अच्छे भाग्य के लिए आपने अक्सर लोगों को उंगलियों को क्रॉस करते हुए देखा होगा। उंगलियां क्रॉस करना व्यापक रूप से एक ऐसा संकेत है जो आपके अच्छे भाग्य की तरफ इशारा करता है। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है।
हम जब भी कोई प्रार्थना करते हैं या फिर ईश्वर से कुछ मांगते हैं और अच्छे फल की उम्मीद रखते हैं तो उंगलियों को क्रॉस करके सौभाग्य की कामना करते हैं। इसकी उत्पत्ति समय से हुई और इसका जिक्र कई लोकप्रथाओं में भी मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि हम जो भी कामना करते हैं वो उंगलियों को क्रॉस करके पूरी होती है और इसे सौभाग्य का संकेत ही माना जाता है। यह सरल संकेत सौभाग्य को आकर्षित करने वाला क्यों माना जाता है? इसकी शुरुआत कब हुई होगी और इस प्रथा से जुड़ा इतिहास का है और क्या वास्तव में इससे गुड लाक आता है। इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हमने ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी जी से बात की। आइए इसके बारे में जानें विस्तार से।
क्या है उंगलियों को क्रॉस करने का संकेत
उंगलियों को क्रॉस करने को हमेशा से ही एक शुभता के संकेत के रूप में देखा जाता है और सदियों से ही ये ईसाई धर्म की शुरुआत से बहुत पहले रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है। जब भी हम अपनी तर्जनी उंगली और मध्यमा को क्रॉस करते हैं तो सौभाग्य की कल्पना करते हैं।
यह परंपरा मूल रूप से प्राचीन मान्यताओं से आई है, जहां दो लाइनें क्रॉस करने से सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। उंगलियों को क्रॉस करना एक मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने का भी तरीका है। यह हमें मानसिक रूप से सुकून और विश्वास प्रदान करता है, जिससे हमारे आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण में वृद्धि होती है।
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क्या है उंगलियों को क्रॉस करने का इतिहास
इस संकेत की उत्पत्ति के लिए कई सिद्धांत हैं लेकिन इतिहासकार जिस सिद्धांत को सबसे अधिक मानते हैं वह यह है कि उंगलियां क्रॉस करना ईसाई धर्म के शुरुआती दिनों में शुरू हुआ था जब धर्म पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और अनुयायियों को संवाद करने के लिए गुप्त संकेत विकसित करने के लिए मजबूर किया जाता था।
क्रॉस करना पश्चिमी यूरोप में क्रॉस के शक्तिशाली प्रतीकवाद में ईसाई धर्म से पहले की मान्यता से जुड़ा है। ऐसा माना जाता था कि यह अच्छी आत्माओं के जमावड़े का प्रतीक है और यह किसी इच्छा के सच होने का काम करता था। पहले के समय में लोग किसी भी इच्छा को पूरा करने के संकेत के रूप में उंगलियों को क्रॉस करते थे और उसी समय से यह प्रथा हमारी संस्कृति का हिस्सा बन गई।
उंगलियों को क्रॉस करने की प्रथा की शुरूआत कब हुई
उंगलियों को क्रॉस करने की शुरूआत को लेकर दो अलग बातें सामने आती हैं। एक ईसाई धर्म से जुड़ी जिसमें क्रॉस को शक्तिशाली प्रतीकवाद माना जाता है। इस क्रॉस को इच्छा पूर्ति का एक संकेत भी माना जाता था। वहीं दूसरी ओर कुछ जगहों पर इसे नकारात्मक ऊर्जा से भी जोड़ा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये उस प्रथा को दिखाता है, जिसमें किसी व्यक्ति की कामना पूरी न होती हो।
उंगलियों को क्रॉस करने की प्रथा कब बनी परंपरा
इस प्रथा के बारे में ऐसा प्रचलित है कि फिंगर्स क्रॉस करना इच्छा पूर्ति की एक प्रथा थी, जो धीरे-धीरे परंपरा में बदल गई। अपनी दो उंगलियों को क्रॉस कर हर व्यक्ति उम्मीद करता था कि उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। पहले यह प्रथा दो लोगों की तर्जनी उंगली है जिसमें क्रॉस करके मानी जाती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा लोगों को एहसास हुआ कि इसे वो अकेले भी कर सकते हैं।
इस प्रकार उंगलियों को क्रॉस करना एक परंपरा बन गई जिसका आज भी लोग अनुसरण और पालन करते हैं। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें
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