dhanteras pr kiski puja ka vidhan hai

Dhanteras 2025: धनवंतरी भगवान या कुबेर देव, धनतेरस पर किसकी पूजा होती है?

क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन किस देवता की पूजा का वधान है? ज्यादातर लोगों को यही पता है कि धनतेरस का अर्थ है धन से जुड़ा त्यौहार और इस दिन कुबेर देव की पूजा की जाती है लेकिन असल में इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा का विधान है।
Editorial
Updated:- 2025-10-13, 14:02 IST

दिवाली का 5 दिनों का त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है और भाईदूज पर इसका समापन होता है। धनतेरस हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन जहां एक ओर घर में रखे धन की पूजा होती है तो वहीं, दूसरी ओर इस दिन खरीदारी करना भी बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन किस देवता की पूजा का वधान है? ज्यादातर लोगों को यही पता है कि धनतेरस का अर्थ है धन से जुड़ा त्यौहार और इस दिन कुबेर देव की पूजा की जाती है लेकिन असल में इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा का विधान है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर धनतेरस का असली अर्थ क्या है और इस दिन किसकी पूजा करनी चाहिए।

कौन हैं भगवान धनवंतरी?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था तब 14 रत्नों में से एक तेरहवें रत्न जो प्रकट हुए थे वे भगवान धनवंतरी थे। चूंकि भगवान धनवंतरी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र से बाहर आये थे इसलिए इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाने लगा। भगवान धनवंतरी आयुर्वेद के जन्मदाता और ज्ञाता हैं। भगवान धनवंतरी आरोग्य का वरदान प्रदान करते हैं और व्यक्ति को उसकी बीमारियों से छुटकारा दिलाते हैं। व्यक्ति को स्वस्थ काय देते हैं।

bhagwan dhanvantri kiske devta hain

कौन हैं कुबेर देव?

पौराणिक कथा के अनुसार, कुबेर देव समुद्र मंथन से नहीं जन्में थे बल्कि कुबेर देव ऋषि विश्रवा और उनकी पत्नी इलविला के पुत्र थे। कुबेर देव के जन्म के बाद उन्हें भगवान शिव ने धन के देवता का पद सौंपा था। ऐसा माना जाता है कि जब हर देवी-देवता को उनकी पूजा हेतु प्रत्येक दिन मिल गया था तब कुबेर देव की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कुबेर देव की पूजा के लिए धनतेरस का पर्व चुना और आरोग्य एवं धन की एक साथ प्राप्ति कुबेर देव-धनवंतरी भगवान की पूजा का वरदान दिया।

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क्या है धनतेरस का अर्थ?

धनतेरस का मूल अर्थ ये है कि वो रत्न (धन) जो तेरस यानी कि तेरहवीं तिथि पर प्रकट हुआ हो। ऐसे में धनतेरस पर मुख्य रूप से पूजा धनवंतरी भगवान की होती है। वहीं, कुबेर देव की पूजा खरीदारी और घर के धन के रूप में की जाती है। सरल शब्दों में कहें तो इस दिन, उच्च स्वास्थ के लिए धनवंतरी भगवान की पूजा का बहुत महत्व है और इसके अलावा, धनतेरस के दिन घर में रखे धन की पूजा करना एवं खरीदारी करना कुबेर देव की पूजा का शुभ और लाभकारी प्रतीक माना जाता है।

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धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा के लाभ

धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। क्योंकि धनवंतरी को देवताओं का वैद्य और आयुर्वेद का जनक माना जाता है इसलिए उनकी पूजा से भक्त को सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। दिवाली से ठीक पहले उनकी पूजा से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि केवल धन ही नहीं बल्कि अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है जिससे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।

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धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा के लाभ

धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा करने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि घर में धन की स्थिरता और बचत बढ़ती है। माता लक्ष्मी धन देती हैं, लेकिन कुबेर देव उस धन को सुरक्षित रखते हैं और उसकी वृद्धि करते हैं। उनकी पूजा से घर की तिजोरी हमेशा भरी रहने का आशीर्वाद मिलता है, आर्थिक तंगी दूर होती है और व्यापार या नौकरी में तरक्की के नए रास्ते खुलते हैं। इसलिए धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा से स्थायी सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।

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FAQ
धनतेरस के दिन कितने दीये जलाने चाहिए?  
धनतेरस के दिन 13 दीये जलाने चाहिए।  
धनतेरस के दिन के-क्या खरीदना शुभ माना जाता है?  
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, झाड़ू, बर्तन और नया वाहन खरीदना शुभ माना जाता है। 
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