
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पावन व्रत माना जाता है। यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जनवरी 2026 में कुल तीन प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं, जिनका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को शिव कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन माना गया है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत से धरती पर आते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से रोग, आर्थिक संकट और मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
जनवरी 2026 के महीने में कुल तीन प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं-एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में, जबकि महीने के अंत में फिर से शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रहेगा।
जनवरी महीने का पहला प्रदोष व्रत 01 जनवरी 2026, गुरुवार को शुक्ल पक्ष में रखा जाएगा।
प्रदोष काल: सुबह 04:55 बजे से 06:35 बजे तक
इस दिन सुबह के समय प्रदोष काल पड़ रहा है, इसलिए जो भक्त प्रातः पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए यह समय शुभ रहेगा। गुरुवार का दिन होने के कारण यह व्रत विशेष रूप से गुरु कृपा और शिव आशीर्वाद दिलाने वाला माना जाता है।

दूसरा प्रदोष व्रत 16 जनवरी 2026, शुक्रवार को कृष्ण पक्ष में मनाया जाएगा।
प्रदोष काल: शाम 05:47 बजे से 08:29 बजे तक
शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी और माता पार्वती को समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन प्रदोष व्रत रखने से दांपत्य जीवन में मधुरता, धन लाभ और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
| तिथि | दिन | शुभ मुहूर्त समय | नक्षत्र |
| 01 जनवरी 2026 | गुरुवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) | प्रदोष काल: 04:55 AM – 06:35 AM |
| 16 जनवरी 2026 | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) | शाम 05:47 PM – 08:29 PM |
| 31 जनवरी 2026 | शनिवार | प्रदोष शुक्ल पक्ष | शाम 05:35 PM से रात 08:19 PM तक |
जनवरी महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 31 जनवरी 2026, शनिवार को शुक्ल पक्ष में पड़ेगा।
प्रदोष काल: शाम 05:35 बजे से रात 08:19 बजे तक
शनिवार को प्रदोष व्रत पड़ना विशेष फलदायी माना जाता है। इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव कम होते हैं।
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूरे दिन उपवास रखें और शाम को प्रदोष काल में शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा करें। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें और अंत में शिव आरती करें। व्रत का पारण पूजा के बाद किया जाता है।
जनवरी 2026 में आने वाले तीनों प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर हैं। सही तिथि और शुभ मुहूर्त में पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आप शिव भक्ति में आस्था रखते हैं, तो इन प्रदोष व्रतों का विधिपूर्वक पालन अवश्य करें।
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