दुर्योधन ने क्यों दिए थे अर्जुन को 3 तीर?

महाभारत में ऐसे कई किस्सों का वर्णन मिलता है जो न सिर्फ हैरान कर देने वाले हैं बल्कि कई रहस्य भी समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक किस्सा है दुर्योधन और अर्जुन का। 

arjun aur duryodhan ki katha hindi
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Duryodhan Aur Arjun Ki katha: महाभारत में ऐसे कई किस्सों का वर्णन मिलता है जो न सिर्फ हैरान कर देने वाले हैं बल्कि कई रहस्य भी समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक किस्सा है दुर्योधन और अर्जुन का जिसके बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया।

असल में एक बार अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी जिसके बदले उसने दुर्योधन से तीन तीर मांगे थे। अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों अर्जुन ने दुर्योधन की रक्षा की और वरदान में मिले उन तीरों का अर्जुन ने क्या किया था।

अर्जुन ने दुर्योधन से मांगा था कौन सा वरदान?

arjuna and duryodhana

जब पांडव वनवास भोग रहे थे तब उन्हें वन में ही एक यज्ञ का आयोजन किया था। जैसे ही दुर्योधन को यज्ञ के बारे में पता चला तो वह पांडवों के यज्ञ को ध्वस्त करने की मंशा से उनके यज्ञ में सम्मिलित होने पहुंचा।

उसकी मंशा को भापें बिना पांडवों ने उसका स्वागत किया और यज्ञ में बैठने का स्थान भी दिया। दुर्योधन ने अपनी कुटिलता का उपयोग करते हुए यज्ञ में अड़चनें पैदा करना शुरू कर दिया।(मरते समय दुर्योधन ने श्री कृष्ण को दिया था कौन सा संकेत?)

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इस कारण से यज्ञ बार-बार बीच में रुकने लगा। यज्ञ में आती अड़चनों को देख अर्जुन ने अपने देव पिता इंद्रदेव से यज्ञ की विपदाओं को दूर करने की प्रार्थना की। इसके बाद इंद्रदेव ने स्वयं यज्ञ पर ध्यान केन्द्रित किया।

इंद्रदेव को जैसे ही पता चला कि यज्ञ में आ रही परेशानियों के पीछे दुर्योधन है तो उन्होंने दुर्योधन से युद्ध हेतु एक गंधर्व को भेजा। गंधर्व ने दुर्योधन को रोकना चाहा लेकिन दुर्योधन ने अपनी कुटिलता नहीं रोकी।

तब दुर्योधन और गंधर्व का युद्ध हुआ और गंधर्व देव दुर्योधन को स्वर्ग में बंधी बनाकर ले आए। युद्धिष्ठिर को जैसे ही इस बात का पता चला उन्होंने अर्जुन को दुर्योधन की रक्षा के लिए इन्द्रलोक भेजा।(इन अस्त्रों से अर्जुन ने जीता था महाभारत युद्ध)

arjun and duryodhan

अर्जुन ने दुर्योधन की रक्षा की और इंद्रदेव को दुर्योधन को दंडित करने से रोक दिया। अर्जुन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि दुर्योधन उनके यज्ञ में आया हुआ एक अतिथि था जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी पांडवों की थी।

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दुर्योध की जान बचाने के एवज में ही अर्जुन ने दुर्योधन से वरदान मांगा था। यह वरदान था तीन तीरों का। अर्जुन धनुर्धर थे तो दुर्योधन को लगा कि तीन तीर देना कौन सी बड़ी बात है और और उसने अर्जुन को तीन तीर दे दिए।

अर्जुन ने उन तीरों का क्या किया?

कथा के अनुसार, अर्जुन ने दुर्योधन से पहले सिर्फ इतना कहा कि मुझे तीन तीर वरदान में चाहिए। जब दुर्योधन ने हां कर दी तब अर्जुन ने दुर्योधन से तीर के साथ वचन भी मांगे। दुर्योधन से अर्जुन ने कहा कि यह तीन तीर तीन योद्धाओं के लिए हैं।

अर्जुन ने कहा कि आगे अगर कभी भी कौरव और पांडवों का युद्ध हुआ तो जो भी तीन महारथी योद्ध पांडवों पर भारी पड़ेंगे उन योद्धाओं की मृत्यु के लिए अर्जुन ने तीन तीरों का प्रयोग करेंगे। यह सुन दुर्योधन हक्का-बक्का रह गया।आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्यों दुर्योधन ने अर्जुन को दिए थे तीन तीर और क्या था उन तीरों में छिपा संकेत। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: wikipedia, herzindagi

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