के राजा को सपने में दर्शन दिया और कहा कि तुम्हारे सैनिक मेरी मां को दवा नहीं खिलाने दे रहे हैं। सपने में जगन्नाथ की बात सुनने के बाद राजा तुरंत नींद से जागा और महिला से माफी मांगी और दोबारा जगन्नाथ को चूर्ण खिलाने को कहा। कहा जाता है कि उस दिन के बाद से भगवान जगन्नाथ को 56 भोग लगाने के बाद नीम का चूर्ण का भोग लगाया जाता है।
इसे भी पढ़ें: रथयात्रा के अलावा जगन्नाथ भगवान से जुड़े ये त्योहार भी हैं महत्वपूर्ण
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit: Freepik, amazon
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों