सावन के महीने से पहले ही क्यों शुरू होती है अमरनाथ यात्रा

सावन के शुरू होने से पहले ही 3 जुलाई से अमरनाथ की यात्रा शुरू हो गई है। इसमें भक्त अपने भोलेनाथ के दर्शन के लिए काफी लंबा पैदल चलकर मंदिर तक पहुंचते हैं। लेकिन यह यात्रा सावन से पहले ही क्यों शुरू होती है इसके बारे में आर्टिकल में जानते हैं।
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अमरनाथ यात्रा हिंद धर्म में सबसे पवित्र मानी जाती है। सबसे ज्यादा कठिन यात्रा भी इसे ही कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह वही गुफा है जहां पर भगवान शिव जी ने अमर कथा का वर्णन किया था। तभी से इस गुफा को अमरनाथ कहा जाता है। यहां हर साल प्राकृतिक तरीके से बर्फ का शिवलिंग बनता है। इस शिवलिंग के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से कई किलोमीटर लंबा चलकर दर्शन के लिए जाते हैं। लेकिन इस यात्रा को सावन के महीने में ही क्यों शुरू किया जाता है। इसके बारे में बताते हैं।

शिव पूजा के लिए सबसे पावन होता है सावन का महीना

सावन का महीना भगवान शिव का होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा होती है। साथ ही, लोग कांवड़ यात्रा भी इसी महीने में करते हैं। लेकिन अमरनाथ की यात्रा इस महीने में क्यों शुरू होती है आइए बताते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ की यात्रा रक्षाबंधन यानी श्रावण पूर्णिमा के दिन होती है। ऐजा कहा जाता है कि यही वह महीना है जिसमें भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरनाथ की गुफा में अमर कथा सुनाई थी। इसलिए यात्रा की अवधि को इसी अंतिम तिथि तक सीमित रखा जाता है।

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अमरनाथ में कैसे होती है भगवान शिव की पूजा

भगवान शिव वहां स्वंय विराजमान हैं, ऐसा भक्तों का कहना है। इसलिए वहीं पर हर साल स्वंय बर्फ की शिवलिंग बन जाती है। लेकिन शिवलिंग बर्फ की होने की वजह से वहां पर कोई यज्ञ या हवन नहीं होता है। यहां पर साधारण तरीके से पूजा अर्चना की जाती है। भगवान को पुष्प, बेलपत्र, जल, दूध, शहद, चावल, धूप, दीप और फल अर्पित किए जाते हैं। लेकिन यह सब दूर से चढ़ाए जाते हैं किसी को भी बर्फ के शिवलिंग को स्पर्श नहीं करने दिया जाता है।

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अमरनाथ में होते हैं बर्फ के शिवलिंग के दर्शन

बर्फ के शिवलिंग के दर्शन सिर्फ अमरनाथ में ही होते हैं। यहां पर बर्फ से जमकर शिवलिंग तैयार होती है। इसलिए इसे बाबा बर्फानी का दरबार भी कहते हैं। वहीं यह शिवलिंग धीरे-धीरे पूर्ण चंद्र से अमावस्या तक घटता और बढ़ता है। यहां पर महादेव के साथ-साथ माता पार्वती, गणेश जी और नंदी की आकृतियां भी बर्फ से बनाई जाती हैं।

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सावन में अगर आप भी महादेव के इस दिव्य स्थान के दर्शन करने जा रहे हैं, तो यहां से जानकारी जरूर प्राप्त करें। इससे आपको यात्रा का महत्वता के बारे में पता चल जाएगा।

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Image Credit- freepik

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